निर्देशक एक-दो दिन में तैयार नहीं होता है। दशकों लग जाते हैं। हम लोगों को 30-40 साल बाद मान्यता मिलनी शुरू हुई। धैर्य की जरूरत है। नए लोगों में धैर्य नहीं है। वे शॉर्टकट रास्ता चाहते हैं। एक-दो नाटक कर लिया, थोड़ा अच्छा हो गया, तो उनको लग जाता है कि अब यही सत्य है। लेकिन सत्य वह नहीं है Source navbharattimes
0 टिप्पणियाँ