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प्रिय वित्त मंत्री जी, सैलरी से कमाता-खाता हूं, इस बार टैक्स पर यह कृपा बरसा दीजिए

आदरणीय वित्त मंत्री जी, नमस्कार और बधाई, आज आप अपना चौथा बजट पेश करने जा रही हैं। पिछले बजट में हम वेतनभोगी वर्ग (Salaried Class) के लोग टकटकी लगाकर रह गए, लेकिन मायूसी ही मिली। कोरोना के कारण आमदनी पर और महंगाई के कारण खर्चों की पड़ी चौतरफा मार ने हमें वैसे ही पस्त कर रखी है। इसलिए उम्मीद करता हूं कि इस बार आप हमारे हालात पर तरस खाकर थोड़ा-बहुत ही सही, लेकिन रहम जरूर करेंगी। वित्त मंत्री जी, मेरी तो कोविड काल में भी जॉब बची रह गई, लेकिन सैलरी कट के साथ। एक तरफ सैलरी घटी तो दूसरी तरफ महंगाई बढ़ी। महंगाई बढ़ने का दावा मेरा नहीं है, आपकी सरकार के ही आंकड़े बताते हैं। वैसे भी गृहणियां तो महंगाई का थर्मामीटर हैं। पत्नी इस वित्तीय वर्ष में कई बार कह चुकी हैं कि पहले वाले बजट से रसोई का खर्च पूरा नहीं हो रहा है, लेकिन वो बजट बढ़ाने को कहें भी तो कैसे? उन्हें पता है कि कमाई का एकमात्र जरिया सैलरी घट गई है और बच्चों की पढ़ाई के खर्चे बढ़ गए हैं। ऊपर से बुजुर्ग मां-पिता की देखभाल का भी तो अच्छा-खासा खर्च है ना? सच कहूं तो इन सभी जिम्मेदारियों को पूरा करने में हमारा कचूमर निकल जा रहा है। सोचता रह गया कि कुछ-कुछ खर्चों में थोड़ी-बहुत कटौती करेंगे, लेकिन यह संभव नहीं हो सका। महंगाई के मुताबिक बजट में वृद्धि नहीं करने के कारण श्रीमति जी मायूस सी रहती हैं। अब मां-पिता की दवाइयों या फिर बच्चों की पढ़ाई के खर्चे तो नहीं रोक सकते ना? इसलिए विनती है कि कृपया उन मदों में थोड़ी राहत देने की कृपा करें जो हम सैलरीड पर्सन्स की मदद के लिए ही हैं। हमारी फरियाद है कुछ इस प्रकार है... 1. आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत मिल रही टैक्स छूटों की सीमा बढ़ाई जाए क्योंकि इस आईटी ऐक्ट के इस सेक्शन के तहत टैक्स बचत के लिए जीवन बीमा प्रीमियम, ELSS, EPF - VPF कन्ट्रीब्‍यूशन, PPF, LIC के एन्युइटी प्लान में कन्ट्रीब्यूशन, NPS में निवेश, पोस्‍ट ऑफिस स्‍मॉल सेविंग्स स्‍कीम्‍स में निवेश, टैक्स सेवर FD, सुकन्या समृद्धि स्कीम, Ulip, नाबार्ड बॉन्ड, होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट और बच्चों की ट्यूशन फीस आदि जैसे निवेश और खर्चों की लंबी-चौड़ी फेहरिश्त आ जाती है। ऐसे में सेक्शन 80सी के तहत निवेश की 1.5 लाख की मौजूदा सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख कर दिया जाए तो हमारे हाथ में दो पैसे और आ जाएंगे। 2. बच्चों की पढ़ाई पर खर्च के लिए डिडक्शन की नई कैटिगरी बने : आप तो जानती हैं कि आजकल पढ़ाई कितनी महंगी हो गई है। 