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फारूक अब्दुल्ला को तालिबान 'कबूल', पूछा- उनसे रिश्ता रखने में कैसा नुकसान?

श्रीनगर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि अफगानिस्तान में तालिबान निजाम से बातचीत की जाए। अफगानिस्तान में भारत के भारी निवेश का हवाला देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि तालिबान अब वहां सत्ता में हैं, तो उनसे बात करनी चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा कि तालिबान से रिश्ता रखने में नुकसान ही क्या है? फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'तालिबान अब अफगानिस्तान की सत्ता में है। अफगानिस्तान में पुरानी सत्ता के दौरान भारत ने अलग-अलग परियोजनाओं में अरबों खर्च किए। हमें अफगानिस्तान की मौजूदा सत्ता से बात करनी चाहिए। जब हमने इस देश में इतना निवेश किया है, तो उनसे रिश्ता रखने में क्या नुकसान है?' 'भारत ने 3 बिलियन से ज्यादा खर्च किए' अब्दुल्ला ने कहा, 'अफगानिस्तान एक आजाद मुल्क है। वहां अब तालिबान आया है। हिंदुस्तान ने वहां तीन बिलियन रुपये तालिबान में खर्च किए हैं। आज भी अफगानी यहां आराम से रह रहे हैं। हमें उनकी हुकूमत से बात करनी चाहिए। दोस्ती करना क्या मुश्किल है?' 'कौन देश हमारा दोस्त है?' देशों के साथ भारत के रिश्ते को लेकर उन्होंने कहा कि कौन सा देश आज हमारा दोस्त है? नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका कोई हमारा नहीं है। पाकिस्तान तो हमारा दोस्त कभी था ही नहीं? हमने क्या जीता क्या हारा' 'कश्मीर नहीं आने वाला तालिबान' जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर का मामला नहीं है। तालिबान यहां नहीं आने वाले। वह पहले अपना मसला हल कर लें। हमारे अंदर सिर्फ डर पैदा किया गया है कि तालिबान हमारे यहां आने वाले हैं। 'अमेरिका से मदद लेने की जरूरत नहीं' एनसी के अध्यक्ष ने कहा कि हमें अमेरिका के पास जाने की जरूरत नहीं है। हम लोग 1.3 बिलियन लोग है। चीन के बाद सबसे ज्यादा आबादी हमारी है। हमें अपने पैरों पर खड़ा होना है, तभी हम अपने देश को बचा सकते हैं। भारत ने बना रखी है दूरी आपको बता दें कि 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के साथ ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर हुकूमत कायम कर ली है। हालांकि, भारत ने अभी तालिबान से दूरी बना रखी है। तालिबान के इतिहास को देखते हुए केंद्र सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है और 'वेट एंड वॉच' की नीति अपनाई है।
Source navbharattimes

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