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अल्लाह पर भी टिप्पणी कर चुके हैं राम के अस्तित्व को नकारने वाले जीतन राम मांझी

पटना। मध्य प्रदेश सरकार के नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कॉलेजों में 'रामचरितमानस का व्यावहारिक दर्शन' नाम से सिलेबस तैयार किया गया है। नए सिलेबस के तहत रामचरित मानस का व्यावहारिक ज्ञान के नाम से एक पूरा पेपर होगा जिसमें छात्रों को रामचरित मानस से जुड़े आदर्शों का अध्ययन कराया जाएगा। बिहार बीजेपी के नेताओं ने भी मध्य प्रदेश की तरह बिहार के स्कूल-कॉलेजों के सिलेबस में भी रामायण को शामिल करने की मांग की गई है। अल्लाह पर भी टिप्पणी कर चुके हैं जीतन राम मांझी ने एक सभा को संबोधित करते हुए यह कहा था कि कर्म ही पूजा होता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने भी कहा है जो कर्म करता वही बड़ा होता है। जीतन राम मांझी ने कहा कि, यह नहीं कि हम मंदिर में जाकर घंटी बजाएं और मस्जिद में जाकर अल्लाह को चिल्लाकर याद करें, जैसे लगता है कि अल्लाह बहरा हो गए हैं। जीतन राम मांझी ने भगवान राम के अस्तित्व पर ही उठाया सवाल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा कि भगवान राम कोई जीवित और महापुरुष व्यक्ति थे ऐसा वे नही मानते। इतना ही नही जीतन राम मांझी ने यहां तक कहा कि वे रामायण की कहानी को भी सच नहीं मानते। लेकिन रामायण में कही गई बातों का वे समर्थन जरूर करते हैं। उन्होंने कहा कि रामायण में लोगों के लिए अच्छी बातें कही गई है, इन बातों से बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण होता है। रामायण के कई श्लोक है जो हमे सही राह पर चलने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि वे रामायण में कही गई बातों को शिक्षा में शामिल करने के पक्षधर है। मांझी के इस बयान के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। जीतन राम मांझी को रामायण पाठ करना चाहिए : बीजेपी भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को बीजेपी ने नसीहत दी है। बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम पर सवाल उठाने वाले जीतन राम मांझी को रामायण पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से उनके मन में पल रहा भ्रम दूर हो जाएगा। प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि नासा ने भी रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया और जब पुरातत्व विभाग ने जब राम जन्म भूमि की खुदाई की तो वहां मंदिर के अवशेष पाए गए। राम के अस्तित्व को नकारने वाले किस मंशा से इस तरह का बयान दे रहे हैं यह तो वही बता सकते हैं। लेकिन यह तय है कि अगर भगवान राम पर के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले रामायण का पाठ करेंगे तो उनके मन में भी भगवान श्री राम के प्रति समर्पण की भावना जाग उठेगी। मांझी पर प्रतिक्रिया देने से बचते रहे जेडीयू के प्रवक्ता जीतन राम मांझी द्वारा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाने के बाद जेडीयू की ओर से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की जा रही। हालांकि मंगलवार को ही जेडीयू नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने बिहार के स्कूल कॉलेजों में रामचरितमानस की पढ़ाई की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि रामायण और गीता को पढ़ने पर रोक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि बिहार के स्कूल कॉलेज के सिलेबस में रामचरितमानस को शामिल किया जाए ऐसा कोई प्रस्ताव उनके पास नहीं पहुंचा है। गौरतलब है कि मंगलवार को बीजेपी के नेताओं ने मध्य प्रदेश की तरह बिहार के स्कूल कॉलेजों में भी रामचरितमानस को सिलेबस में शामिल करने की मांग बिहार सरकार से की गई थी। लेकिन बुधवार को जीतन राम मांझी के बयान पर प्रतिक्रिया देने से जेडीयू के नेता बचते नजर आ रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का अस्तित्व आज जन-जन में : आरजेडी जीतन राम मांझी जी तो एनडीए में बीजेपी के साथ है। उन्होंने कहा है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का अस्तित्व ही नहीं है। अब तो बीजेपी को बताना चाहिए जो लोग भगवान श्री राम के नाम पर नारे लगाते हैं और भगवान राम का नाम पर राजनीति करते हैं वह बताएं, जीतन राम मांझी आखिर किस को आंख दिखा रहे हैं। रामचरितमानस मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र और जीवनी को दर्शाता है और रामचरितमानस का अस्तित्व है। इसलिए भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करना कहीं से भी उचित नहीं हैं। आरजेडी का कहना है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को सब लोग मानते हैं और उनका अस्तित्व आज जन-जन में विराजमान है। कांग्रेस ने कहा यह आस्था का विषय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाने पर कांग्रेस ने खुलकर प्रतिक्रिया तो नहीं दी। लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि भारत ऋषि-मुनियों के साथ धार्मिक देश रहा है। यहां सभी धर्मों का आदर होता है और सभी धर्मों में लोग आस्था रखते हैं। रामचरितमानस को बिहार के स्कूल कॉलेज के सिलेबस में शामिल किया जाए या नहीं यह तो सरकार को तय करना है।
Source navbharattimes

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