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UP-पंजाब चुनाव के नतीजों का क्षेत्रीय दल क्यों कर रहे इंतजार, 10 मार्च के बाद बदलेंगे समीकरण

नई दिल्ली : यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा (Assembly Elections In 5 States) के दौरान क्षेत्रीय दलों के नेता अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं। एक-दो मिसाल को छोड़ दें तो अभी तक देश की दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों (Regional Parties) ने इस चुनाव में दूरी बना रखी है। अभी तक सिर्फ ममता बनर्जी ने खुलकर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अखिलेश यादव के पक्ष में प्रचार और वोट देने की अपील की है। हालांकि ममता बनर्जी अरविंद केजरीवाल की करीबी मानी जाती हैं मगर उन्होंने आम आदमी पार्टी के लिए कहीं किसी राज्य में कोई अपील नहीं की है। क्यों दूरी बनाकर रखी है? भले चुनाव से इन दलों ने दूरी बनाकर रखी है लेकिन इन सभी दलों की नजर 10 मार्च पर टिकी है, जब इन राज्यों के नतीजे सामने आएंगे। इन राज्यों के चुनाव में कई ऐसे दल एक दूसरे के आमने-सामने हैं जो विपक्षी मोर्चे का हिस्सा रहे हैं। मसलन, पंजाब और गोवा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ हैं। वहीं संसद के भीतर इनमें अधिकतर दल साथ रहे हैं। ऐसे में किसके पक्ष में खड़े हों और किससे दूरी रखें, इसी उलझन ने इन क्षेत्रीय दलों को मौजूदा चुनावी माहौल से दूर कर दिया। सूत्रों के अनुसार, ममता बनर्जी भी उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव को साथ तब दे रही थीं, जब दोनों दलों में ऐसी चर्चा थी कि एक-दो सीट टीएमसी को दी जाएगी। हालांकि बाद में टीएमसी ने राज्य में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। उसी तरह शरद पवार भी इस चुनाव से अब तक दूर हैं। इसके उलट पश्चिम बंगाल के चुनाव से पहले वह ममता बनर्जी के पक्ष में लगातार सक्रिय थे। तमाम क्षेत्रीय दलों को लगता है कि 10 मार्च के बाद कई समीकरण बदलेंगे और पहले से स्टैंड लेना उनके लिए मुनासिब नहीं होगा। मतगणना के अगले ही दिन बजट सत्र शनिवार को एक बार फिर डीएमके ने दोहराया कि बजट सत्र के दूसरे चरण के बीच ही सभी क्षेत्रीय दलों के सीएम की मीटिंग दिल्ली में बुलाई जाएगी। बजट सत्र का दूसरा चरण 11 मार्च से शुरू होगा। 10 मार्च के नतीजे के बाद कांग्रेस के अंदर भी बड़ा संगठनात्मक बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है।
Source navbharattimes

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