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कहानी उस प्रधानमंत्री की, जो कवि और पत्रकार भी रहे थे; जिन्होंने भारत को न्यूक्लियर स्टेट बनाया

वो एक स्कूल टीचर के बेटे थे। अपने पिता के साथ उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की। करियर पत्रकारिता से शुरू किया, लेकिन शौक कविताएं लिखने का था। पढ़ाई के दौरान ही आरएसएस से जुड़े, वहीं से राजनीति की ओर रुख किया। उनके भाषणों को सुनने के लिए विरोधी भी उनकी सभाओं में जाते थे।

पहला चुनाव लड़ा तो हार गए। दूसरी बार तीन जगह से चुनाव लड़े तो एक जगह से जीत मिली। एक वक्त ऐसा तक आया, जब उनकी पार्टी के दो सांसद थे, जिनमें से एक वो खुद थे। एक वक्त ऐसा भी आया, जब वो देश के प्रधानमंत्री बने और 20 से ज्यादा दलों के समर्थन के साथ। हम बात कर रहे हैं अटल बिहारी वाजपेयी की। आज ही के दिन 1924 में उनका जन्म हुआ था।

दुनिया उनकी भाषण शैली की कायल थी। लेकिन, वही अटलजी जब स्कूल के फंक्शन में पहली बार अपना भाषण पढ़ने खड़े हुए थे तो आधे भाषण के बाद उन्होंने बोलना बंद कर दिया था, क्योंकि वो अपना भाषण भूल गए थे।

अटलजी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे। पहली बार 13 दिन और दूसरी बार 13 महीने के लिए। 13 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और देश के पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।

अटलजी ने अपने जीवन में कई मशहूर कविताएं लिखीं। जिनमें से एक ये भी है- हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा, काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं।

बात मई 1998 की है। अटलजी को प्रधानमंत्री बने महज 3 महीने हुए थे। 11 मई की दुनियाभर में ये खबर चली की भारत ने न्यूक्लियर टेस्ट किया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए तक को इसकी भनक नहीं लगी। 13 मई को एक बार फिर भारत ने सफल टेस्ट किया। इसी के साथ भारत दुनिया के परमाणु शक्ति संपन्न देशों की लिस्ट में शामिल हो गया।

वो अटलजी ही थे, जिनकी सरकार के फैसले की वजह से कभी 17 रुपए मिनट कॉलिंग वाले मोबाइल पर बात फ्री कॉलिंग तक पहुंची। उनकी सरकार ने टेलीकॉम फर्म्स के लिए फिक्स्ड लाइसेंस फीस को खत्म कर दिया और उसकी जगह रेवेन्यू शेयरिंग की व्यवस्था शुरू की। अटल सरकार में ही 15 सितंबर 2000 को भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का गठन किया। इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में होने वाले विवादों को सुलझाने के लिए 29 मई 2000 को टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) को भी गठन किया।

भारत और दुनिया में 25 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं :

2015: एक्ट्रेस साधना का निधन हुआ। साधना ने मेरे महबूब, हम दोनों, वो कौन थी, राजकुमार, वक्त, मेरा साया, एक फूल-दो माली जैसी फिल्मों में काम किया था।

2012: दक्षिणी कजाकिस्तान के शिमकेंट में एएन-72 प्लेन क्रैश हो गया। प्लेन में सवार 27 लोगों की मौत हुई।

1994: पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का निधन हुआ।

1991: राष्ट्रपति मिखाइल एस. गोर्बाचेव ने इस्तीफा दिया। इसके साथ ही सोवियत संघ का विभाजन एवं उसका अस्तित्व समाप्त। अगले दिन यानी 26 दिसंबर को रूस अस्तित्व में आया।

1977: हॉलीवुड के मशूहर कॉमेडियन चार्ली चैपलिन का निधन।

1959: केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का जन्म हुआ। आठवले महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं।

1926: मशहूर हिन्दी साहित्यकार धर्मवीर भारती का जन्म प्रयागराज में हुआ। गुनाहों का देवता और सूरज का सातवां घोड़ा उनकी सबसे चर्चित रचनाएं थीं।

1876: पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना का जन्म हुआ।

1861: महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद और बड़े समाज सुधारक मदनमोहन मालवीय का जन्म हुआ। 2014 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।



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The story of the Prime Minister who was also a poet and journalist and due to which India became a nuclear state
Source http://bhaskar.com

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