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पहले कोरोना और प्रदूषण से डैमेज हुए फेफड़े निमोनिया को दे रहे न्योता

नई दिल्लीकोरोना की सेकंड वेव में जिन मरीजों के फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ा, ठंड और प्रदूषण की वजह से यह समय उन लोगों के लिए बेहद मुश्किल होने वाला है। कहा यह भी जा रहा है कि आने वाले 10 से 15 दिनों में निमोनिया के मरीजों की संख्या काफी बढ़ सकती है और आईसीयू तक की जरूरत पड़ सकती है। कोरोना प्रभावित लोगों के लंग्स की विंड पाइप की लाइनिंग में सूजन आ रही है, जिससे वह किसी भी इंफेक्शन से बेहद जल्दी संक्रमित हो सकते हैं। कोरोना प्रभावितों में निमोनिया होने का खतरा अधिक मेदांता अस्पताल के सीनियर डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं कि कोरोना की सेकंड वेव के दौरान बड़ी संख्या में लोग ऐसे थे जिनके लंग्स पर गंभीर असर हुआ था। काफी लोगों के लंग्स डैमेज हो गए थे। इस वक्त प्रदूषण की जो स्थिति है, उससे लंग्स और भी डैमेज हो जाएंगे। इसका असर यह होगा कि सांस लेने में बेहद परेशानी तो होगी ही, साथ ही निमोनिया होने के भी पूरे चांस हैं। मौजूदा हालात के अनुसार, आने वाले 10 से 15 दिनों में निमोनिया का पीक देखने को मिल सकता है। अस्पतालों में बड़ी संख्या में निमोनिया के मरीज होंगे, जिन्हें वेंटिलेटर, आईसीयू की जरूरत पड़ेगी। निमोनिया इसलिए हो सकता है, क्योंकि जब लंग्स डैमेज हो जाएंगे तो उसमें लिक्विड भरने के चांस रहते हैं और कई बार मवाद भी भर जाता है। डॉ. अरविंद का कहना है कि जिन लोगों को कोई समस्या नहीं थी, उन्हें भी आजकल सांस फुलने की परेशानी हो रही है। स्वस्थ लोग भी दमा-अस्थमा की चपेट में आ रहे हैं। तीन मंजिला इमारत की सीढ़ियां चढ़ने पर जितनी सांस फुलनी चाहिए, उससे कहीं ज्यादा लोगों की सांस फूल रही है। साथ ही प्रदूषण की वजह से लोगों के लंग्स की विंड पाइप की लाइनिंग में सूजन भी आ रही है। इस सूजन की वजह से व्यक्ति किसी भी तरह के वायरस से आसानी से संक्रमित हो सकता है। फिर चाहे वह कोरोना वायरस हो या अन्य कोई वायरस। कोरोना प्रभावितों को लंग्स की नियमित जांच की जरूरत मूलचंद अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. भगवान मंत्री कहते हैं कि सेकंड वेव में कई लोगों के लंग्स डैमेज हुए थे, लेकिन धीरे-धीरे रिकवर कर रहे थे। अब प्रदूषण बढ़ने के बाद लंग्स एक बार फिर प्रभावित होने लगे हैं और सांस लेने में ज्यादा परेशानी हो रही है, इसलिए फिर से ऐसे मरीजों को ऑक्सिजन की जरूरत पड़ सकती है। इनके लिए आने वाले तीन से चार महीने बेहद महत्वपूर्ण हैं। पिछले कुछ दिनों में हमारे पास कई ऐसे मरीज आए हैं, जिन्हें सांस लेने में परेशानी है। स्मोकिंग की वजह से भी लोगों में यह परेशानी होती है। इसलिए इन लोगों से स्मोकिंग हिस्ट्री के बारे में पूछा गया। इसमें पता चला कि यह लोग स्मोकिंग करते ही नहीं हैं। ऐसे में इसका सीधा संबंध प्रदूषण से ही देखा जा रहा है। अब जरूरी हो गया है कि लोग हर साल अपने लंग्स के टेस्ट करवाते रहें।
Source navbharattimes

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