DIGITELNEWS पर पढ़ें हिंदी समाचार देश और दुनिया से,जाने व्यापार,बॉलीवुड समाचार ,खेल,टेक खबरेंऔर राजनीति के हर अपडेट

 

अगर आप कोई बड़ा काम कर रहे हैं तो लोगों से मिलते-जुलते समय भी अपने लक्ष्य का ध्यान रखें

कहानी- रामायण में जब सीता का अपहरण हो गया तो श्रीराम और लक्ष्मण उनकी खोज कर रहे थे। बहुत कोशिशों के बाद भी सीता के बारे में कोई खबर नहीं मिल पा रही थी। दोनों भाई जंगल में भटक रहे थे। इस दौरान में शबरी के आश्रम में पहुंचे।

शबरी श्रीराम की भक्त थीं। उनके गुरु ने कहा था कि एक दिन यहां राम आएंगे तो वह आश्रम में उनका इंतजार कर रही थीं। जब श्रीराम-लक्ष्मण आश्रम में पहुंचे तो शबरी बहुत प्रसन्न हुईं। दोनों भाइयों को बैठाया, उन्हें भूख भी लग रही थी।

शबरी भोजन के लिए बेर लेकर आईं। बेर खट्टे न निकल जाएं इसलिए पहले वह खुद चखतीं और फिर श्रीराम को खाने के लिए देतीं। राम भी उस बेर को प्रेम से खा रहे थे, क्योंकि वे बेर मीठे होते थे।

ये देखकर लक्ष्मण को श्रीराम से दो शिकायतें हुईं। वे सोचने लगे कि राम खुद तो जूठे बेर खा रहे हैं और मुझे भी खिला रहे हैं। दूसरी शिकायत ये थी कि हमें सीताजी की खोज करनी है और भैया यहां आराम से बेर खा रहे हैं। तो क्या भैया ये बात भूल गए हैं कि हमें सीता को ढूंढना है।

श्रीराम ने जब बेर खा लिए तो उन्होंने शबरी से कहा, 'आप जो चाहती थीं, वह मैंने किया, हमने बेर खा लिए हैं। मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं। हम सीता को ढूंढ रहे हैं। आप वन में रहती हैं, कृपया हमें आगे जाने का रास्ता बताइए।' शबरी ने श्रीराम को आगे जाने का सही रास्ता बताया।

लक्ष्मण को ये समझ आ गया कि भैया कितने सचेत हैं, वे शबरी के जूठे बेर प्रेम से खा रहे थे, उसके साथ अच्छी तरह बात भी की, लेकिन उन्हें अपना काम भी मालूम है।

सीख - हमें भी अपने मूल लक्ष्य का ध्यान हमेशा रखना चाहिए। लेकिन, अन्य लोगों के साथ समय व्यतीत करना हो, किसी जगह पर रुकना हो तो वह भी करें, लेकिन अपना काम न भूलें।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, motivational story from ramayana, inspirational story by pandit vijayshankar mehta
Source http://bhaskar.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