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4 महीने से चल रहे उलटफेर के पीछे राहुल! पंजाब की कलह से दूर शिमला चलीं सोनिया

नई दिल्ली अचानक मुख्यमंत्री बदलने का मौसम चल रहा है। गुजरात में बीजेपी ने किया तो अब पंजाब में कांग्रेस ने। दोनों ही राज्यों में पहले से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। रविवार को दिनभर कई नाम चर्चा में आते रहे पर, दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को पार्टी विधायक दल का नया नेता चुना गया। पंजाब के नए सीएम को बधाई देते हुए राहुल गांधी का ट्वीट आया जिसमें उन्होंने पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से आगे निरंतरता की बात कही। उन्होंने लिखा, 'चरणजीत सिंह चन्नी जी को नई जिम्मेदारी के लिए बधाई। हमें पंजाब के लोगों से किए वादों को लगातार पूरा करना जारी रखना है। विश्वास ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।' यह ट्वीट उस सच्चाई को छिपा नहीं सका कि इस ब्रेक के क्या मायने हैं, जहां पार्टी ने सरकार की विफलता की चर्चाओं के बीच राज्य में अपने सबसे बड़े क्षत्रप को हटा दिया है। राहुल गांधी भविष्य में फिर से कांग्रेस पार्टी की कमान संभाल सकते हैं और पंजाब में पिछले चार महीने से चल रहे इस सियासी उलटफेर में उनकी अहम भूमिका मानी जा रही है। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेस की कलह से दूर शिमला पहुंच गई हैं। वहां बेटी प्रियंका गांधी पहले से मौजूद हैं। ऐसे में साफ है कि पंजाब की सियासत का हर फैसला राहुल देख रहे हैं। राहुल गांधी आज पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हो सकते हैं। सिद्धू को राहुल का सपोर्ट क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रमोशन देकर राज्य में पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाता है। इस दौरान अमरिंदर सिंह पर सिद्धू के हमले जारी रहते हैं और आखिर में कैप्टन को हटा दिया जाता है। समझा जा रहा है कि उन्हें राहुल और प्रियंका गांधी का पूरा सपोर्ट मिला है। राहुल की जीत या हार होगीऐसा कहा जा सकता है कि पंजाब में उलटफेर के लिए राहुल जिम्मेदार हैं और आगे उन्हीं की जीत या हार मानी जाएगी। राज्य में अगले कुछ महीने में चुनाव होने हैं और सत्ताधारी पार्टी इसे हर हाल में जीतना चाहेगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था। पंजाब को लेकर पार्टी की गंभीर चिंताएं हैं जो चुनाव से ठीक पहले इस उलटफेर से साबित होती हैं। नए सीएम अंतरिम या गैप को पाटने या कहिए मतभेदों को सुलझाने के लिए आए हैं, इससे कुछ हद तक गुटबाजी पर भी विराम लगाने की कोशिश है। नवजोत सिंह सिद्धू हाईकमान की पसंद हैं और ऐसे माहौल में उन्हें अगले चुनाव में जीत का इंतजार करना होगा। केंद्रीय भूमिका में आए राहुल जिस तरह से राहुल गांधी पार्टी चीफ सोनिया गांधी, वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी और अपने करीबियों के साथ हाल की बैठकों में शामिल हुए और पिछले दो दिनों से चंडीगढ़ में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के संपर्क में रहे, उससे वह पार्टी के केंद्र में आ गए हैं। दलित नेता चन्नी को सीएम पद देकर राहुल ने पंजाब की धरती से यूपी, राजस्थान और दूसरे राज्यों के लोगों को राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। ओबीसी पर डोरे डाल रही पार्टियों के बीच राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले से दलित कार्ड खेला है। बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी के नाम की जोरदार पैरवी की थी और फिर राहुल गांधी ने दिल्ली में सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेताओं के साथ लंबी मंत्रणा के बाद चन्नी के नाम पर मुहर लगाई। चन्नी दलित सिख (रामदसिया सिख) समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह इस क्षेत्र से साल 2007 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार जीत दर्ज की।
Source navbharattimes

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