ब्रिटिश राज में स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज दबाने के लिए बनाए गए राजद्रोह कानून को खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अंदर और बाहर भारी बहस छिड़ी हुई है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण की अगुआई वाली बेंच ने इस कानून को खत्म करने के लिए दाखिल याचिका के परीक्षण का फैसला किया था। अब केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून की वैधता के परीक्षण में अपना वक्त न लगाए, सरकार खुद कानून का दोबारा परीक्षण करेगी। आजादी के पहले और उसके बाद समय-समय पर इस कानून के औचित्य पर सवाल उठते रहे हैं। संविधान बनाने वालों ने तो संविधान में राजद्रोह शब्द को जगह तक नहीं दी थी, लेकिन आईपीसी में यह कानून अभी भी बना हुआ है। Source navbharattimes
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