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'राजनीतिक धोखाधड़ी का असली मतलब यही', किसान आंदोलन पर पीएम मोदी की खरी-खरी

नई दिल्‍ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल पारित कृषि कानूनों के विरोध को 'राजनीतिक धोखाधड़ी' करार दिया है। मोदी ने 'ओपन' मैगजीन को दिए इंटरव्‍यू में कहा, 'कई राजनीतिक दल हैं जो चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करते हैं, उन्‍हें मैनिफेस्‍टो में भी डालते हैं। फिर, जब वक्‍त आता है वादा पूरा करने का तो यही दल यू-टर्न ले लेते हैं और अपने ही किए वादों को लेकर हर तरह की मनगढ़ंत और झूठी बातें फैलाते हैं। अगर आप किसान हित में किए गए सुधारों का विरोध करने वालों को देखेंगे तो आपको बौद्धिक बेइमानी और राजनीतिक धोखाधड़ी का असली मतलब दिखेगा।' 'पहले मांग, अब विरोध... ये तो बौद्धिक बेइमानी'मोदी ने आगे कहा, 'ये वही लोग हैं जिन्‍होंने मुख्‍यमंत्रियों को पत्र लिखकर वही करने को कहा जो हमारी सरकार ने किया है। ये वही लोग हैं जिन्‍होंने अपने मैनिफेस्‍टो में लिखा कि वे वही सुधार लागू करेंगे जो हम लेकर आए हैं। फिर भी, चूंकि हम एक अलग राजनीतिक‍ दल हैं, जिसे लोगों ने अपना प्‍यार दिया है और जो वही सुधार लागू कर रहा है, तो उन्‍होंने पूरी तरह यू-टर्न ले लिया है और बौद्धिक बेइमानी का भौंडा प्रदर्शन कर रहे हैं। यह पूरी तरह से नजरअंदाज कर लिया गया है कि किसान हित में क्‍या है, सिर्फ इसकी सोची जा रही है कि राजनीतिक रूप से उन्‍हें फायदा कैसे होगा।' पीएम के अनुसार, 'यही राजनीतिक धोखाधड़ी आधार, जीएसटी, कृषि कानूनों और यहां तक कि सैन्‍य बलों के हथियारों जैसे गंभीर मामलों पर देखी जा सकती है। वादा करो, उसके लिए तर्क दो और फिर बिना किसी नैतिक मूल्‍य के उसी चीज का विरोध करो।' 'मोदी को कोई रोक नहीं पाएगा...'प्रधानमंत्री ने इंटरव्‍यू में आगे कहा, 'जो लोग ऐसे विवाद पैदा करते हैं, उन्‍हें लगता है कि मुद्दा ये नहीं कि इन फैसलों से जनता को फायदा होगा कि नहीं। उनके लिए मुद्दा ये है कि अगर इस तरह के फैसले लिए गए तो मोदी की सफलता को कोई रोक नहीं पाएगा।' मोदी ने कहा, 'आपको नहीं लगता कि राजनीतिक दल अपना माखौल बना रहे थे जब उनके सदस्‍यों ने नई संसद की जरूरत पर बात की, पिछले स्‍पीकर्स ने कहा कि नई संसद की जरूरत है? लेकिन अगर कोई ऐसा करने चले तो वे लोग कुछ बहाने बनाकर विरोध करेंगे, यह कितना सही है?' पीएम मोदी ने कहा कि 'हम छोटे किसानों को सशक्‍त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कृषि कानूनों को लेकर सरकार पहले दिन से कह रही है जिन बिंदुओं पर असहमति है, सरकार बैठकर उसपर बात करने के लिए तैयार है। इस संबंध में कई बैठकें भी हुई हैं लेकिन अभी तक कोई एक शख्‍स भी यह बता नहीं सका है कि किस बिंदु में बदलाव की जरूरत है।
Source navbharattimes

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