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चीन और पाकिस्‍तान की क्‍या बिसात... IAF में ऐसा क्‍या है जो दुनिया सलाम करती है, पढ़ें

आज भारतीय वायुसेना अपना 89वां स्‍थापना दिवस मना रही है। मगर क्‍या आपको पता है कि 1976 से पहले किसी और तारीख को वायुसेना दिवस मनाया जाता था। जी हां, 1 अप्रैल को। 1933 में इसी दिन IAF की पहली स्‍क्‍वाड्रन का गठन हुआ था। तब उसका नाम रॉयल इंडियन एयरफोर्स हुआ करता था। 26 जनवरी 1950 को जब हमारा देश गणतंत्र बना तो 'रॉयल' हटा दिया गया।1 अप्रैल, 1954 को एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी ने ब्रिटिश कमांडर की जगह ली और भारतीय वायुसेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ बने। यही वह दिन था जब सही मायनों में IAF भारतीय बनी थी। मगर 1976 में IAF ने वायुसेना दिवस 8 अक्‍टूबर को मनाने का फैसला किया, यह कहते हुए कि इसी दिन IAF अस्तित्‍व में आई थी। 8 अक्‍टूबर, 1932 को ही इंडियन एयरफोर्स ऐक्‍ट लागू हुआ था।

Indian Air Force Day 2021: भारतीय वायुसेना आज (8 अक्‍टूबर) अपना 89वां स्‍थापना दिवस मना रही है। इस साल हिंडन एयरबेस पर होने वाली 2021 IAF डे परेड में 1971 युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।


IAF Day 2021: चीन और पाकिस्‍तान की क्‍या बिसात... भारतीय वायुसेना को दुनिया क्‍यों सलाम करती है, पढ़ें

आज भारतीय वायुसेना अपना 89वां स्‍थापना दिवस मना रही है। मगर क्‍या आपको पता है कि 1976 से पहले किसी और तारीख को वायुसेना दिवस मनाया जाता था। जी हां, 1 अप्रैल को। 1933 में इसी दिन IAF की पहली स्‍क्‍वाड्रन का गठन हुआ था। तब उसका नाम रॉयल इंडियन एयरफोर्स हुआ करता था। 26 जनवरी 1950 को जब हमारा देश गणतंत्र बना तो 'रॉयल' हटा दिया गया।

1 अप्रैल, 1954 को एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी ने ब्रिटिश कमांडर की जगह ली और भारतीय वायुसेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ बने। यही वह दिन था जब सही मायनों में IAF भारतीय बनी थी। मगर 1976 में IAF ने वायुसेना दिवस 8 अक्‍टूबर को मनाने का फैसला किया, यह कहते हुए कि इसी दिन IAF अस्तित्‍व में आई थी। 8 अक्‍टूबर, 1932 को ही इंडियन एयरफोर्स ऐक्‍ट लागू हुआ था।



भारतीय वायुसेना को जानिए
भारतीय वायुसेना को जानिए

भारतीय वायुसेना के पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना होने का रुतबा है।

IAF में लगभग 1.40 लाख कर्मचारी हैं। करीब इतनी ही संख्‍या रिजर्व कर्मचारियों की।

चीफ ऑफ एयर स्‍टाफ (CAS) इसमें कमांडर होते हैं। राष्‍ट्रपति कमांडर-इन-चीफ।

भारतीय वायुसेना के पास 1,850 से ज्‍यादा एयरक्राफ्ट्स हैं। इनमें से करीब 900 लड़ाकू विमान हैं।

IAF के पास राफेल, सुखोई Su-30MKI, HAL तेजस, MiG-29, जगुआर जैसे फाइटर जेट्स हैं।

चिनूक, LCH और HAL रूद्र जैसे अटैक हेलिकॉप्‍टर्स IAF के पास हैं। इसके अलावा यूटिलिटी के लिए IAF के पास CH-47F चिनूक, Mil Mi-26, Mil Mi-8, Mil Mi-17, Mi-17 1V और Mi-17V 5 हैं। हाल ही में बोइंग AH-64E अपाचे अटैक भी IAF को मिला है जो हर मौसम में अटैक मिशंस पर जा सकता है।

IAF के पास डेडिकेटेड मगर छोटी UAV फ्लीट है।

एयर डिफेंस

नई एयर डिफेंस कमान का गठन होना है। भारत के पास स्‍पायडर, बराक 8 और आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्‍टम है।



