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कांग्रेस पर ममता की 'पॉलिटिकल स्ट्राइक', पूर्व CM समेत 12 विधायक TMC में शामिल

शिलॉन्ग पश्चिम बंगाल में तीसरी बार सत्ता हासिल करने वाली ममता बनर्जी के हौसले बुलंद हैं। वह अपनी पार्टी का विस्तार देश भर में करने के अभियान में लगी हैं। बीते दिनों विभिन्न दलों के असंतुष्ट कद्दावर नेताओं ने टीएमसी का दामन थामा है। इस कड़ी में अब एक और बड़ा नाम जुड़ गया है। मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री 12 कांग्रेसी विधायकों के साथ बुधवार को टीएमसी को समर्थन देने का ऐलान किया है। ऐसे में मेघालय में बिना चुनाव लड़े ही टीएमसी अब मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई है। पूर्वोत्तर में कांग्रेस को यह सबसे बड़ा झटका है। चूंकि पार्टी के दो तिहाई से ज्यादा विधायकों ने पाला बदला है। ऐसे में उन पर दलबदल कानून नहीं लागू होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुवार को एक बजे शिलॉन्ग में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुकुल संगमा औपचारिक रूप से टीएमसी में शामिल होने का ऐलान करेंगे। क्या है विवाद माना जा रहा है कि विन्सेंट एच. पाला को मेघालय प्रदेश कांग्रेस कमिटी का प्रमुख बनाए जाने के बाद से संगमा नाराज चल रहे थे। संगमा ने यह भी कहा था कि पार्टी नेतृत्व ने पाला की नियुक्ति को लेकर उनसे मशविरा नहीं किया। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि संगमा टीएमसी में शामिल हो सकते हैं। संगमा की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अक्टूबर 2021 में संगमा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विन्सेंट एच पाला से मुलाकात की थी। फौरी तौर पर मामला सुलझा हुआ भी मान लिया गया था लेकिन महीने भर बाद ही संगमा ने कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया। क्या है मेघालय का सियासी गणित मेघालय में विधानसभा की 60 सीटों पर साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थीं। नैशनल पीपुल्स पार्टी को 20 सीटें मिली थीं। यूडीएफ के खाते में 6 और निर्दलीयों के पास 3 सीटें गई थीं। बीजेपी को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी लेकिन बाद में एनपीपी की सरकार बनी, जिसमें बीजेपी भी सहयोगी पार्टी है। अब अगर मुकुल संगमा के साथ 12 कांग्रेसी विधायक टीएमसी में शामिल हो जाते हैं तो कांग्रेस के पास सिर्फ 9 विधायक बचेंगे। वहीं टीएमसी बिना चुनाव लड़े 12 विधायकों के साथ प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी बन जाएगी। कांग्रेस में पतझड़, टीएमसी में बहार बता दें कि बीते दिनों दूसरे दलों के कई असंतुष्ट नेताओं ने टीएमसी का दामन थामा है। इनमें कांग्रेस नेताओं की संख्या ज्यादा है। यूपी में कांग्रेस पार्टी से नाराज पूर्व सीएम कमलापति त्रिपाठी के पौत्र ललितेश त्रिपाठी टीएमसी में शामिल हो गए थे। बीजेपी के पूर्व नेता और केंद्रीय मंत्री रहे बाबुल सुप्रियो और यशवंत सिन्हा पहले ही टीएमसी का झंडा थाम चुके हैं। इसके अलावा बीते दिनों हरियाणा में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर भी ममता की पार्टी में चले गए। बिहार के कांग्रेसी और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने भी तंवर के साथ ही TMC की सदस्यता ले ली। बिहार में जेडीयू के असंतुष्ट नेता पवन चौधरी भी इसी दिन टीएमसी में शामिल हो गए। ऐसे में अब पूर्वोत्तर में दर्जन भर विधायकों के साथ मुकुल संगमा का टीएमसी में आना कांग्रेस पार्टी के लिए किसी सदमे से कम नहीं होने वाला है। ये सब ऐसे समय में हो रहा है जब ममता बनर्जी दिल्ली में हैं और नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं से मुलाकात कर रही हैं। हालांकि, उन्होंने इस बार कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं की है।
Source navbharattimes

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