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भारत के बिना दुनिया की चुनौतियों से निपटना असंभव, जर्मन राजदूत को भरोसा नेतृत्‍व परिवर्तन के बाद भी मजबूत रहेंगे रिश्‍ते

नई दिल्‍ली भारत-जर्मनी आज की तारीख में सबसे स्वाभाविक सहयोगी हैं। आने वाले समय में चाहे व्यापार का मसला हो या सामरिक मोर्चा, दोनों देश मिलकर परस्पर सहयोग के साथ काम करेंगे। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से लेकर अफगानिस्तान-आंतकवाद से जुड़े मसलों पर दोनों देशों के विचार मिलते हैं। वे सहयोग की दिशा में लगातार आगे बढ़े रहे हैं। भारत में ने यह बात कही है। वह एनबीटी से खास बातचीत कर रहे थे। नई सरकार से भी सहयोग पहले की तरहजर्मनी में नई सरकार गठन के तुरंत बाद एनबीटी से बात करते हुए जे लिंडनर ने कहा कि कूटनीतिक स्तर पर जर्मनी में नेतृत्व बदलने से भारत के साथ रिश्ते पर असर नहीं होगा। जर्मनी के नए चांससर ओलाफ शॉल्त्स बने हैं जो मौजूदा प्रमुख एंजेला मर्केल की जगह लेंगे। लिंडनर ने कहा कि मर्केल ग्लासगो समिट में अपने उत्तराधिकारी के साथ गई थीं। यह जर्मनी के मजबूत लोकतंत्र की निशानी है। उन्‍होंने कहा कि दिसंबर के पहले हफ्ते में पदभार ग्रहण करने के बाद जल्द से जल्द भारत के पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात हो सकती है। आतंकवाद पर अंकुश, अफगानिस्तान पर दोनों देश साथअफगानिस्तान में हालात को लेकर लिंडनर ने कहा कि भारत और जर्मनी के विचार लगभग समान हैं। जर्मनी के भारत में राजदूत ने कहा कि दोनों देश मिलकर तय करेंगे कि वहां न तो मानवीय त्रासदी और न ही आतंकवाद पनपे। उन्होंने कहा कि जर्मनी हमेशा चाहता है कि इस इलाके में अमन चैन का माहौल रहे और इसके लिए भारत से मिलकर कोशिश जारी रहेगी। टूरिज्म जल्द सामान्य होने की उम्‍मीद कोविड से उपजे हालात और लोगों की आवाजाही में हो रही दिक्कतों के बारे में जर्मनी के कूटनीतिक अधिकारी ने कहा कि उनके देश से हर साल 3 लाख लोग बतौर पर्यटक आते हैं। इसी तरह जर्मनी में भारत के सबसे अधिक स्टूडेंट हैं। इन पर कोविड का असर जरूर पड़ा है। लॉकडाउन के कारण दिक्कतें आईं, वीजा देने में कमी आई। साथ ही एयर बबल का भी मुद्दा है। लिंडनर ने कहा कि ऊपर से जर्मनी में अभी फिर नए केस आने लगे हैं। फिर भी उन्होंने उम्मीद जताई कि हालात जल्द सामान्य होंगे। लाइटहाउस प्रोजेक्ट से राज्‍यों में खेती को मददजर्मनी के राजदूत वाल्टर लिंडनर ने कहा कि भारत में कृषि क्षेत्र में मदद देने के लिए जर्मनी कई स्तर पर सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि अभी जर्मनी ने भारत के आंध्र प्रदेश में लाइटहाउस प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें किसानों को प्राकृतिक तरीके से खेती करने में मदद मिलती है। इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ रहा है बल्कि गुणवत्ता भी बढ़ती है। उन्‍होंने बताया कि ऐसे कार्यक्रम के लिए देश के 6 और राज्यों से जर्मनी संपर्क में है। देश में कृषि कानून को वापस लेने के बारे में कुछ भी कहने से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में भारत को हर तरह से मदद देने का सिलसिला पहले की तरह ही जारी रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन के मसले पर भी दोनों देशों को एक दूसरे की जरूरत है। साथ ही भारत इतना बड़ा लोकतंत्र है कि इसके भागीदरी के बिना ग्लोबल चुनौतियों से नहीं निपटा जा सकता है। लिंडलर ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भारत को दिए 1.2 अरब यूरो (लगभग 10 हजार करोड़ रुपये) की मदद का जिक्र करते हुए कहा कि आने वाले समय में जलवायु के अलावा शहरीकरण में सबसे ज्‍यादा भारत को मदद की जाएगी।
Source navbharattimes

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