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मोदी को चिट्ठी: आंदोलन खत्म करने के लिए क्या है किसानों की वे 6 शर्तें

नई दिल्ली पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) रविवार को पीएम के नाम एक खत लिखकर 6 पॉइंट्स में अपनी मांग रखी। किसानों ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि आपने कानूनों को खत्म करने की एकतरफा घोषणा कर दी लेकिन हमें खुशी है कि आपने इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। किसानों ने अपनी चिट्ठी में ये भी लिखा है कि उनकी मांग केवल तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की नहीं थी बल्कि तीन और मांगे थीं। खत में SKM ने उम्मीद जताई है कि सरकार उनकी अन्य मांगों पर भी जल्द वादा निभाएगी। आइए जानते हैं SKM की चिट्ठी में क्या-क्या शर्तें हैं 1- खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि के उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए। ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके। 2-सरकार के प्रस्तावित 'विद्युत अधिनियिम संशोधन विधेयक 2020/2021' का ड्राफ्ट वापस लिया जाए। (वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था।) 3-'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम 2021' में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाएं। (इस साल सरकार ने कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए लेकिन सेक्शन 15 के माध्यम से फिर किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है) 4-दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है। इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए। 5-लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) आज भी खुले घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं। वह आपके और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साजा कर रहे हैं। उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए। 6-इस आंदोलन के दौरान अब तक 700 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवार के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसान स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जमीन दी जाए।
Source navbharattimes

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