नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी औपनिवेशिक मानसिकता भारत जैसे विकासशील देशों को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश करती है। पीएम ने कहा कि विकसित देशों ने जिन रास्तों और संसाधनों का इस्तेमाल करके खुद तो तरक्की कर ली लेकिन वे नहीं चाहते कि विकासशील देश भी उन्हीं तरीकों का इस्तेमाल करके आगे बढ़ें। विज्ञान भवन में शुक्रवार को संविधान दिवस पर हुए कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, 'आज दुनिया में कहीं भी किसी भी देश की कोई कॉलोनी नहीं है लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता अब भी बरकरार है। इस मानसिकता ने कई विकृत विचारों को जन्म दिया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण विकासशील देशों की प्रगति की राह में अड़चने खड़ा करना है। जिन संसाधनों और रास्तों से पश्चिमी देशों ने 'विकसित' का दर्जा हासिल किया, आज विकासशील देशों को उन्हीं संसाधनों और उन्हीं रास्तों का इस्तेमाल करने से रोकने की कोशिश हो रही है।' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता का अजेंडा ही विकासशील देशों की प्रगति को रोकना है। पर्यावरण के मुद्दे को हाइजैक कर इस मकसद को हासिल करने की कोशिशें हो रही है। उन्होंने कहा कि कुछ हफ्ते पहले क्लाइमेट चेंज पर हुए कॉन्फ्रेंस में इसका जीता-जागता उदाहरण देखने को मिला था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत उन देशों में सबसे आगे है जिनका फोकस स्वच्छ ईंधन पर और जो के लिए तमाम कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत इकलौता ऐसा देश है जो जलवायु परिवर्तन पर पेरिस अग्रीमेंट में तय किए गए लक्ष्यों को हासिल करने की ओर है।
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