नई दिल्ली झारखंड की विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिए अलग कमरा अलॉट किए जाने का मामला यूपी और बिहार की विधानसभाओं तक पहुंच गया। उत्तर प्रदेश में कानपुर के विधायक इरफान सोलंकी ने मांग की है कि यहां की विधानसभा में भी झारखंड जैसी ही व्यवस्था होनी चाहिए। एसपी विधायक ने कहा कि सत्र के दौरान नमाज पढ़ने में दिक्कत होती है, ऐसे में आस्था को ध्यान में रखते हुए ये सही फैसला होगा। उधर, बिहार में बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने मांग की है कि राज्य विधानसभा में हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए अलग कमरा बनाया जाए, साथ ही मंगलवार की छुट्टी भी घोषित कर दी जाए। बीजेपी विधायक ने कहा कि संविधान सभी को बराबरी का हक देता है, अगर नमाज के लिए कमरा मिल रहा है तो हनुमान चालीसा के लिए भी ऐसा होना चाहिए। एसपी विधायक की दलील कानपुर के सिसमऊ से एसपी विधायक इरफान सोलंकी ने विधानसभा अध्यक्ष से गुहार लगाई कि झारखंड की तरह उत्तर प्रदेश की विधानसभा में भी नमाज के लिए अलग से कमरा मुहैया कराई जााए। उन्होंने कहा, 'मैं 15 साल से विधायक हूं। कई बार जब विधानसभा की कार्यवाही चल रही होती है तो हम मुस्लिम विधायकों को नमाज के लिए सदन से निकलना पड़ता है।' उन्होंने कहा, 'अगर विधानसभा में नमाज के लिए एक छोटा सा कमरा आवंटित हो जाता है तो हमें कार्यवाही छोड़नी नहीं पड़ेगी। कई मौकों पर जब सवाल पूछने की बारी आती है तभी अजान का वक्त हो जाता है। ऐसे में आप सवाल पूछ सकते हैं या फिर नमाज अता कर सकते हैं।' सोलंकी ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर भी इबादत के लिए एक कमरा होता है। विधानसभा अध्यक्ष इस पर विचार कर सकते हैं और इससे किसी का कोई नुकसान भी नहीं होगा।' हालांकि, सोलंकी ने स्पीकर को कोई लिखित आवेदन नहीं दिया है। झारखंड विधानसभा ने 2 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी करके कमरा संख्या TW 348 को नमाज हॉल के रूप में आवंटित कर दिया है। नोटिफिकेशन पर विधानसभा के डेप्युटी सेक्रटरी नवीन कुमार का हस्ताक्षर है। नोटिफिकेशन स्पीकर के आदेश पर जारी किया गया है। हाई कोर्ट पहुंचा मामलाझारखंड उच्च न्यायालय में मंगलवार को एक जनहित याचिका दायर कर विधानसभा अध्यक्ष के उस आदेश को चुनौती दी गई जिसमें उन्होंने राज्य विधानसभा में नमाज अदा करने के लिए एक कमरा आवंटित किया था। दावा किया गया कि यह गलत चलन है। यह आरोप लगाते हुए कि अधिनियम असंवैधानिक है, याचिकाकर्ता ने सवाल किया कि क्या ऐसा आवंटन करदाता के पैसे से बने भवन पर किया जा सकता है। याचिकाकर्ता भैरव सिंह ने कहा कि विधानसभा भवन लोकतंत्र का मंदिर है और किसी की निजी संपत्ति नहीं है। गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष ने नमाज अदा करने के लिए कमरा नंबर टीडब्ल्यू-348 आवंटित किया है, जिसके बाद भाजपा ने मांग की है कि विधानसभा परिसर में एक हनुमान मंदिर और अन्य धर्मों के पूजा स्थल बनाए जाएं। क्या कहते हैं झारखंड के स्पीकर विधानसभा अध्यक्ष रबिंदर महतो का कहना है कि पुरानी विधानसभा बिल्डिंग में भी लाइब्रेरी के ऊपर का कमरा जुमे की नमाज के लिए इस्तेमाल किया जाता था। हम नई बिल्डिंग में शिफ्ट हुए तो वहां भी नमाज के लिए एक जगह मुहैया करा दी। अगर इसकी औपचारिक अधिसूचना निकाल दी गई तो इसमें गलत क्या है? अलग कमरे की मांग नहीं हुई तो नोटिफिकेशन क्यों? झारखंड सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाफिजुल हसन ने कहा कि उन्होंने या किसी और मुस्लिम विधायक ने नमाज रूम के लिए कोई औपचारिक आग्रह नहीं किया। विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों, अधिकारियों समेत करीब 50 मुसलमान यहां होते हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि कमरा आवंटित होने में कोई हर्ज है। हम पहले भी नमाज अता करते थे, लेकिन उसके लिए औपचारिक तौर पर कमरे आवंटित नहीं थे। मेरे पिता (हाजी हुसैन अंसारी) भी