शायद ही कोई हो जिसे 'आपका बंटी' जैसे बड़े उपन्यास की लेखिका मन्नू भंडारी ने प्रभावित न किया हो। मैंने इस उपन्यास को पढ़ाया भी है। मुझे याद आ रहा है कि कितने तीखे तरल सवालों की नोक पर हुआ करते थे हम, और एक बेचैनी सी महसूस होती थी। यह एक चिटके हुए दांपत्य की कथा थी। चिटके हुए दांपत्य की तफसील उनके नाटक 'बिना दीवारों का घर' में भी थी। Source navbharattimes
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