भारत के आगे नहीं टिकेगी पाकिस्‍तान एयरफोर्स
भारत के आगे नहीं टिकेगी पाकिस्‍तान एयरफोर्स

भारत और पाकिस्‍तान के बीच जंग छिड़ जाए तो हमारी वायुसेना PAF पर भारी पड़ेगी। पाकिस्‍तान के एक लड़ाकू एयरक्राफ्ट के मुकाबले हमारे पास तीन फाइटर जेट्स हैं। भारत के पास 31 स्‍कवाड्रंस हैं जबकि पाकिस्‍तान के पास केवल 22।

भारत जहां दुनिया की चौथी सबसे बड़ी एयरफोर्स है तो IAF सातवें नंबर पर है। हालांकि अब तक के अनुभव बताते हैं कि हर मोर्चे पर IAF ने PAF पर जीत हासिल की है।

राफेल लड़ाकू विमानों के आने के बाद से, भारतीय एयरफोर्स साफ तौर पर पाकिस्‍तान एयरफोर्स से बेहतर स्थिति में है। तेजस लड़ाकू विमानों की नई खेप के शामिल होने के बाद IAF और PAF के बीच का अंतर और बढ़ जाएगा।

तेजस के मुकाबले में पाकिस्‍तान अपने JF-17 का दम भरता है। जहां तेजस पूरी तरह स्‍वदेशी जेट हैं वहीं JF-17 को पाकिस्‍तान ने चीन के साथ मिलकर बनाया है। तेजस न सिर्फ तेज और हल्‍का है, बल्कि इसमें JF-17 के मुकाबले ताकतवर इंजन भी लगा है। इसकी पेलोड क्षमता भी JF-17 से ज्‍यादा है। तेजस को नेवी की जरूरत के हिसाब



चीनी वायुसेना से कहीं आगे हैं IAF
चीनी वायुसेना से कहीं आगे हैं IAF

पिछले साल मई से ईस्टर्न लद्दाख में भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर गतिरोध जारी है। जानकारों के मुताबिक परंपरागत युद्ध में हाई एल्टीट्यूड इलाकों पर भारत चीन पर भारी पड़ सकता है। हवाई ताकत (एयर पावर) के मामले में भी भारत का पलड़ा भारी है।

चीन के खुद के बनाए जेड-10 एमई और जेड-20 हेलिकॉप्टर हाई एल्टीट्यूड इलाके में नाकाम हैं। जेड-10 एमआई अटैक हेलिकॉप्टर है और जेड-20 टेक्टिकल यूटिलिटी हेलिकॉप्टर। जेड-10 और जेड-20 हेलिकॉप्टर के इंजन की कैपिसिटी हाई एल्टीट्यूड लायक नहीं है। यह आमने सामने की जंग के लिए जरूरी सैनिकों को भी हाई एल्टीट्यूड तक पहुंचाने में कारगर नहीं है।

जेड-20 मल्टीफंक्शन कॉम्बेट हेलिकॉप्टर नहीं है। इसमें हथियार नहीं है और आर्मर प्रोटेक्शन भी नहीं है। आर्मर प्रोटेक्शन का मतलब है कि अगर कोई बाहर से अटैक करता है इस हेलिकॉप्टर में ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह खुद को बचा सके। साथ ही इसमें आउटबोर्ड फ्यूल टैंक भी नहीं है। चीन का चेंगदू जे-20 फाइटर एयरक्राफ्ट भी हाईएल्टीट्यूट में ज्यादा सक्षम नहीं है।

चीन कहता है कि जे-20 पांचवीं जनरेशन का एयरक्राफ्ट है लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि जे-20 में थर्ड जनरेशन का इंजन है। इसकी पेलोड कैपिसिटी भारत के पास मौजूद फाइटर जेट रफाल से कम है। चीन रूस से एमआई-17 के तीन वेरिएंट एमआई-171 ई, एमआई- 171एसएच और एमआई-171 एलटी ले रहा है। भारतीय सेना के पास पहले से ही एमआई-17 हेलिकॉप्टर मौजूद हैं।

कुछ वक्‍त पहले, कैंब्रिज बेस्ड बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स ने भारत और चीन की सैन्य ताक़त को लेकर एक रिसर्च की। इसमें कहा गया है चीन और भारत की एयरफोर्स की तुलना करें तो इंडियन एयरफोर्स चीन से काफी आगे है।



Source navbharattimes

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