बॉलीवुड अभिनेत्री राधिका आप्टे को लगता है कि भाई-भतीजावाद पर संवाद करना बेहद जटिल है। ऐसा न केवल फिल्म उद्योग के बारे में है बल्कि हर जगह है। राधिका ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि मैं इस चर्चा का हिस्सा नहीं बनना चाहती हूं। यह केवल इनसाइडर-आउटसाइडर के बारे में नहीं है। यह एक व्यापक संवाद है, जिसमें किसी एक के जबाव देने से बात नहीं बनेगी। एक समाज के तौर पर, हमने भाई-भतीजावाद का समर्थन किया है। यह सिर्फ फिल्म उद्योग में नहीं है। बदलाव लाने के लिए हम सभी को बदलने की जरूरत है।
एक खास परिवार में पैदा होने से सफलता नहीं मिलती
बॉलीवुड में पहचान बनाने को लेकर उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इनसाइडर और आउटसाइडर दोनों के लिए ही यहां सफलता पाना मुश्किल है। केवल एक खास परिवार में पैदा होने से सफलता नहीं मिलती है, यह मुश्किल संवाद है। इससे पहले साक्षात्कार में राधिका ने कहा था कि मैं यहां केवल प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं हूं। हां, कभी-कभी इससे मिलने वाले सुविधाओं को मैं पसंद करती हूं, लेकिन मैं सफलता और असफलता को गंभीरता से नहीं लेती। अभिनेत्री ने कई फिल्मों में न केवल शानदार अभिनय से लोगों का दिल जीता है, बल्कि उन्होंने बॉलीवुड नायिका की रूढ़ीवादी छवि को तोड़ते हुए 'फोबिया', 'बदलापुर', 'मांझी: द माउंटेन मैन', 'लस्ट स्टोरीज', 'सेक्रेड गेम्स और पैड मैन' जैसे प्रोजेक्ट भी किए हैं।
फिल्ममेकर आउटसाइडर को नहीं देते चांस : साहिल आनंद
फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' अभिनेता साहिल आनंद ने नेपोटिज्म पर अपनी बात रखी है। उनका कहना है कि फिल्ममेकर आउटसाइडर को मौका नहीं देते। एक इंटरव्यू में साहिल ने कहा कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म मौजूद है। महिला कलाकारों को अभी भी मौका दिया जाता है, लेकिन पुरुषों को जूझना पड़ता है। मुझे एक फिल्म निर्माता दिखाइए, जिसने हाल के दिनों में एक बाहरी शख्स को लीड हीरो के रूप में लॉन्च किया हो। कोई भी बाहरी शख्स को फिल्मों में नए कलाकार के रूप में लॉन्च नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि साथ ही हमारी मानसिकता भी बन गई है, 'ये किसका बेटा है।' अभिनेता ने कहा कि मुझे 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' में नोटिस किया, क्योंकि मैंने अच्छा काम किया था। उसके बाद कोई मुझे मौका नहीं देगा, क्योंकि मैं किसी का बेटा नहीं हूं। उन्होंने कहा कि कुछ ही लोगों को लकी ब्रेक मिला है और टॉप पर पहुंचे हैं। अगर आप चारों ओर देखें तो सिर्फ बाहर से आए आयुष्मान खुराना और सुशांत ने बड़ा नाम बनाया है। अब सुशांत चले गए हैं और केवल आयुष्मान ही हैं।
कई बार हुई नेपोटिज्म का शिकार : ईशा कोप्पिकर
अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर ने हाल ही नेपोटिज्म पर बेबाकी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि वह भी भाई-भतीजावाद का शिकार हुई हैं। एक एक्टर के कहने पर उन्हें बड़ी फिल्म से आखिर में निकाल दिया था, जो अब एक सुपरस्टार है। कई बार मुझे रोल ऑफर हुए, लेकिन ऐन वक्त वह रोल किसी को मिल गया। उन्होंने बताया कि यदि कोई किसी के साथ है और नायिका एक्टर की सहेली या प्रेमिका है, तो उसे ही यह भूमिका मिलेगी।
खुद बनाई अपनी पहचान : करीना कपूर
अभिनेत्री करीना कपूर ने भी नेपोटिज्म पर अपनी राय रखी है। एक इंटरव्यू के दौरान करीना ने कहा कि मेरे पैरेंट्स ने मेरे कॅरियर में मदद नहीं की। शुरुआत में सभी मुझे करिश्मा कपूर की बहन से जानते थे। मुझे अपनी पहचान खुद बनानी पड़ी। मुझे लगता है कि हर इंसान को वो मिल ही जाता है जिसका वो हकदार है, जो उसकी तकदीर है। मैं भी अपने बच्चे तैमूर अली के लिए दुआ करती हूं कि वह खुद अपने दम पर मशहूर हो।
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