यह पहली बार है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के किसी वक्तव्य का समर्थकों की ओर से इतना व्यापक विरोध हुआ है। अनेक साधु-संत, महंत और छोटे-बड़े हिंदू संगठन चलाने वाले कह रहे हैं कि ज्ञानवापी पर भागवत का बयान मुस्लिम समुदाय का समर्थन है। मुस्लिम समुदाय के अंदर भी अनेक नेता भागवत के वक्तव्य को धोखा बता रहे हैं। क्या वाकई भागवत ने ऐसा कुछ बोल दिया है, जिसका इतना तीखा विरोध दोनों समुदायों की ओर से होना चाहिए? संघ अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मुक्ति के संघर्ष की मुख्य शक्ति रहा है। मथुरा और काशी दोनों उसके घोषित अजेंडे के भाग हैं। ऐसे में भागवत का यह कहना कि सभी मस्जिदों में शिवलिंग क्यों तलाशना, बहुतों के गले नहीं उतर रहा। Source navbharattimes
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