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लोकेश वर्मा को मुंबई ने दो बार लौटाया, तीसरी बार मिला बड़ा ब्रेक

जयपुर शहर के रंगमंच से निकलकर मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में छा जाने का सपना हर किसी का होता है। कुछ सपने पूरे होते हैं और कुछ पूरे होने से पहले उम्मीदें छोड़ देते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ, शहर के रंगकर्मी और अब वेब सीरीज-फिल्मों में काम कर रहे एक्टर लोकेश वर्मा का। लोकेश ने बताया कि जब वह 11वीं क्लास में थे, तब उन्होंने राजस्थान पत्रिका में रवीन्द्र मंच पर एक्टिंग वर्कशॉप के लिए खबर पढ़ी थी। उसके बाद उन्होंने थियेटर आर्टिस्ट साबिर खान के निर्देशन में एक्टिंग की बारीकियां सीखीं। वर्कशॉप करने के बाद उन्होंने अपना पहला नाटक 'दूधा' किया। मंजिल की तलाश में वह लगातार काम करते रहे और आगे बढ़ते रहे। 2008 में वह पहली बार मुंबई गए और कुछ महीनों तक रोल पाने के लिए संघर्ष किया। माहौल में खुद को फिट न हो पाने से निराश होकर वह पावस जयपुर आ गए और नुक्कड़ नाटक व प्ले करने ले।

ऐसे मिला पहला ब्रेक

सुनील अग्निहोत्री के सीरियल 'कहानी चंद्रमुखी की' में वह असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया। 2011में चलो दिल्ली फिल्म की कास्टिंग के लिए मैंने प्रोडक्शन की मदद की। इससे खुश होकर मुण्े भी फिल्म में बिल्लू का किरदार दे दिया। उसके बाद मुझे एक बार फिर मुंबई जाना पड़ा। चार-पांच महीने यहां फिर से हाथ पांव मारे लेकिन बात नहीं बनी। मैं फिर वापस आ गया। इसके बाद 2016 में मैंने पत्नी के कहने पर मैं वापस एक आखिरी प्रयास करने के लिए पहुंचा। इस बार मुझे न्यूमेरोलॉजी से एक एक्सपर्अ के कहने पर अपना नाम लोकेश से निकनेम टीटू को अपना स्टेज नेम बनाया। चमत्कार हुआ और मुझे 2018 में मेरी पहली फिल्म मिली 'टर्टल', जिसे उस साल का नेशनल अवॉर्ड (राजस्थानी कैटेगिरी में) भी मिला। उसके बाद टीवी सीरियल, वेब सीरीज, फिल्म और एड मिलने लगे। मैं टीवी शो 'तेरे इश्क में मरजावां', अमिताभ बच्चन जी के साथ 'गुडबाय', नसीरुद्दीन शाह के साथ 'कौन बनेगी शिखरवती', वेब सीरीज 'केंडी', 'शी' सीजन थ्री, 'क्रैश कोर्स', 'गंगूबाई काठियावाड़ी', वेब सीरीज 'रंगबाज' सीजन ३ में भी काम किया।

इन फिल्मों में आएंगे नजर
लोकेश ने बताया कि दिवंगत म्यूजिक डायरेक्टर आदेश श्रीवास्तव के बेटे अवतेश श्रीवास्तव जल्द ही 'सिर्फ एक फ्राइडे' से डेब्यू करेंगे। इस फिल्म में लोकेश अहम भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म जुलाई में रिलीज होगी। इसके अलावा वह निर्देशक निखिल आडवाणी की फिल्म 'वेदा' में भी नजर आएंगे, जिसकी कहानी जैसलमेर में हुए एक ऑनर किलिंग पर आधारित है। वहीं, इन दिनों वह शहर में एक 19, 20 और 21 मई तक अपनी एक शॉर्ट फिल्म 'सपना' की शूटिंग भी कर रहे हैं।

