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हिंदू मरे तो योगी भी जाते हैं, अखिलेश भी, कासगंज में अल्ताफ के घर कौन गया: ओवैसी

नई दिल्ली यूपी विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत झोंक रहे AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोला है। हमारे सहयोगी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व नेशनलजिम में यकीन करते हैं। हिंदुत्व की विचारधारा ही देश के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर भी मुस्लिमों से भेदभाव का आरोप लगाया। औवैसी ने कहा कि वह मुसलमानों की हिस्सेदारी की बात करते हैं। 'हर कोई हिंदू की आवाज बनना चाहता है' Times Now Summit में औवैसी ने कहा कि आज लड़ाई यह हो रही है कि सबसे बड़ा हिंदू कौन है, मोदी से बड़ा हिंदू कौन है। हर कोई बस हिंदू की बात कर रहा है। हर कोई हिंदू की आवाज बनना चाहता है। AIMIM चीफ ने कहा, 'जब किसी मुस्लिम की हत्या होती है तो किसी भी पार्टी से उतनी हमदर्दी नहीं मिलती, जितनी किसी हिंदू की मौत पर मिलती है। हर कोई हिंदू की आवाज बनना चाहता है।' योगी और खुद में फर्क बताते हुए ओवैसी ने कहा कि उनका विश्वास हिंदुत्व नेशनलिज्म में है, जबकि मेरा यकीन इंडियन नेशनलिज्म में है। 'मौत के बाद हमदर्दी, मुआवजे तक में खुल्लमखुल्ला भेदभाव' यूपी के कासगंज में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मुस्लिम युवक की मौत का मुद्दा उठाते हुए ओवैसी ने कहा, 'अगर गोरखपुर में गुप्ता साहब पुलिस कस्टडी में मर जाते हैं तो सीएम योगी उनके घर जाते हैं, 50 लाख रुपये देते हैं। अखिलेश यादव भी 20 लाख रुपये देकर आते हैं। लेकिन कासगंज में अल्ताफ के घर कौन गया? यह खुल्लमखुल्ला भेदभाव है। मौत तक के मामले में इस तरह का सिलेक्टिव अप्रोच बताता है कि हमारा देश कितनी बुरी तरह से बंट गया है।' 'हर जाति, हर समुदाय का अपना नेता, मुस्लिमों का कोई नहीं' यूपी में मुस्लिम वोटों के अपने पक्ष में ध्रुवीकरण की कोशिश से जुड़े सवाल पर ओवैसी ने कहा, 'अखिलेश यादव 2014 में चुनाव हारे, 2017 में हारे, 2019 में हारे। अगर अखिलेश यादव का यादव वोटर किसी यादव को वोट देता है तो कहते हैं कि छोटा भाई, बड़ा भाई में लड़ाई हो सकती है। लेकिन अगर मुसलमान कहीं वोट देते हैं तो ये कहते हैं कि ये बीजेपी को जिता रहे हैं। हर समुदाय के, हर जाति के अपने नेता हैं। सिर्फ मुस्लिमों का कोई एक नेता नहीं है।' उन्होंने कहा कि लखीमपुर में यूपी सरकार ने क्यों ऐक्शन नहीं लिया? चूंकि आरोपी सवर्ण हैं, इसलिए कार्रवाई नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद मजबूरी में कार्रवाई हुई। मुसलमानों को अपने मुस्तकबिल (भविष्य) का फैसला करना चाहिए।' 'मैं मुस्लिम हिस्सेदारी की बात करता हूं, बराबरी की बात करता हूं' पार्टी के नाम में मुस्लिमीन शब्द को लेकर ओवैसी ने कहा कि वह भारत के राजनीतिक और एजुकेशन सिस्टम में मुस्लिमों को बराबरी का प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'भारत किसी एक मजहब का देश नहीं है, यहां हर धर्म के मानने वाले हैं...हम मुस्लिमों की बात इसलिए कर रहे हैं कि उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है, संसद में मुस्लिम प्रतिनिधित्व कम होना चिंता की बात है। हिंदुत्व की विचारधारा भारतीय संविधान के खिलाफ है। मैं सांप्रदायिक राजनीति नहीं करता। मैं मुस्लिम हिस्सेदारी की बात करता हूं। गुजरात में 1984 के बाद से कोई मुस्लिम लोकसभा सांसद नहीं रहा। संसद में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व 5-6 प्रतिशत है। क्या बीजेपी को पूरे हिंदुस्तान में कोई मुस्लिम नहीं मिला जो चुनाव जीत सके।' 'मुस्लिम वोट बैंक का मिथक टूट चुका है' ओवैसी ने कहा कि हकीकत में मुस्लिम वोट बैंक जैसी कोई बात है ही नहीं। उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी ने इस मिथक को तोड़ दिया कि देश में मुस्लिम वोट बैंक है। मुस्लिम वोट बैंक अगर कहीं है तो वह जेल में है। कासगंज में अल्ताफ की हत्या के मामले को देखिए। कैसे कोई उस तरह से आत्महत्या कर सकता है। उन्होंने कहा, 'संविधान स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की बात करता है। अगर मैं कहता हूं कि स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय में आस्था दिखाता हूं तो मुझे सांप्रदायिक कैसे कह सकते हैं।'
Source navbharattimes

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