बॅालीवुड में प्यार के किस्से तो बहुत हैं, लेकिन सबका प्यार सफल नहीं हो पाया। ऐसी कई लव स्टोरीज हैं जिनका अंत बेहद दर्दनाक रहा है। ऐसी ही एक कहानी थी एक्ट्रेस प्रिया राजवंश ( Priya Rajvansh ) की। उन्हीं के प्यार के कारण एक्ट्रेस की जान चली गई। बता दें प्रिया का मर्डर हुआ था। इस मर्डर केस ने पूरे बॅालीवुड को हिलाकर रख दिया था।
30 दिसम्बर, 1936 को शिमला में प्रिया का जन्म हुआ था। उनका असल नाम वेरा सुंदर सिंह था। एक्ट्रेस ने लंदन जाकर अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद लंदन में लिया एक फोटो देखकर प्रिया को फिल्मों में लेने की बात चली। रणवीर सिंह नाम के शख्स ने प्रिया को देव आनंद ( Dev Anand ) के भाई चेतन आनंद ( Chetan Anand ) से मिलवाया और यहीं से प्रिया की जिंदगी में एक नया मोड़ आया। चेतन आनंद ने प्रिया को साल 1964 में आई फिल्म ‘हकीकत’ में कास्ट किया।
सिर्फ प्रिया को बनाते थे अपनी फिल्मों की हिरोइन
फिल्म की शूटिंग के दौरान चेतन और प्रिया के बीच एक अलग रिश्ता पनपने लगा। चेतन शादीशुदा थे, लेकिन अपनी पत्नी से अलग रहते थे। यही कारण था कि उनको प्रिया पसंद आने लगीं। धीरे- धीरे चेतन प्रिया के प्यार में पागल होने लगे। उन्होंने प्रिया को किसी और फिल्ममेकर की फिल्म में काम नहीं करने दिया। वह जो भी फिल्म बनाते एक्ट्रेस के साथ ही करते। एक्ट्रेस ने 'हीरा रांझा', 'हंसते जख्म', 'हिंदुस्तान की कसम', 'कुदरत', 'साहेब बहादुर' जैसी फिल्मों में काम किया। लेकिन साल 1985 में आई 'हाथों की लकीरें' प्रिया की आखिरी फिल्म साबित हुई।
बेटों ने ली प्रिया की जान
प्रिया और चेतन के बीच प्यार का गहरा रिश्ता बन चुका था। इस कारण दोनों बिना शादी किए 15 साल लिव इन में रहे। लेकिन एक वारदात ने सबकुछ उजाड़ दिया। साल 1997 में चेतन आनंद की मौत ने उन्हें तोड़ दिया। वे परेशान रहने लगी थीं। चेतन के दो बेटे थे केतन और विवेक, दोनों के साथ प्रिया हमेशा अपनेपन से रहा करती थीं। लेकिन चेतन के लिए प्रिया सबकुछ थीं। यही कारण था कि जब उनकी वसीयत सामने आई तो वह तीन हिस्सों में बंटी थी। दो पर उनके बेटों और एक हिस्से पर प्रिया का नाम था। लेकिन यह बात उनके बेटों को हजम नहीं हुई। 27 मार्च 2000 को चेतन आनंद के जुहू स्थित बंगले में प्रिया का शव बरामद हुआ। पता चला कि प्रिया का गला दबाकर हत्या की गई। यह मर्डर चेतन के दोनों बेटों ने किया। केतन और विवेक ने अपने कर्मचारियों माला और अशोक के साथ मिलकर इस हत्या को अंजाब दिया था। आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। लेकिन साल 2002 में बेटों को बेल मिल गई थी और मामला अब भी चल रहा है।
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