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हिंदुत्व को बोको हराम बता रहे सलमान खुर्शीदः पढ़िए सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व का मतलब क्या बताया था

नई दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की नई किताब से विवाद बढ़ता जा रहा है। खुर्शीद की नई किताब का नाम 'सनराइज ओवर अयोध्या : नेशनहुड इन ऑवर टाइम्स' है। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का रिफरेंस बुक बता रहे खुर्शीद ने किताब में हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोकोहराम जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों से की है। सलमान खुर्शीद काफी पढ़े लिखे हैं लेकिन ये कहना उनकी सोच पर सवाल खड़ी कर रही है। हिंदुत्व के मामले में यहां पर हम आपको बता रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या टिप्पणी की थी। 11 दिसंबर 1995 का ऐतिहासिक फैसला11 दिसंबर 1995 को जस्टिस जेएस वर्मा की पीठ के ऐतिहासिक फैसले में हिंदुत्व को भारतीय लोगों की जीवन शैली कहा था। पीठ ने कहा कि हिंदुत्व को सिर्फ धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता है। बता दें कि मनोहर जोशी विरुद्ध एनबी पाटिल मामले में यह फैसला आया था। जस्टिस जेएस वर्मा ने फैसला लिखा था। जोशी ने बयान दिया था कि पहला हिंदू राज्य महाराष्ट्र में बनाया जाएगा। पूरा मसला जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3) में उल्लेखित भ्रष्ट तरीकों के दायरे से जुड़ा है। 1995 के फैसले को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद यह मसला एक बार फिर जनवरी 2014 में पांच जजों की बेंच के सामने आया, जिसने उसे सात जजों की बेंच को रेफर कर दिया।] सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहासर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि जब तक स्पीच किसी के प्रतिकूल या प्रत्यक्ष तौर पर हमला करने वाली न हो, उसमें प्रयोग हुए 'हिंदुत्व' को हिंदू धर्म एवं हिंदू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिहाज से नहीं माना जाना चाहिए। जस्टिस वर्मा ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि भाषण में 'हिंदुवाद' और 'हिंदुत्व' जैसे शब्द इस्तेमाल हुए हों, व्यक्ति को धारा 123 के सेक्शन (3) व (3A) के तहत शामिल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि यह भी संभव है कि इन शब्दों का इस्तेमाल धर्मनिर्पेक्षता को बढ़ावा देने या भारतीयों की जीवनशैली बयां करने के लिए किया गया हो। आईएसआईएस और बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों से हिंदुत्व की तुलनासलमान खुर्शीद की जिस बात पर सबसे ज्यादा विवाद होता दिख रहा है, वह है कट्टर जिहादी और कुख्यात आतंकी संगठनों से हिंदुत्व की तुलना। 'द सैफ्रन स्काई' नाम के चैप्टर में पेज नंबर 113 पर खुर्शीद लिखते हैं, 'साधु-संत जिस सनातन धर्म और क्लासिकल हिंदुइज्म को जानते हैं उसे किनारे करके हिंदुत्व के ऐसे वर्जन को आगे बढ़ाया जा रहा है जो हर पैमाने पर आईएसआईएस और बोको हराम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों के राजनीतिक रूप जैसा है।' उन्होंने दावा किया है कि हिंदुत्व का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया जाता है। चुनावी रैलियों में इसका जिक्र होता है।
Source navbharattimes

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