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क्या संजीव को पता थी अपनी मौत की तारीख? कहा था- बूढ़ा होना मेरे नसीब में नहीं...

बॅालीवुड के लेजेन्ड्री स्टार संजीव कुमार ( Sanjeev Kumar ) की आज डेथ एनिवर्सरी है। उनका पूरा नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था। एक्टर के करीबी उन्हें हरीभाई भी कहकर पुकारा करते थे। संजीव गुजरात के एक जैन परिवार में जन्मे थे। स्टार ने बॅालीवुड को कई कामयाब फिल्में दी। लेकिन जितने चर्चित वह फिल्मों को लेकर रहे उससे कहीं ज्यादा वह अपनी निजी जीवन को लेकर खबरों में बने रहते थे।

 

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थिएटर में पर्दे खींचने का काम करते थी संजीव
अपने शुरुआती दिनों में संजीव कपूर केवल पर्दे को खींचने का काम करते थे। इसी दौरान उन्हें एक्टिंग का जुनून चढ़ने लगा। एक्टर ने कुछ वक्त बाद थिएटर ज्वाइन कर लिया। धीरे- धीरे स्टार थिएटर में अपनी लाजवाब एक्टिंग से इतने पॅापुलर हुए की उन्हें वहां लीड रोल मिलने लगे। साल 1960 में उन्होंने 'हम हिन्दुस्तानी' ( hum hindustani ) से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। एक्टर ने 1965 में एक बी ग्रेड फिल्म 'निशान' ( nishaan ) में भी काम किया। लेकिन वह फिल्म फ्लॅाप साबित हुई। सन 1968 में आई फिल्म 'संघर्ष' ( sangharsh ) में वह दिलीप कुमार के साथ नजर आए और वहां से स्टार ने सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। हांलाकि फिल्म में उनका रोल काफी छोटा था। इसके बाद एक्टर को 1970 की फिल्म 'खिलौना' ( khilona ) ने रातों-रात स्टार बना दिया और उनका कॅरियर उड़ान भरने लगा। एक्टर को फिल्म 'दस्तक' ( dastak ) और 'कोशिश' ( koshish ) के लिए दो नैशनल फिल्म अवॉर्ड्स भी मिले।

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सताता था मौत का डर
जहां एक ओर वह अपने कॅरियर में ऊंचाईयों को छू रहे थे वहीं दूसरी ओर उन्हें अचानक अपनी मौत का डर भी सताने लगा था। दरअसल, बताया जाता है कि संजीव के परिवार में किसी भी पुरुष की जीवन आयु 50 से ज्यादा नहीं थी। इसलिए उन्हें लगता था कि वह भी जल्द मर जाएंगे। साथ ही बताया जाता है कि उन्हें जवानी के दिनों में भी बुढ़ापे के किरदार निभाना पसंद था। उन्होंने कम उम्र में ही कई बूढ़े किरदार निभाए। एक पुराने इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि बुढ़ापे को लेकर इतनी चाहत क्यों है? तो जवाब में उन्होंने बताया था कि'तब्बसुम, मेरा हाथ देखकर किसी ने बताया था कि मेरी उम्र ज्यादा लंबी नहीं है। बूढ़ा होना मेरे नसीब में नहीं है। इसलिए फिल्मों में बूढ़ा बनकर बूढ़ा होने का अरमान पूरा कर रहा हूं।'

गौरतलब है कि अपनी कमाई के पैसों से जुहू में उन्होंने अपने सपनों का आशियाना खरीदा था, लेकिन इससे पहले कि वह अपने नए घर में कदम रख पाते मौत ने उन्हें गले लगा लिया।



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