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100 करोड़ वैक्सीनेशन: राष्ट्र के नाम संबोधन में क्या-क्या बोले मोदी, जानिए सारी बड़ी बातें

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश को संबोधित करते हुए कोरोना वैक्सीनेशन के आंकड़े को 100 करोड़ डोज पार करने को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह महज एक आंकड़ा नहीं है बल्कि नए भारत की तस्वीर है। इतिहास के नए अध्याय की रचना है। शुक्रवार सुबह पीएम मोदी ने अचानक ट्वीट किया वह आज 10 बजे देश को संबोधित करेंगे। उनके ट्वीट के बाद से ही कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए कि पीएम मोदी अपने भाषण में क्या कोई बड़ा ऐलान करने वाले हैं, किन-किन मुद्दों पर बात कर सकते हैं आदि। पीएम मोदी का पूरा भाषण LIVE ''नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों, आज मैं अपनी बात की शुरुआत एक वेद वाक्य से करना चाहता हूं। 'कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो मे सव्य आहितः ।' इस बात को भारत के संदर्भ में देखें तो बहुत सीधा-सादा अर्थ यही है कि हमारे देश ने एक तरफ कर्तव्य का पालन किया तो दूसरी तरफ उसे बड़ी सफलता मिली। कल 21 अक्टूबर को भारत ने 1 अरब यानी 100 करोड़ वैक्सीन डोज का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया। इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्यशक्ति लगी है। इसलिए यह सफलता भारत की सफलता है, हर देशवासी की सफलता है। मैं इसके लिए हर देशवासी को हृदय से बधाई देता हूं। साथियो, 100 करोड़ वैक्सीन डोज ये केवल एक आंकड़ा नहीं है। ये देश के सामर्थ्य का प्रतिबिंब है। इतिहास के नए अध्याय की रचना है। यह उस नए भारत की तस्वीर है जो कठिन लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें हासिल करना जानता है। यह नए भारत की तस्वीर है जो अपने संकल्पों की सिद्धि के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करता है। साथियो, आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं। भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का आंकड़ा पार किया है, उसकी सराहना भी हो रही है लेकिन इस विश्लेषण में एक बात छूट जा रही है कि हमने ये शुरुआत कहां से की है। दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना इसमें दशकों से उनकी महारत है, भारत अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीनेशन पर ही निर्भरत रहता था। हम बाहर से मंगवाते थे। इसीलिए जब 100 साल की सबसे भीषण महामारी आई तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी? भारत के लोगों को मिलेगी भी या नहीं मिलेगी? क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे लेकिन आज ये 100 वैक्सीन डोज हर सवाल का जवाब दे रहा है। भारत ने अपने नागरिकों को 100 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई है और वो भी मुफ्त, बिना पैसा लिए। साथियो, 100 करोड़ वैक्सीन डोज का एक प्रभाव ये भी होगा कि दुनिया अब भारत को कोरोना से ज्यादा सुरक्षित मानेगी। एक फार्मा हब के तौर पर भारत को दुनिया में जो स्वीकृति मिली है, उसे और मजबूती मिलेगी। पूरा विश्व आज भारत की इस ताकत को देख रहा है, महसूस कर रहा है। साथियो, भारत का वैक्सीनेशन अभियान सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का सबसे जीवंत उदाहरण है। कोरोना महामारी की शुरुआत में ये भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि भारत जैसे लोकतंत्र में इस महामारी से लड़ना बहुत ही मुश्किल होगा। भारत के लिए, भारत के