DIGITELNEWS पर पढ़ें हिंदी समाचार देश और दुनिया से,जाने व्यापार,बॉलीवुड समाचार ,खेल,टेक खबरेंऔर राजनीति के हर अपडेट

 

कोरोना के दौर में अच्छी खबर! इस बार देरी से आया लेकिन जमकर बरसा मानसून, कई रिकॉर्ड बने; लगातार दूसरे साल सामान्य से ज्यादा बारिश

इस बार दक्षिण-पश्चिमी मानसून ने चार महीने में कई नए रिकॉर्ड बनाए हैं। पूरे देश में लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) के अनुपात में 109% बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक यह लगातार दूसरा साल है जब देश में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।

कोरोनाकाल में अच्छी बारिश होना एक तरह से मंदी के संकट से उबरने के संकेत भी है। फसल अच्छी होगी तो कृषि क्षेत्र की जीडीपी में भागीदारी बढ़ेगी। निश्चित तौर पर फेस्टिव सीजन में इससे मार्केट में खरीदारी भी बढ़ेगी। आर्थिक विशेषज्ञ उम्मीद जता रहे हैं कि वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जो 24 प्रतिशत की गिरावट आई थी, उसका असर दूसरी (जुलाई-सितंबर) और तीसरी (अक्टूबर-दिसंबर) तिमाही में खत्म हो जाएगा।

कैसे पता चला कि बारिश सामान्य से अधिक हुई?

  • मौसम विभाग का अपना फार्मूला है, जिससे वह बताता है कि बारिश सामान्य हुई या उससे कम या ज्यादा। पूरे देश में 1961 से 2010 तक एक जून से 30 सितंबर के बीच चार महीने हुई बारिश का औसत यानी लॉन्ग पीरियड एवरेज (87.7 सेमी) बेस बनाया जाता है। 2020 में 95.4 सेमी बारिश हुई है यानी यह सामान्य से 109% अधिक है।

सामान्य से अधिक या कम बारिश का फार्मूला क्या है?

  • मौसम विभाग के अनुसार यदि मानसून लॉन्ग पीरियड एवरेज का 96%-104% होता है तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है। इसी तरह यदि बारिश लॉन्ग पीरियड एवरेज का 104% से 110% के बीच होती है तो इसे सामान्य से अधिक, 110% से अधिक होने पर एक्सेस या अधिक बारिश हुई, ऐसा कहते हैं। इसी तरह यदि बारिश 90-96 के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम कहा जाता है।

अर्थव्यवस्था के लिए क्या महत्व है अच्छी बारिश का?

  • देश में सालभर जितनी बारिश होती है, उसका 70 प्रतिशत पानी दक्षिण-पश्चिम मानसून में बरसता है। अब भी हमारे देश में 70 से 80 प्रतिशत किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है। ऐसे में उनकी पैदावार पूरी तरह से मानसून के अच्छे या खराब रहने पर निर्भर करती है।
  • एग्रीकल्चर सेक्टर की भारतीय अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 14% है। वहीं, हमारे देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र ही रोजगार देता है। अच्छी बारिश का मतलब है कि आधी आबादी की आमदनी फेस्टिव सीजन से पहले अच्छी हो सकती है। जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता भी बढ़ेगी।
  • अच्छी बारिश की वजह से खरीफ की पैदावार भी अच्छी हुई। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 11.17 लाख हैक्टेयर में खरीफ की फसलें की बुवाई हुई है। पिछले साल 10.66 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। यानी पिछली बार से इस बार बुवाई ज्यादा हुई है।

किस डिविजन या राज्य में सबसे ज्यादा और कहां सबसे कम बारिश हुई?

  • देश में चार में से तीन महीने- जून (118%), अगस्त (127%) और सितंबर (104%) में सामान्य से अधिक बारिश हुई। जुलाई में (90%) जरूर इस बार सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई।
  • मौसम विभाग ने पूरे देश को चार डिविजन में बांट रखा है। पूर्व व उत्तर-पूर्व, मध्य भारत और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक बारिश हुई। वहीं, उत्तर-पश्चिम के इलाकों में सामान्य से कम बारिश दर्ज हुई है।
  • 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सामान्य बारिश हुई है जबकि नौ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सामान्य से बहुत अधिक बारिश हुई है। बिहार, गुजरात, मेघालय, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और लक्षद्वीप में सामान्य बारिश हुई है।
  • सिक्किम में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। हालांकि, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में कम बारिश हुई है। लद्दाख में भी तुलनात्मक रूप से कम बारिश हुई है।

क्या-क्या रिकॉर्ड बनाए हैं बारिश ने इस बार?

  • 30 साल में तीसरी सबसे ज्यादा बारिशः 1990 के बाद लॉन्ग पीरियड एवरेज के अनुपात में सबसे अच्छी बारिश 1994 में हुई थी, जब एलपीए का 112% बारिश हुई थी। इसके बाद 2019 में 110% और इस साल 109% बारिश हुई है।
  • 60 साल बाद लगातार दो साल सामान्य से अधिक बारिशः आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो 2019 और 2020 में लगातार दो साल एलपीए के अनुपात में 9% या उससे अधिक बारिश हुई है। आखिरी बार 1958 (एलपीए के मुकाबले 110%) और 1959 (एलपीए के मुकाबले 114%) में ऐसा ही हुआ था।
  • 44 साल में सबसे ज्यादा बारिश अगस्त में: अगस्त-2020 ने देश ने बारिश का 44 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस बार यह एलपीए का 124% रहा। अगस्त 1976 में एलपीए के मुकाबले 128.4% बारिश हुई थी। इसी तरह 36 साल में पहली बार अगस्त-सितंबर के बीच सबसे ज्यादा (130% ) क्युमुलेटिव बारिश हुई है।

ज्यादा बारिश होने की वजह क्या रही?

  • इस साल मानसून एक जून को केरल पहुंच गया था। निसर्ग तूफान ने इसे आगे बढ़ने में मदद की। इस साल मानसून 26 जून को ही पूरे देश को कवर कर चुका था। आम तौर पर 8 जुलाई को ऐसा होता है लेकिन इस बार 12 दिन पहले हो गया। विड्रॉल भी देर से शुरू हुआ। पश्चिम राजस्थान और पंजाब से मानसून की विदाई 28 सितंबर को शुरू हुई यानी सामान्य से 11 दिन लेट।
  • अगस्त में पांच बार लो प्रेशर एरिया बने। इसकी वजह से मध्य भारत में अच्छी बारिश हुई। आम तौर पर अगस्त में 15 लो-प्रेशर दिन होते हैं। इस बार 28 दिन लो-प्रेशर की स्थिति बनी। इससे ओडिशा, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, दक्षिण गुजरात और दक्षिण राजस्थान में की नदियों में 2-3 बार बाढ़ की स्थिति बनी।
  • पिछले 19 में से 18 वर्षों में पूर्वोत्तर में एलपीए से कम बारिश हुई है। सिर्फ 2007 में ही एलपीए के मुकाबले 110% बारिश हुई थी। यह संकेत देता है कि रीजन में बारिश लगातार कम हो रही है। 1950 से 1980 तक इसी तरह के संकेत मिले थे।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
IMD predicted Normal Monsoon| Monsoon 2020 | Above Normal Rains for Second Year In A Row| All You Need To Know About IMD Rainfall Data | Above Normal Rainfall during Monsoon Season | Latest Rainfall Data Latest News Updates
Source http://bhaskar.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