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शंकर-जयकिशन की जोड़ी ने हिंदी सिनेमा को दिया सदाबहार संगीत, गानों की धुन ने बना दिया अमर

नई दिल्ली | हिंदी फिल्म इंडस्ट्री सिर्फ अपनी बेहतरीन कहानियों के लिए नहीं जानी जाती है बल्कि सुपरहिट गानों के लिए भी जानी जाती है। एक बेहतरीन संगीतकार फिल्म में जान डाल देते हैं और सदाबहार गीत हमेशा के लिए लोगों के जहन में बस जाते हैं। ऐसी ही एक जोड़ी थी शंकर-जयकिशन की जो अपने शानदार संगीत के लिए जानी जाती है। बॉलीवुड की सफल संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन के जयकिशन की आज पुण्यति‌थ‌ि है। उनका निधन 12 सितम्बर 1971 में मुंबई में हुआ था। जयकिशन के निधन के बाद बॉलीवुड की ये मशहूर जोड़ी टूट गई थी और शंकर अकेले रह गए थे।

शंकर-जयकिशन को खास पहचान राज कपूर की फिल्म आवारा के गानों से मिली थी। आवारा हूं, आवारा हूं, मेरा जूता है जापानी जैसे गानों ने उन्हें बेहद पॉपुलर बना दिया था। फिल्म श्री 420 के गानें भी शंकर-जयकिशन के लिए मील का पत्थर साबित हुए। प्यार हुआ इकरार हुआ गाना लोगों की जुबान पर चढ़ गया। ये गाना उस वक्त का मोस्ट रोमांटिक गाना हुआ करता था। राज कपूर और नरगिस का ये सॉन्ग हर किसी को बेहद पसंद आया था। राज कपूर खुद भी इस गाने के संगीत के खूब दीवाने हो गए थे। शंकर-जयकिशन को सिर्फ संगीत की ही नहीं बल्कि गायक की भी अच्छी पहचान थी। किस गाने के साथ कौन से सिंगर की आवाज बेहतर लगेगी इस बात का अनुभव भी उन्हें बड़ी ही बारीकि था।

शंकर-जयकिशन का संगीत कुछ ऐसा था कि फिल्म भले ही फ्लॉप हो जाए लेकिन उनके संगीत का जादू जरूर चलता था। जिस भी गाने में उनकी जोड़ी जमती थी वो गाना सुपरहिट हो ही जाता था। 1949 में आई फिल्म बरसात का संगीत कुछ ऐसे ही यादगार बन गया था। इसके अलावा शंकर जयकिशन ने चोरी-चोरी (1957), अनाड़ी (1960), दिल अपना और प्रीत पराई (1961), जंगली, संगम, 'मेरा नाम जोकर' जैसी कई फिल्मों में बेहतरीन संगीत दिया।



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