सुप्रीम कोर्ट ने एक दशक पुराने फैसले में इस टेस्ट को महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन करार दिया था। हालांकि यह समाज में अब भी प्रचलित था जिस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। निर्भया गैंगरेप केस के बाद से ही इसकी मांग उठाई जा रही थी। महिला एक्टिविस्टों का कहना है कि अब सरकारों पर बहुत कुछ निर्भर करता है। Source navbharattimes
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