1.5 लाख की इस सीमा में प्राइवेट कोचिंग की ट्यूशन फीस का ही बड़े हिस्से पर कब्जा हो जाता है। ऐसे में बाकी निवेश पर टैक्स बचाने की गुंजाइश घट जाती है। इसलिए अगर आप बच्चों की पढ़ाई पर खर्च को अलग टैक्स फ्री कैटिगरी बनाकर उसके लिए कम-से-कम सालाना 1.5 लाख रुपये की सीमा तय कर दें तो बहुत कृपा होगी। 3. पुराने टैक्स स्लैब को बदलें या नई व्यवस्था को बेहतर बनाएं : आपने वर्ष 2020 के बजट भाषण में इनकम टैक्स की नई व्यवस्था पेश की थी। नई व्यवस्था के तहत अलग-अलग इनकम स्लैब पर लागू टैक्स की दरों पर बड़ी कटौती की थी। लेकिन, पुरानी व्यवस्था के तहत मिल रहे एचआरए, एलटीए, स्टैंडर्ड डिडक्शन जैसी टैक्स छूट के सारे विकल्प वापस ले लेने से सब बंटाधार हो गया। दूसरी तरफ, पुरानी और नई व्यवस्था के विकल्पों के कारण माथापच्ची भी बढ़ गई। इसलिए आपसे आग्रह है कि कृपया पुरानी व्यवस्था में मिल रही अलग-अलग छूट के साथ इनकम स्लैब पर घटी टैक्स दर की नई व्यवस्था को ही लागू कर दिया जाए। अगर नहीं तो फिर पुरानी व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब की सीमा बढ़ा दें। 4. वक्र फ्रॉम होम (WFH) के मद्देनजर टैक्स कटौतियों की नई कैटिगरी बनाएं क्योंकि कोविड के कारण घर से काम करने की नौबत बार-बार आ रही है। इसके लिए घर में ऑफिस जैसा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने और उसे संचालित करने का खर्च उठाना पड़ रहा है। इसलिए सालाना 50 हजार रुपये का WFH डिडक्शन का प्रावधान करें। यूके गर्वनमेंट को ही देख लीजिए। उसने घर से काम करने वाले एंप्लॉयीज को हर हफ्ते 6 पाउंड की अतिरिक्त टैक्स छूट देने का नियम लागू कर दिया है। आप चाहें तो हमें टैक्स फ्री WFH भत्तों के रूप में भी राहत दे सकती हैं। 5. टैक्स छूट के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की समय-सीमा घटाएं : अभी एफडी पर मिले ब्याज पर टैक्स देने से तभी बचा जा सकता है जब एफडी कम-से-कम पांच साल के लिए की गई हो। आपसे अनुरोध है कि इस समयसीमा को घटाकर तीन वर्ष किया जाए। आपको पता ही है कि कम ब्याज दर और टैक्स के कारण लोग एफडी से मुंह मोड़ रहे हैं। ऐसे में निवेश के नजरिए से भी एफडी को फिर से आकर्षक बनाने के लिए टैक्स छूट पाने की समय सीमा घटाना सराहनीय माना जाएगा। किसी भी रास्ते से हो, हमें मदद चाहिए मंत्री महोदया, हमने पूरी इमानदारी से वही मांगें रखी हैं जिनकी हमें सच में बहुत जरूरत है। वैसे मांगों की लिस्ट तो बहुत लंबी हो सकती थी। अगर आप हमारी इन मांगों से इत्तेफाक नहीं रखतीं तो आप दूसरे रास्ते अपनाकर भी हमें मदद कर सकती हैं। मसलन, स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने, होम लोन की ब्याज दर और प्रिंसिपल अमाउंट के रीपेमेंट, दोनों पर टैक्स बेनिफिट 50-50 हजार रुपये बढ़ाने, होम लोन के ब्याज पर सब्सिडी आदि। हमें तो मदद चाहिए, वो किसी भी रूप में आ जाए।
Source navbharattimes

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