अग्निपथ योजना को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों में दिखी हिंसा चिंता अवश्य पैदा करती है, लेकिन यह हमारे देश में एक प्रवृत्ति के रूप में स्थापित हो रही है। हाल के वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार या प्रदेश की बीजेपी सरकारों के विरुद्ध कोई भी बड़ा प्रदर्शन हिंसा से अछूता नहीं रहा। यूं तो विरोध-प्रदर्शन लोकतंत्र की सुंदरता है। असहमति व्यक्त करने का माध्यम है। लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अगर इरादा किसी नीति, मुद्दा, आदेश आदि में संशोधन, परिवर्तन कराने का हो तो आंदोलन का चरित्र सामान्यतः हिंसक नहीं होता। यहां तक कि आंदोलन लंबा खिंचने पर धैर्य खोकर कुछ लोगों के द्वारा छिटपुट हिंसा भी असामान्य घटना मानी जाती रही है। लेकिन अब तो विरोध की शुरुआत ही हिंसक घटनाओं और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने से हो रही है। Source navbharattimes
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