वेस्ट हुए लाख से बनाती हैं तस्वीरें, राजस्थानी संस्कृति को करती हैं साकार

जयपुर। लाख की चूडिय़ों के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन शहर की आर्टिस्ट द्रौपदी मीणा इसी लाख को खूबसूरत तस्वीरों में भी ढालने का हुनर जानती हैं। द्रौपदी ने बताया कि वह 2004 तक शौकिया घर में वेस्ट पड़ी लाख की चूडिय़ों का इस्तेमाल पेंटिंग्स बनाने में करती थीं। 2016 में पहली बार उन्होंने सवाई माधोपुर में अपने गुरु के आश्रम में अपनी बनाई लाख की पेंटिंग्स की एग्जिबिशन लगाई। इस प्रदर्शनी में लाख से बनी उनकी श्रीकृष्ण की पेंटिंग को पांच हजार रुपए में खरीदे जाने के बाद उन्हें इस क्षेत्र में ही कुछ करने का जज्बा आया। सोमवार को द्रौपदी ने राजस्थान ललित कला अकादमी में अपनी पेङ्क्षटंग्स की प्रदर्शनी लगाई, जिसका उद्घाटन शाम 4 बजे मुख्य अतिथि लक्ष्मण व्यास मूर्तिकार, चेयरमैन ललित कला अकादमी ने किया। प्रदर्शनी सुबह 11 से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी।

65 पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाई

द्रौपदी ने बताया कि राजस्थान ललित कला अकादमी में यह उनकी पहली सोलो पेंटिंग एग्जिबिशन है। यहां उन्होंने लाख से बनाई हुई अलग-अलग नेचर की तस्वीरों का प्रदर्शन किया है। इनमें राजस्थानी संस्कृति को दर्शाती तस्वीरों के अलावा, राजनेताओं की पेंटिंग्स, हिंदू देवी-देवताओं की पेंटिंग्स और परंपरागत वेशभूषा में राजस्थानी महिलाओं और पणिहारिनों की पेंटिंग्स प्रमुख हैं।

4 से 5 घंटें लगते हैं बनाने में

द्रौपदी का कहना है कि उनकी बनाई ये सभी पेंटिंग्स ए४ साइज की हैं। लाख से बनाने में इन्हें आमतौर पर 4 से5 घंटें का समय लगता है। वह इन्हें गैस चूल्हे का इस्तेमाल कर बनाती हैं। वह मार्केट से वेस्ट लेकिन नई लाख की चूडिय़ों से इसके लिए मैटीरियल घर पर ही तैयार करती हैं। कलरफुल लाख तैयार करने के लिए वह रंगों का इस्तेमाल करती हैं। राजनेताओं और महापुरुषों की तस्वीरों का प्रिंट हनकालकर उस पर लाख का काम करती हैं। द्रौपदी का कहना है कि उन्होंने इस लाख पेंटिंग को अपने आत्मज्ञान से सीखा है। उन्हें बचपन से ही वेस्ट चीजों का इस्तेमाल करने का शौक था। द्रौपदी की पेंटिंग्स का लोगो द्रौपदी लाख आर्टिस्ट के नाम से रजिस्ट्रेशन भी है,साथ ही उन्होंने अपनी पेंटिंग्स का इंस्टाग्राम पेज भी बनाया हुआ है।

'बड़ी दादी: एक वीरांगना' ने खोलीं मन की गांठें

जयपुर. भारतीय सेना में शहीद हुए सैनिक परिवारों और उनकी वीरांगनाऔ के जीवन पर आधारित नाटक 'बड़ी दादी: एक वीरांगना' का सोमवार को रवीन्द्र मंच के मिनी थियेटर में शाम सात बजे से मंचन हुआ। नाटक का लेखन-निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी एस एन पुरोहित ने किया। नाटक शेखावाटी क्षेत्र की एक ऐसी वीरांगना से रूबरू कराता है, जिसके पति, पुत्र और पोते, तीनों देश के लिए शहीद हो चुके हैं। अपने भीतर छिपे असीमित दर्द को मुख्य पात्र 'बड़ी दादी' दूसरों पर वात्सल्य लुटाकर व्यक्त करती है और पूरे गांव को अपना परिवार बना लेती है। यह नाटक, वर्तमान समय में समाज में कम होती जा रही सामाजिक-पारिवारिक मर्यादाओं और नैतिक मूल्यों की कमी पर सवाल उठाता है।



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