लोगों के लिए ये भी कहा जा रहा था कि इतना संयम, इतना अनुशासन यहां कैसे चलेगा। लेकिन हमारे लिए लोकतंत्र का मतलब है सबका साथ। सबको साथ लेकर देश ने सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन का अभियान शुरू किया है। गरीब-अमीर, गांव-शहर, दूर-सुदूर देश का यही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं करती तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता। इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर वीआईपी कल्चर हावी न हो। कोई कितने भी बड़े पद पर रहा हो, कितना ही धनी क्यों न रहा हो, उसे वैक्सीन सामान्य नागरिकों की तरह ही मिलेगी। साथियो, हमारे देश के लिए ये भी कहा जा रहा था कि यहां ज्यादातर लोग टीका लगवाने के लिए आएंगे ही नहीं। दुनिया के कई बड़े विकसित देशों में वैक्सीन हेजिटेंसी एक बड़ी चुनौती बन गई है लेकिन भारत के लोगों ने 100 करोड़ डोज लेकर ऐसे लोगों को निरूत्तर कर दिया है। साथियो, किसी अभियान में जब सबका प्रयास जुड़ जाता है तो परिणाम अद्भुत ही होते हैं। हमने महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई में जनभागीदारी को अपनी ताकत बनाया। फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस बनाया। देश ने अपनी एकजुटता को ऊर्जा देने के लिए ताली-थाली बजाई, दीये जलाए तब कुछ लोगों ने कहा था कि क्या इससे बीमारी भाग जाएगी। लेकिन हम सभी को उसमें देश की एकता दिखी, सामूहिक शक्ति का जागरण दिखा। इसी ताकत ने कोविड वैक्सीनेशन में आज देश को इतने कम समय में 100 करोड़ तक पहुंचाया है। कितनी ही बार हमारे देश ने एक दिन में 1 करोड़ के टीकाकरण का आंकड़ा पार किया है। यह बहुत बड़ा सामर्थ्य है, प्रबंध कौशल है। टेक्नॉलजी का बेहतरीन इस्तेमाल है जो आज बड़े-बड़े देशों के पास भी नहीं है। साथियो, भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम विज्ञान की कोख में जन्मा है। वैज्ञानिक आधारो पर पनपा है और वैज्ञानिक तरीकों से सारे दिशाओं में पहुंचा है। हम सभी के लिए गर्व करने की बात है कि भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम साइंस बॉर्न, साइंस ड्रिवेन और साइंस बेस्ड रहा है। वैक्सीन बनने से पहले और वैक्सीन लगने तक इस पूरे अभियान में हर जगह साइंस और साइंटिफिक अप्रोच शामिल रही है। हमारे सामने चुनौती मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर भी थी, प्रोडक्शन को बढ़ाने की भी थी। इतना बड़ा देश, इतनी बड़ी आबादी और इसके बाद अलग-अलग राज्यों में, अलग-अलग इलाकों में वैक्सीन पहुंचाना यह भी किसी भागीरथ कार्य से कम नहीं था। लेकिन वैज्ञानिक तौर-तरीकों और बड़े-बड़े इनोवेशन से देश ने इन चुनौतियों के समाधान तलाशे, असाधारण स्पीड से संसाधनों को बढ़ाया गया। किस राज्य को कितनी वैक्सीन कब मिलनी चाहिए, किस इलाके में कितनी वैक्सीन पहुंचनी चाहिए, इसके लिए भी वैज्ञानिक फॉर्म्युले के तहत काम हुआ। हमारे देश ने कोविन प्लेटफॉर्म की जो व्यवस्था बनाई है, वह भी विश्व में आकर्षण का केंद्र है। भारत में बने कोविन प्लेटफॉर्म ने न सिर्फ आम लोगों को सहूलियत दी बल्कि हमारे मेडिकल स्टाफ का काम आसान बनाया। साथियो, आज चारों तरफ एक विश्वास है। उत्साह है। उमंग है। समाज से लेकर इकॉनमी तक हम क्षेत्र में आशावाद ही नजर आता है। एक्सपर्ट और देश-विदेश की अनेक एजेंसी भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत सकारात्मक है। आज भारतीय कंपनियों में न सिर्फ रिकॉर्ड इन्वेस्टमेंट आ रहा है बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बढ रहे हैं। स्टार्टअप्स में रिकॉर्ड