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मंदिरों को चलाने का अधिकार सिर्फ हिंदुओं को- दशहरा भाषण में ऐसा क्‍यों बोले भागवत?

नागपुर (RSS) के सर संघचालक मोहन भागवत () ने देश में कुछ मंदिरों की स्थिति पर चिंता जताई है। भागवत ने शुक्रवार को कहा कि ऐसी संस्थाओं के संचालन के अधिकार हिंदुओं को सौंपे जाने चाहिए और इनकी संपत्ति का उपयोग केवल हिंदू समुदाय के कल्याण के ल‍िए किया जाना चाहिए। यहां रेशमीबाह में वार्षिक विजयदशमी उत्सव में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि दक्षिण भारत के मंदिरों पर पूरी तरह राज्य सरकार का नियंत्रण है जबकि देश में कुछ हिस्सों में मंदिरों का प्रबंधन सरकार और कुछ अन्य का श्रद्धालुओं के हाथ में है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सरकार की ओर से संचालित माता वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिरों का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगांव में स्थित गजानन महाराज मंदिर, दिल्ली में झंडेवाला मंदिर, जो भक्तों की ओर से संचालित हैं, को भी बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है। भागवत ने कहा क‍ि लेकिन उन मंदिरों में लूट है जहां उनका संचालन प्रभावी ढंग से नहीं हो रहा है। जहां ऐसी चीजें ठीक से काम नहीं कर रही हैं, वहां एक लूट मची हुई है। कुछ मंदिरों में शासन की कोई व्यवस्था नहीं है। मंदिरों की चल और अचल संपत्तियों के दुरुपयोग के उदाहरण सामने आए हैं। ईश्वर के अलावा कोई भी मंदिर का स्वामी नहीं हो सकता भागवत ने कहा क‍ि हिंदू मंदिरों की संपत्ति का उपयोग गैर-हिंदुओं के लिए किया जाता है। जिनकी हिंदू भगवानों में कोई आस्था नहीं है। हिंदुओं को भी इसकी जरूरत है, लेकिन उनके लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कुछ आदेश हैं। साथ ही कहा क‍ि शीर्ष अदालत ने कहा कि ईश्वर के अलावा कोई भी मंदिर का स्वामी नहीं हो सकता। पुजारी केवल प्रबंधक है। इसने यह भी कहा कि सरकार प्रबंधन उद्देश्यों से इसका नियंत्रण ले सकती है लेकिन कुछ समय के लिए। लेकिन उसे स्वामित्व लौटाना होगा। इसलिए इस पर उचित ढंग से निर्णय लिया जाना चाहिए। हिंदू समाज मंदिरों की देख-रेख कैसे करेगा, इस पर हो फैसला आरएसएस प्रमुख ने कहा क‍ि और इस संबंध में भी फैसला लिया जाना चाहिए कि हिंदू समाज इन मंदिरों की देख-रेख कैसे करेगा। आरएसएस की ओर से साझा किए गए लिखित भाषण में, भागवत ने कहा कि जाति और पंथ के बावजूद सभी भक्तों के लिए मंदिर में भगवान के दर्शन, उनकी पूजा के लिए गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच और अवसर भी हर जगह अमल में नहीं लाए जाते, लेकिन इन्हें (गैर भेदभाव पूर्ण पहुंच और अवसर) सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हिंदू समाज की ताकत के आधार पर हो मंदिरों के उचित प्रबंधन भागवत ने कहा कि यह सभी के लिए स्पष्ट है कि मंदिरों की धार्मिक आचार संहिता के संबंध में कई निर्णय विद्वानों और आध्यात्मिक शिक्षकों के परामर्श के बिना 'मनमौजी ढंग से' किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की ताकत के आधार पर मंदिरों के उचित प्रबंधन और संचालन को सुनिश्चित करते हुए एक बार फिर मंदिरों को हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का केंद्र बनाने के लिए एक योजना तैयार करनी भी आवश्यक है।
Source navbharattimes

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