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दंडवत प्रणाम करनेवाले बच्चे को पीएम मोदी से आशीर्वाद, हैदराबाद के मासूम ने जीता दिल, Watch Video

हैदराबाद : का हैदराबाद दौरा यादगार बन गया। शमशाबाद में उन्होंने 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य 216 फीट ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी' का अनावरण किया। कार्यक्रम के दौरान एक बच्चे ने प्रधानमंत्री मोदी को दंडवत प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लिया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी को दंडवत प्रणाम हैदराबाद में 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में 'स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी' के उद्घाटन समारोह के दौरान एक बच्चे ने पीएम मोदी के सामने 'दंडवत प्रणाम' किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसको उठाकर आशीर्वाद दिया। दंडवत प्रणाम का ये वीडियो बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है। दंडवत प्रणाम का वीडियो वायरल प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिमा का अनावरण करने के बाद परिसर का दौरा किया। तभी एक बच्चा उनके पास आया और उसने जमीन पर लेटकर नरेंद्र मोदी को दंडवत प्रणाम किया। इस पर पीएम मोदी ने भी उसकी पीठ थपथपाते हुए आशीर्वाद दिया। चार सेकेंड का ये वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो को देखनेवाले बच्चे के संस्कार की सराहना कर रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कही ये बात पीएम मोदी ने कहा कि जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है। आज से एक हजार साल पहले तो रुढ़ियों और अंधविश्वास का दबाव कितना ज्यादा रहा होगा। लेकिन रामानुजाचार्य जी ने समाज में सुधार के लिए समाज को भारत के असली विचार से परिचित कराया। आज रामानुजाचार्य जी की विशाल मूर्ति Statue of Equality के रूप में हमें समानता का संदेश दे रही है। इसी संदेश को लेकर आज देश 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास' के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है। 'स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी' की खासियत भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी' की अवधारणा रामानुजाचार्य आश्रम के जीयर स्वामी ने की है। जिसे तैयार करने में सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जिंक का इस्तेमाल किया गया है। मूर्ति की लंबाई 108 फीट है और इसके हाथ में लिया गया त्रिदंडम 135 फीट ऊंचा है। इस मूर्ति तक पहुंचने के लिए 108 सीढ़ियां बनाई गई है। वहीं, परिसर में वैदिक डिजिटल लाइब्रेरी, शोध केंद्र, प्राचीन पुस्तकें, थियेटर और शैक्षणिक गैलरी भी बनाई गई है।
Source navbharattimes

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