इन्वेस्टमेंट के साथ ही रिकॉर्ड स्टार्टअप यूनिकॉर्न्स बन रहे हैं। हाउसिंग सेक्टर में भी नई ऊर्जा दिख रही है। पिछले महीनों में किए गए कई सारे रिफॉर्म्स, कई सारे इनिशिएटिव, गतिशक्ति से लेकर नई ड्रोन पॉलिसी तक भारत की अर्थव्यवस्था को और तेजी से आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएंगी। कोरोना काल में कृषि क्षेत्र ने हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती से संभाले रखा। आज रिकॉर्ड लेवल पर अनाज की खरीद हो रही है, किसानों के बैंक खाते में सीधे पैसे जा रहे हैं। वैक्सीन के बढ़ते हुए कवरेज के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक गतिविधियां हों, खेल जगत हो, टूरिज्म हो, एंटरटेनमेंट हो सब तरफ सकारात्मक गतिविधियां तेज हो रही हैं। आने वाले त्योहारों का मौसम इसे और गति देगा, और शक्ति देगा। साथियो, एक जमाना था जब मेड इन ये कंट्री, मेड इन वो कंट्री इसी का बोलबाला था। बहुत क्रेज हुआ करता था लेकिन आज हर देशवासी ये साक्षात अनुभव कर रहा है कि मेड इन इंडिया की ताकत बहुत बड़ी होती है। इसलिए मैं आज आपसे फिर कहूंगा कि हर छोटी से छोटी चीज जो मेड इन इंडिया हो, जिसे बनाने में किसी भारतवासी का पसीना बहा हो उसे खरीदने पर जोर देना चाहिए। और ये सबके प्रयास से ही संभव होगा। जैसे स्वच्छ भारत अभियान एक जनआंदोलन है, वैसे ही भारत में बनी चीज खरीदना, भारतीयों द्वारा बनाई चीज खरीदना, वोकल फॉर लोकल ये हमें व्यवहार में लाना ही होगा। और मुझे विश्वास है कि सबके प्रयास से हम ये भी करके रहेंगे। आप याद करिए, पिछली दिवाली। हर किसी के मस्तिष्क में एक तनाव था लेकिन इस दिवाली 100 करोड़ वैक्सीन डोज के कारण एक विश्वास का भाव है। अगर मेरे देश की वैक्सीन मुझे सुरक्षा दे सकती है तो मेरे देश का उत्पादन, मेरे देश में बने सामान, मेरी दिवाली और भी भव्य बना सकते हैं। दिवाली के दौरान बिक्री एक तरफ और बाकी साल की बिक्री एक तरफ होती है। हमारे यहां दिवाली के समय, त्योहारों के समय बिक्री एकदम बढ़ जाती है। 100 करोड़ वैक्सीन डोज हमारे छोटे-छोटे दुकानदारों, हमारे छोटे-छोटे उद्यमियों, हमारे रेहड़ी-पटरी वाले भाइयों-बहनों सभी के लिए आशा की किरण बनकर आई है। साथियो, आज हमारे सामने अमृत महोत्सव के संकल्प हैं तो ऐसे में हमारी ये सफलता हमें एक नया आत्मविश्वास दिलाती है। हम आज कह सकते हैं कि देश बड़े लक्ष्य तय करना और उसे हासिल करना बखूबी जानता है। लेकिन इसके लिए हमें सतत सावधान रहने की जरूरत है। हमें लापरवाह नहीं होना है। कवच कितना ही उत्तम हो, कवच कितना ही आधुनिक हो, कवच से सुरक्षा की गारंटी हो तब भी जबतक युद्ध चल रहा है, हथियार नहीं डाले जाते। मेरा आग्रह है कि हमें अपने त्योहारों को पूरी सतर्कता के साथ ही मनाना है। जहां तक मास्क का सवाल है..कभी-खबी जरा..लेकिन अब तो डिजाइन की दुनिया भी मास्क में प्रवेश कर चुकी है..मेरा इतना ही कहना है। जैसे हमें जूते पहनकर ही बाहर जाने की आदत लग गई है न, बस वैसे ही हमें मास्क पहनने को भी एक सहज स्वभाव बनाना ही होगा। जिनको अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है, वो इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दें। जिन्हें वैक्सीन लग गई है, वो दूसरों को प्रेरित करें। मुझे पूरा भरोसा है कि हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो कोरोना को और जल्द हरा सकेंगे। आप सभी को आने वाले त्योहारों की एक बार फिर बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।''
Source navbharattimes

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