पुरानी बिल्डिंग में नमाज अता किया करते थे।' बिहार में भी दिया गया था अलग कमरा पूर्व कांग्रेस सांसद फुरकान असांरी ने कहा कि वर्ष 2000 में झारखंड विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने नमाज के लिए एक कमरा आवंटित किया था। हालांकि, नामधारी ने इस दावे का खंडन किया है। उन्होंने 1980 के दशक में बिहार विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को नमाज के लिए एक कमरा आवंटित किया गया था। उन्होंने कहा, 'कुछ मुस्लिम विधायकों ने सदन की कार्यवाही के बीच कुछ देर की छुट्टी मांगी थी क्योंकि उन्हें नमाज के लिए मस्जिद जाना था। उन्हें अनुमति दी गई थी और बाद में नमाज के लिए एक कमरा भी दिया गया था।' नामधारी साल 2000 में झारखंड के अस्तित्व में आने से पहले बिहार विधानसभा के सदस्य थे। बीजेपी की दलील झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी विधायक सीपी सिंह का कहना है कि उनकी पार्टी किसी धर्म का विरोधी नहीं है, लेकिन जो असंवैधानिक है, उसका विरोध तो किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'संविधान के मुताबिक, सबको अपना धर्म मानने की आजादी है। लेकिन, संसद और विधानसभाएं लोकतंत्र के मंदिर हैं ना कि किसी खास धर्म का प्रार्थना स्थल।' सिंह ने कहा, 'अगर विधानसभाध्यक्ष नमाज के लिए जगह दे सकते हैं तो हम भी उनसे हनुमान मंदिर के लिए जगह की मांग कर रहे हैं।' बिहार में किसने, क्या कहा इधर, बिहार में मधुबनी के बिस्फी से विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि झारखंड विधानसभा में जिस तरह अभी नमाज पढ़ने के लिए एक कमरा दिया गया है, राजनीति में यह कहीं से सही नहीं। बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष राज्य और राष्ट्र की जो कल्पना है, उसमें सत्ता धर्म के लिए कोई सुख सुविधा नहीं दे सकती। उन्होंने आगे यह भी कहा कि अगर नमाज के लिए कमरा दिया गया है, तो हनुमान चालीसा और प्रार्थना के लिए रूम दिया जाना चाहिए। ये हम सरकार से मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण की बात नहीं होनी चाहिए। जेडीयू को आपत्ति गठबंधन के साथी जनता दल (यूनाइटेड) ने बीजेपी विधायक की इस मांग पर आपत्ति जताई है। जदयू के विधान पार्षद गुलाम गौस ने कहा कि देश में सभी धर्म के लोग एक समान हैं। उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा कि हमेशा सभी धर्मो के लोग यहां मिलकर रहते आ रहे हैं। गौस ने कहा कि इस देश की बहुत गौरवशाली परंपरा रही है। नमाज तो हम कहीं भी पढ़ सकते हैं। उन्होंने लोगों को नसीहत देते हुए कहा कि ऐसे मामलों को राजनीति का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने बिना किसी पार्टी के नाम लिए कहा कि धर्म के नाम पर न किसी को उदारता दिखानी चाहिए और न ही सांप्रदायिकता फैलानी चाहिए। इस्लाम और नमाज हर मुसलमान के पांच धार्मिक कर्तव्यों में एक नमाज भी शामिल है। इस्लाम प्रत्येक मुसलमान पर चार अन्य फर्ज तामील करता है- वो हैं कलमा, रोज़ा, ज़कात और हज। ब्रिटिश लाइब्रेरी की वेबसाइट पर 23 सितंबर, 2019 को प्रकाशित एक लेख में इस्लामी मामलों के जानकार अमजद एम. हुसैन बताते हैं कि इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान पांच पर नमाज का आदेश देता है, लेकिन उसमें समय-सारणी नहीं दी गई है। हदीस में बताया गया है कि नमाज का कौन-कौन सा वक्त होगा। पांच वक्त की नमाज इसके मुताबिक, सुबह, दोपहर, दिन ढलने से पहले, सूरज ढलने के बाद और रात को नमाज पढ़े जाते हैं जिन्हें क्रमशः फज्र, जुह्र, अस्त्र, मगरिब और इशा का नमाज कहा जाता है। शुक्रवार को होने वाली दिन की नमाज जुम्मे की नमाज से मशहूर है। जुमे की नमाज में भाग लेना हर मुसलमान के लिए अनिवार्य है। मुस्लिम महिलाएं के लिए जुमे की नमाज में शामिल होने की हिदायत दी गई है। हालांकि, हदीसों में यह भी बताया गया है कि किन कारणों से जुमे की नमाज छोड़ी जा सकती है।
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