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लता के भाई ने बजाया सावरकर का गीत तो नेहरू सरकार ने किया बर्खास्त, मोदी ने दिखाया आईना

वैभव पुरांदरे, नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को राज्यसभा दिवंगत () के परिवार के साथ कांग्रेस के रवैये का जिक्र किया था। पीएम ने कहा था कि लता का परिवार गोवा से था। उनके छोटे भाई (Hridaynath Mangeshkar) को ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) से निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने रेडियो पर सावरकर की एक कविता पढ़ी थी। हृदयनाथ के साथ क्या हुआ था वाकया? आइए समझते हैं कि मंगेशकर फैमिली के सांस्कृतिक इतिहास को। दरअसल, 1950 के दशक के मध्य में लता मंगेशकर के छोटे भाई हृदयनाथ ने ऑल इंडिया रेडियो पर विनायक दामोदर (Vinayak Damodar Savarkar) या की एक कविता पढ़ी थी। लता के भाई के साथ हुई इस घटना का जिक्र महाराष्ट्र में तो होता रहा है लेकिन इस राज्य से बाहर लोगों को इसके बारे में कम ही जानकारी है। यहां तक कि अब तो ये मुंबई के लोगों की यादों से गायब होता जा रहा है। हालांकि, कभी-कभी संगीतकार हृदयनाथ खुद इस वाकये का जिक्र करते रहे हैं। सावरकर की कौन सी थी कविता बात 1955 की है। उस वक्त हृदयनाथ की उम्र 17 साल की थी। उन्होंने मुंबई में ऑल इंडिया रेडियो ज्वाइन किया था। इस नौकरी के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्हें 500 रुपये महीने पर ये नौकरी मिली थी। नौकरी मिलने के कुछ दिन बाद ही उन्होंने वीर सावरकर की मशहूर कविता सागर प्राण तलमला (Saagara Pran Talamalala) का संगीत तैयार किया था। सावरकर ने यह देशभक्ति वाली कविता ब्रिजटोन में 1909 में लिखी थी। उस वक्त मदन लाल धींगरा द्वारा ब्रिटिश अधिकारी कर्जन वाइली (Who is Curzon Wyllie) के मर्डर के बाद वीर सावरकर के पीछे पड़ी थी स्कॉटलेंड यार्ड पुलिस। जब सावरकर यह कविता लिख रहे थे तो उनके साथ बिपिन चंद्र पाल के पुत्र और उनके मित्र निरंजन पाल भी मौजूद थे। ब्रिटिश राज में कालापानी की सजा झेल चुके मशहूर क्रांतिकारी सावरकर को 1950 के दशक में भारतीय राजनीति में अलग-थलग कर दिया गया था। हिंदू महासभा के अध्यक्ष रह चुके सावरकर को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) हत्या केस में आरोपी बनाया गया था। हालांकि वह इस केस में सभी आरोपों से बरी हो गए थे। 7 दिन में ही चली गई हृदयनाथ की नौकरी अब बात करते हैं हृदयनाथ की। गीत तैयार करने के एक दिन बाद हृदयनाथ को उनसे अधिकारियों ने कारण बताओ नोटिस दे दिया। उन्होंने नोटिस का जवाब देते हुए इसे महान कविता और महान कवि बताया। इसके बाद नौकरी के सातवें दिन ही उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। हृदयनाथ ने आरोप लगाया कि पुलिस के मुखबिरों ने उन्हें सावरकर और शिवाजी पार्क स्थित सावरकर सदन में उनके घर जाने को लेकर धमकी भी दी थी। एक बार तो उन्हें रात में हिरासत में ले लिया गया और धमकी दी गई। लता ताउम्र करती रहीं सम्मान भले ही हृदयनाथ को सावरकर के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन लता मंगेशकर ने कभी भी सावरकर और हिंदू हृदय सम्राट बाल ठाकरे (Bal Thakeray) के साथ रिश्ते को कभी भी गुप्त नहीं रखा। यहां तक कि वह तो 1950 में सावरकर की हिंदू महासभा में शामिल होना चाहती थीं लेकिन सावरकर ने उन्हें अपने गायन पर ध्यान देने को कहा था। उस समय तक लता एक मशहूर गायिका बन चुकी थीं। तात्या (सावरकर को लता इसी नाम से पुकारती थीं) ने लता को कहा था कि वह संगीत के माध्यम से देश की सेवा कर रही हैं। लता मंगेशकर भले ही उर्दू में महारत रखती थीं लेकिन उन्होंने सावरकर के मराठी और हिंदी से पर्सियन शब्दों को हटाने के लिए 'भाषा शुद्धि' अभियान का समर्थन किया था। अलांदी में एक मराठी साहित्य सम्मेलन में लता ने कहा था कि सावरकर के 'भाषा शुद्धि' अभियान की बेवजह आलोचना की गई। हृदयनाथ के संगीत पर मंगेशकर बहनों ने गाया गीत ऑल इंडिया रेडियो घटना के सालों बाद मंगेशकर बहनों ने अपने भाई हृदयनाथ के बनाए संगीत पर कविता सागर प्राण तलमला को अपनी आवाज दी। ये गाना इतना लोकप्रिय हुआ कि अभी महाराष्ट्र के कार्यक्रमों में बजाया जाता है। लता ने सावरकर की एक और कविता को अपनी आवाज दी। हिंदू नूरूसिन्हा प्रभो शिवाजी राजा को अपनी आवाज लता ने दी थी। इसी कविता में एक लाइन थी कि हिंदू राष्ट्र आपकी प्रार्थन करता है। यह गाना भी काफी लोकप्रिय हुआ। दीनानाथ ने सावरकर से लता को मिलाया था लता का सावरकर के साथ संपर्क उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर के समय से शुरू हुआ। दीनानाथ की थियेटर कंपनी के लिए सावरकर ने एक मराठी प्ले 1931 में लिखा था। लता के पिता उन्हें सावरकर के रत्नागिरी में एक इंटर-कास्ट डिनर पर ले गए थे। उसके बाद लता सावरकर के दादर वाले घर में लगातार जाती रहीं। सावरकर लता से उनकी मां माई मंगेशकर द्वारा बनाई गई स्पेशल पुलाव लाने को कहते थे। लता की मां की बनाई यह पुलाव सावरकर की फेवरेट था। अंत तक सावरकर की रहीं प्रशंसक कुछ साल पहले लता ने ट्वीट किया था सावरकर उनके पिता समान थे। 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध के बाद 'ऐ मेरे वतन के लोगों' देशभक्ति गीत गाकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखों में आंसू लाने वालीं स्वर कोकिला लता अपने अंत समय तक सावरकर के राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक बनी रहीं।
Source navbharattimes

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