नई दिल्ली: जिन पांच राज्यों के चुनावों के नतीजे गुरुवार को आए हैं, उनका असर महज उन राज्यों में सरकार बनाने तक सीमित नहीं रहने वाला है। बल्कि यहां से रेस शुरू होती है 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए। इन राज्यों के नतीजों के सहारे अब सारा जोड़-घटाव लोकसभा चुनाव के लिए शुरू होना तय है। हालांकि इस बीच गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होंगे, लेकिन नजर 2024 पर ही होगी। इन पांच राज्यों के नतीजे इसलिए अहम हैं कि इन राज्यों से 102 लोकसभा की सीट आती हैं और बीजेपी को केंद्र में 300 के पार पहुंचाने में इन राज्यों की महती भूमिका थी। विपक्ष ने इन राज्यों के जरिए परिदृश्य में बदलाव की उम्मीद पाल रखी थी लेकिन अब वह नई रणनीति के साथ आगे बढ़ेगा। होली से पहले कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं की दिल्ली में जुटान भी होने वाली है। बीजेपी के लिए तसल्लीबख्श बात यह भर नहीं है कि उसने सबसे ज्यादा ( 80) लोकसभा सीट वाले राज्य में अपनी वापसी कर ली है बल्कि यह है, उसने अपना ऐसा एक मजबूत वोटबैंक तैयार कर लिया है जो विपक्ष के किसी भी तरह का गठबंधन से प्रभावित नहीं हो रहा। इस बार भी मोदी और योगी के चेहरे के आगे बीजेपी के खिलाफ सभी फैक्टर बेअसर साबित हो गए। और यहीं से योगी आदित्यनाथ के लोकप्रियता के पायदान पर नरेंद्र मोदी के बाद नंबर दो की पोजीशन में आने की चर्चा भी शुरू हो गई है। कांग्रेस का विकल्प बनने की ओर बढ़ रही आपपंजाब में कांग्रेस का सत्ता से बेदखल होना उतनी बड़ी बात नहीं है, जितनी बड़ी बात आम आदमी पार्टी का वहां सत्ता में आना है। यह पहला मौका है कि जब एक किसी एक राज्य की पार्टी किसी दूसरे राज्य में सरकार बनाने जा रही है। आम आदमी पार्टी की जीत का महत्व यह नहीं है कि उसने पंजाब जीत लिया है, बल्कि यह है वह कांग्रेस का विकल्प बन रही है। दिल्ली के बाद पंजाब में विस्तार दिखा। 2024 के मद्देनजर अब आम आदमी पार्टी गुजरात को लक्ष्य कर रही है। आम आदमी पार्टी का यह विस्तार कांग्रेस को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। अरविंद केजरीवाल की कोशिश भी 2024 के चुनाव में प्रभावी चेहरा बनने की होगी। उत्तराखंड भी 2024 के नजरिए से बीजेपी को सुकून देने वाला है। पिछले दो लोकसभा चुनाव से बीजेपी यहां की सभी पांच सीट जीतती आ रही है। इस बार जिस तरह से चुनाव पूर्व के आखिरी छह महीनों में पार्टी को अपने दो-दो सीएम बदलकर धामी को लाना पड़ा उसका असर चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा था लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
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