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दीये के प्रकाश जैसा सत्य क्यों नहीं समझ पाए किसान, आंदोलन का एक साल, यहां जानें कब क्या हुआ

नई दिल्ली 25 नवंबर 2020। केंद्र के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों कई संगठनों ने देशव्यापी आंदोलन () शुरू किया। आज आंदोलन का एक साल (Kisan Andolan News Today) पूरा हो चुका है। (PM Narendra Modi) तीनों कानून (Farm Laws) वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं। कानून वापस लेने का ऐलान करते हुए वक्त पीएम ने कहा था कि उनकी सरकार दीये के प्रकाश जैसा सत्य किसानों को समझा नहीं पाए। हालांकि, किसान अभी आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं है। उन्होंने साफ किया है कि अभी वे दिल्ली बॉर्डर से हटने वाले नहीं हैं। किसान 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान भी विरोध प्रदर्शन करने पर अड़े हुए हैं। आइए जानते हैं किसान आंदोलन की पूरी टाइमलाइन.... किसान आंदोलन की पूरी टाइमलाइन -5, जून 2020 को नरेंद्र मोदी सरकार ने 3 कृषि बिल संसद में पेश किया। -14 सितंबर 2020 को केंद्र सरकार ने संसद में इसपर अध्यादेश लाया। -17 सितंबर 2020 को संसद के निचले सदन लोकसभा में अध्यादेश को मंजूरी मिली। -20 सितंबर 2020 को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भी अध्यादेश को ध्वनिमत से मंजूरी मिली। -24 सितंबर 2020 को पंजाब में किसानों ने तीन दिन के लिए रेल रोको आंदोलन की घोषणा की। -26 सितंबर 2020 को शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने कृषि कानून के विरोध में केंद्र की एनडीए सरकार से अलग होने की घोषणा की। -27 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने तीनों कृषि कानूनों को मंजूरी दी। -25 नवंबर 2020 पंजाब और हरियाणा के किसान संघों ने 'दिल्ली चलो' आंदोलन की घोषणा की। -28 नवंबर 2020 को गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने किसानों से बातचीत की पेशकश की। -3 दिसंबर, 2020 को सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पहले दौर की बातचीत की, लेकिन बैठक में कोई परिणाम नहीं निकला। -8 दिसंबर, 2020 को किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। कई अन्य राज्यों के किसानों ने भी इस आह्वान का समर्थन किया। -9 दिसंबर, 2020 को किसान नेताओं ने तीनों कृषि कानूनों में संशोधन के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। -30 दिसंबर, 2020 को सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की बातचीत में कुछ प्रगति दिखी। -4 जनवरी, 2021 को सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की बातचीत में भी कोई नतीजा नहीं निकला। -7 जनवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट 11 जनवरी से नए कानूनों और विरोध प्रदर्शनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए राजी हुआ। -11 जनवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के विरोध से निपटने के तरीकों पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। -12 जनवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के लागू करने रोक लगाई। कानून पर सिफारिश करने के लिए 4 सदस्यीय समिति का गठन किया। -26 जनवरी, 2021 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों की बुलाई गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए। लाल किले पर प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। हंगामे में एक प्रदर्शनकारी की मौत भी हुई। -29 जनवरी, 2021 को सरकार ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा और कानून पर चर्चा के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया। किसानों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। -5 फरवरी, 2021 को दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम सेल ने किसान विरोध पर एक 'टूलकिट' बनाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसे पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग ने साझा किया था। -6 फरवरी, 2021 को विरोध करने वाले किसानों ने दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक तीन घंटे के लिए देशव्यापी 'चक्का जाम' किया। -6 मार्च 2021 को दिल्ली सीमा पर किसानों के प्रदर्शन का 100 दिन पूरे हुए। -5 जून, 2021 को प्रदर्शनकारी किसानों ने कृषि कानूनों की घोषणा के पहले वर्ष संपूर्ण क्रांतिकारी दिवस के तौर पर मनाया। -7 अगस्त, 2021 को 14 विपक्षी दलों के नेता संसद भवन में मिले और दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान संसद जाने का फैसला किया। -5 सितंबर, 2021 को किसान नेताओं ने मुजफ्फरनगर में महापंचायत का आयोजन किया। -22 अक्टूबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सड़कों को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता है। -29 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से बैरिकेड्स हटाना शुरू किया। -19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।
Source navbharattimes

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