शोएब खान: कोचिंग हब की पहचान रखने वाला राजस्थान का कोटा अब वैसा नहीं रहा। कोचिंग के लिए आए छात्रों की आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले 3 महीने में कोटा में कोचिंग को आए 17 छात्रों ने आत्महत्या की है। इस छोटे से शहर में हर साल पूरे देश से हर तबके के स्टूडेंट्स कोचिंग के लिए आते हैं। कोटा का नाम बड़ा है और उससे भी बड़ी है यहां की कोचिंग फैक्ट्री। हर साल लाखों स्टूडेंट्स आते हैं। उनके लिए यहां ढाई हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड हॉस्टल हैं। खाने का खर्च अलग से। कोचिंग सेंटर है तो किताबों का बड़ा मार्केट भी है। हर साल 50 लाख किताबें बिक जाती हैं। कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री हर साल करीब 5,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट करती है। यहां के कुछ टीचर्स की सैलरी एक करोड़ रुपये सालाना तक जाती है। आइए आपको अंदर से दिखाते हैं कि कोटा की यह कोचिंग फैक्ट्री आखिर काम कैसे करती है। Source navbharattimes
0 टिप्पणियाँ