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भारत राष्‍ट्र नहीं, बल्कि.... राहुल गांधी ने सरकार को संविधान की क्या बात समझाई?

नई दिल्‍ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ( in Lok Sabha) ने बुधवार को सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उन्‍होंने कई मसलों पर (Rahul Gandhi Slams Govt.) चर्चा की। इनमें बेरोजगारी, गरीबी से लेकर विदेश नीति, कारोबार, संविधान और अर्थव्‍यवस्‍था तक शामिल थे। यहां हम आपके साथ उनके पूरे भाषण में से एक खास अंश की चर्चा करेंगे। यह संविधान से जुड़ी है। राहुल (Rahul Gandhi attacks Modi Govt.) ने यह बात सरकार को समझाने की कोशिश की। उन्‍होंने कहा है कि संविधान के अनुसार, (India is described as Union of States) है। इसके बजाय इसे राज्यों के संघ के रूप में वर्णित किया गया है। सबसे पहले जानते हैं कि राहुल ने इस बारे में क्‍या कहा है। दरअसल, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई। राहुल गांधी ने भी इसमें हिस्‍सा लिया। यह दावा भी किया कि देश के सामने खड़ी प्रमुख चुनौतियों का अभिभाषण में उल्लेख नहीं किया गया है। इसी दौरान उन्‍होंने संविधान से जुड़ी एक अहम चीज का ज‍िक्र किया। उन्‍होंने कहा, 'अगर आप संविधान पढ़ें तो आप पाएंगे कि भारत को राज्यों के संघ के रूप में वर्णित किया गया है। इसे एक राष्ट्र के रूप में नहीं बताया गया है। इसका मतलब है कि तमिलनाडु के एक भाई के पास महाराष्ट्र के मेरे भाई के समान अधिकार हैं। निश्चित रूप से यह बात जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, लक्षद्वीप पर भी लागू होती।' राहुल के इस बयान की परतों को खोलते हैं। मसलन, इसमें कितनी सच्‍चाई है? क्‍या भारत राष्‍ट्र नहीं है? क्‍या संविधान में इसे वैसा ही परिभाषित किया गया है जैसा राहुल ने बताया है? यह बात बिल्‍कुल सही है कि संविधान में भारत को राष्‍ट्र के तौर पर वर्णित नहीं किया गया है। संविधान के अनुच्‍छेद 1 में भारत को 'यूनियन ऑफ स्‍टेट्स' यानी 'राज्यों का संघ' बताया गया है। हालांकि, इसके संविधान को प्रकृति में संघीय बताया गया है। संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर के अनुसार, 'फेडरेशन ऑफ स्‍टेट्स' के बजाय 'यूनियन ऑफ स्‍टेट्स' को रखने की दो अहम वजहें हैं। पहला, इंडियन फेडरेशन यानी भारतीय संघ अमेरिकी फेडरेशन की तरह राज्यों के बीच एग्रीमेंट का नतीजा नहीं है। दूसरा, राज्यों को फेडरेशन से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है। फेडरेशन एक यूनियन है क्योंकि यह तितर-बितर नहीं हो सकता है। राहुल गांधी ने सदन में यही बात समझानी चाही। इसी के साथ उन्‍होंने देश में प्रजातांत्रिक व्‍यवस्‍था जाने की बात कही। उन्‍होंने कहा कि राजा की अवधारणा वापस आ गई है जिसे कांग्रेस ने 1947 में हटा दिया था। अब एक 'शहंशाह' है। लोगों पर एक विचार से हमला किया जा रहा है। किसानों ने एक साल तक विरोध किया, राजा नहीं सुनते। उन्होंने कहा, 'इस देश के दो नजरिये हैं। एक नजरिया यह है कि देश राज्यों का संघ है जिसका मतलब है कि संवाद होगा...आप भारत में शासन करने वाले किसी साम्राज्य को देख लीजिए। आप अशोक महान को देख लें, मौर्य वंश को देख लें, आप यह पाएंगे कि आपसी संवाद के जरिये शासन किया गया।' राहुल ने कहा कि दूसरा नजरिया देश को 'शहंशाह' की तरह चलाने का है। कांग्रेस नेता के अनुसार, केंद्र की भाजपा सरकार विभिन्न राज्यों की आवाज दबा रही है, लेकिन उसे इसका आभास नहीं है कि देश के संस्थागत ढांचे पर हमले की प्रतिक्रिया हो सकती है। उन्होंने कहा, 'मेरे परनाना (जवाहरलाल नेहरू) इस राष्ट्र को बनाने के लिए ही 15 साल तक जेल में रहे। मेरी दादी (इंदिरा गांधी) को 32 गोलियां मारी गईं। मेरे पिता (राजीव गांधी) को विस्फोट से उड़ा दिया गया। इन्होंने इस राष्ट्र को बनाने के लिए अपनी कुर्बानी दी। इसलिए मैं थोड़ा बहुत जानता हूं कि राष्ट्र क्या है।' कांग्रेस सांसद ने सत्तापक्ष से मुखातिब होते हुए कहा, 'आप खतरे से खेल रहे हैं। मेरी सलाह है कि रुक जाइए।'
Source navbharattimes

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