नई दिल्ली मिलिंद बाबूराव तेलतुम्बडे उर्फ दीपक तेलतुम्बडे उर्फ जीवा... यह तीनों नाम उस नक्सल कमांडर के हैं जिसकी सुरक्षा बलों को लंबे वक्त से तलाश थी। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियों का अगुवा तेलतुम्बडे शनिवार को गढ़चिरौली में मारा गया। तेलतुम्बड़े नक्सलियों का बड़ा नेता था और वह CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति में भी था। महाराष्ट्र पुलिस की कमांडो यूनिट C-60 के जांबाजों ने एनकाउंटर में कुल 26 नक्सलियों को ढेर किया है। तेलतुम्बड़े ब्रदर्स से हलकान रही NIAतेलतुम्बड़े भीमा कोरेगांव एलगार परिषद केस में भी आरोपी था। उसका भाई और मशहूर शिक्षाविद आनंद तेलतुम्बड़े फिलहाल इसी केस में न्यायिक हिरासत में ट्रायल से गुजर रहे हैं। दोनों भाइयों के खिलाफ नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने बड़ी लंबी जांच की है। मिलिंद तेलतुम्बडे के खिलाफ UAPA समेत करीब दो दर्जन गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। आइए जानते हैं कि मिलिंद तेलतुम्बडे कौन है और उसका खात्मा नक्सलियों के लिए कितना बड़ा झटका है। कद बड़ा, खतरनाक भी उतना ही था तेलतुम्बड़ेमिलिंद तेलतुम्बडे नक्सलियों के 'महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़' गठजोड़ का मुखिया था। वह CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति में भी शामिल था। एलगार परिषद केस में NIA ने अक्टूबर 2020 में चार्जशीट दायर की। उसमें NIA ने कहा कि मिलिंद अपने बड़े भाई आनंद तेलतुम्बड़े के प्रभाव में आकर माओवादी बन गया। चार्जशीट के अनुसार, मिलिंद उर्फ दीपक शहरी इलाकों में माओवादियों का नेटवर्क बढ़ा रहा है, अपने बड़े भाई आनंद तेलतुम्बड़े की मदद से और उससे गाइडेंस लिया। CPI (माओवादी) मूवमेंट से जुड़ने के लिए मिलिंद को उसके भाई से प्रेरणा मिली।' रिक्रूटमेंट का जिम्मा भी संभालता था मिलिंदतुम्बलतड़े को नया इलाका बनाने का काम दिया गया था ताकि नक्सली आसानी से पूर्व से पश्चिम और पश्चिम से पूर्व की ओर मूवमेंट कर सकें। सीनियर नक्सलियों के लिए सेफ हाउस भी तुम्बलतड़े के जिम्मे था। इंटेलिजेंस अधिकारियों को लगता था कि वह मिलिंद लगातार एमपी, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में घूमता रहता था। एक अनुमान के अनुसार, उसने एक कमांडो यूनिट के लिए करीब 100 स्थानीय युवकों की भर्ती की। बड़े फैसलों में चलता था तेलतुम्बड़े का जोरतेलतुम्बडे अपने साथ खूब हथियारबंद बॉडीगार्ड्स लेकर चलता था। जंगलों में उसके साथ एक प्लाटून हमेशा रहती थी। 2018 में सरेंडर करने वाले सीनियर नक्सली नेता पहाड़ सिंह के अनुसार, अपने इलाके में सारे बड़े फैसले तेलतुम्बड़े ही करता था। उसी ने 2016 में अमरकंटक को बेस की तरह बनाने का फैसला लिया था।
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