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बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी ने कभी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी से की थी सियासी करियर की शुरुआत

अमितेश कुमार सिंह, गाजीपुर गाजीपुर के मौजूदा बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी को 1985 के विधानसभा चुनावों में अपने वक़्त के जाने-माने कम्युनिस्ट नेता सरजू पांडेय ने टिकट देकर चुनाव लड़वाया था। हालांकि उस समय सरजू पांडेय खुद लोकसभा चुनाव हार चुके थे। 1985 में विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद अफजाल अंसारी 1996 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ बने रहे। अफजाल अंसारी अपना राजनीतिक गुरु सरजू पांडेय को ही मानते हैं। 1985 विधानसभा चुनाव से सियासत में एंट्री1985 के विधानसभा चुनावों से अफजल अंसारी ने एक्टिव पॉलिटिक्स में एंट्री ली। उससे पहले अफजाल अंसारी के पिता मुहम्मदबाद नगर पालिका के निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। 1985 के चुनाव में सरजू पांडेय अफजाल अंसारी को चुनाव नहीं लड़वाना चाहते थे। लेकिन, उनके कुछ करीबियों ने यह सुझाव दिया कि अफजाल अंसारी पर वह दांव खेल सकते हैं। अपने करीबियों के कहने पर सरजू पांडेय अफजाल अंसारी को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव चिन्‍ह पर चुनाव लड़वाया। अफजाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अभय नारायण राय को 3 हजार वोटों से हराया। ये चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कराए गए थे। उनकी हत्या के बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में उनके बेटे राजीव गांधी को प्रचंड बहुमत मिला था। कांग्रेस ने 542 में से 425 लोकसभा सीटें पर जीत हासिल की थी। इंदिरा गांधी की हत्या 31अक्टूबर 1984 को हुई थी और इसी साल दिसंबर में हुए लोकसभा चुनावों में सरजू पांडेय कांग्रेस के जैनुल बसर से हार गए थे। वह महज हारे ही नहीं बल्कि तीसरे नंबर पर पोल किए थे। यह वही लोकसभा चुनाव था जिससे मनोज सिन्हा ने अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था। सिन्हा 1984 के लोकसभा चुनावों में चौथे नंबर पर रहे। राजनीतिक सलाहियत सरजू पांडेय से सीखीएनबीटी से बातचीत में बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी ने बताया कि उनके इलाके में भूमिहार जाति सामंतवाद का वाहक रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से सरजू पांडेय सरीखे नेता के मार्गदर्शन में राजनीतिक कैरियर शुरू करने का लाभ उन्हें यह हुआ कि वह सर्वहारा की लड़ाई लड़ते हुए अपने को राजनीति में स्थापित करने में कामयाब रहे। अवाम ने उन्हें अपने बीच का पाकर 6 बार विधायक और 2 बार सांसद चुना। उन्होंने जो भी हासिल किया लोगों के साथ कन्धे से कंधा मिलाकर संघर्ष करते हुए किया। वह अपने राजनीतिक उपलब्धि का श्रेय अपने राजनीतिक गुरु सरजू पांडेय और गाजीपुर की अवाम को देते हैं।
Source navbharattimes

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