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मैंने तो ससुर का घर भी उड़ा दिया... वाकई, लीक से हटकर हैं गडकरी

नई दिल्ली 2014 से केंद्र की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार की नीतियों की भले ही विपक्ष आलोचना करता हो, पर कुछ नेता ऐसे हैं जिनके लिए उनके दिल में तल्खी कम ही होती है। इनमें से एक बड़ा नाम नितिन गडकरी का है। वह बीजेपी सरकार के सबसे अच्छे काम करने वाले मंत्रियों में शुमार हैं।आखिर क्या है वो बात कि गडकरी विरोधियों में भी लोकप्रिय हैं? दिल्ली-मेरठ हाइवे हो या दूसरी किसी चमचमाती सड़क पर अगर आप ड्राइव कर रहे हों तो बिना झटके लगे सरपट भागती गाड़ी अचानक गडकरी का नाम जेहन में ला देती है। मिशन की तरह अपना काम करने वाले गडकरी अपने ससुर के घर पर बुल्डोजर चलवाने का किस्सा सुनाकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। आइए कुछ पॉइंट्स में समझने की कोशिश करते हैं कि क्यों लीक से हटकर हैं गडकरी। सड़क बनानी है.... पर किसानों से बोले- मत बेचो सड़क निर्माण में किसानों से जमीन लेनी होती है। गडकरी ने किसानों को खुद सलाह दे डाली कि वे अपनी जमीनें न बेचें। इसकी बजाय उन्होंने ज्यादा लाभ लेने का तरीका सुझाया। गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि किसान धनवान बनें। पर जब हम रोड बनाते हैं तो बिल्डर और डिवेलपर जमीन खरीद लेते हैं और फिर रेट बढ़ते हैं तो फायदा उनका होता है। अंदाज-ए-बयां गडकरी के बेबाक अंदाज से महाराष्ट्र ही नहीं, देशभर के लोग परिचित हैं। उनके संबोधन लिखे लिखाए नहीं, दिल से सीधे निकले शब्द होते हैं शायद इसीलिए वह महफिल में आखिरी छोर पर बैठे शख्स को भी अपना मुरीद बना लेते हैं। पिछले दिनों उनका एक वीडियो काफी चर्चा में रहा। राजस्थान विधानसभा में एक कार्यक्रम में उन्होंने सियासी पार्टियों के सामने मौजूद समस्या की ओर इशारा किया। ऐसे समय में जब गुजरात में अचानक मुख्यमंत्री बदले बीजेपी को एक हफ्ते भी नहीं बीते थे, वह गडकरी ही थे जो यह कह गए कि आज के समय में तो मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी को लेकर टेंशन में हैं कि वह कब तक रहेगी। इस बयान को सीधे तौर पर बीजेपी से जोड़ा जाएगा, शायद यह सोचकर गडकरी ने नहीं बोला था। वह तो उनका अंदाज-ए-बयां है कि वह बड़ी साफगोई से अपनी बात कह जाते हैं। बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह पार्टी प्रेसीडेंट थे, तो कोई ऐसा नहीं मिला जो दुखी न हो। यह तो एक बानगी है। गडकरी की बेबाक टिप्पणियां उन्हें दूसरे सियासतदानों से अलग कतार में खड़ा करती हैं। ऐसे समय में जब बीजेपी के नेता और सरकार में शामिल मंत्री पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर बोलने से कन्नी काटते हैं। इसी साल जुलाई में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने कहा था कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से लोग काफी गुस्‍सा हैं। नागपुर में उन्होंने कहा था कि एलएनजी, सीएनजी या एथेनॉल जैसे वैकल्पिक ईंधन के ज्‍यादा इस्‍तेमाल से पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगी। इससे लोगों का गुस्‍सा शांत होगा। पार्टी नेतृत्व को दे डाली सलाह आज के समय में किसी भी पार्टी में हाईकमान पर सवाल उठाने का साहस नेताओं में नहीं है। पर गडकरी वह शख्स हैं, जिन्होंने पार्टी नेतृत्‍व से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव की हार के बाद विफलताओं को स्वीकार करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि कि जब जीत का सेहरा उनके सिर सजता है तो हार की जिम्‍मेदारी भी उन्‍हें ही लेनी होगी। काम बोलता है...ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ बोलते अच्छा हैं, वास्तव में उनका काम बोलता है। वह जब अपने काम को लेकर किसी मंच पर बोलते हैं तो काम की सफलता का आत्मविश्वास झलकता है। उनके मंत्रालय ने समय से पहले टारगेट को पूरा किया है। यह उनका कौशल ही हैं कि कोरोना से जब हालात बिगड़ने लगे तो बीजेपी के दिग्गज नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने गडकरी पर भरोसा जताते हुए उन्होंने कोविड मैनेजमेंट की जिम्मेदारी देने की मांग कर डाली। गाहे-बगाहे उन्हें पीएम या उपप्रधानमंत्री बनाने की भी मांग होती रहती है। गडकरी को इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट का काफी अनुभव है। गडकरी को सड़क परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी यूं ही नहीं दी गई है। उन्होंने सड़क निर्माण के इतने काम किए हैं उन्हें 'रोड बिल्डर' के नाम से भी कहा जाने लगा। महाराष्ट्र के PWD मिनिस्टर के तौर पर गडकरी ने 1995 से 99 के बीच राज्य में इतनी सड़कें बनाईं कि विपक्षी भी उनके कायल हो गए। यह उनका काम ही था कि महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे उनकी तारीफ करते थे। महाराष्ट्र में उनके काम से ऐसी छवि बनी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण का चेयरमैन बना दिया। उन्होंने वाजपेयी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का खाका खींचने में अहम भूमिका निभाई। पिछला रेकॉर्ड ऐसा था कि मोदी सरकार आने पर उन्हें सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई। आज सड़क निर्माण की बात होती है तो गडकरी का नाम अपने आप जुड़ जाता है। सख्त भी खूब हैंगडकरी काम को मिशन की तरह लेते हैं और कोताही बर्दाश्त नहीं करते। मुस्कुराते हुए अपनी बात कहने वाले गडकरी काम को लेकर सख्त रहते हैं। सड़क निर्माण को वह कितना महत्व देते हैं, यह इस बात से ही समझा जा सकता है कि उन्होंने अपने ऑफिस में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी का एक कथन लिखकर रखा है, जिसका मतलब है कि समृद्धि का रास्ता सड़क से होकर ही गुजरता है। ससुर का घर भी नहीं छोड़ा...गुरुवार को वह हरियाणा के सोहना में थे। यहां अपने संबोधन में उन्होंने सालों बाद एक बड़ा राज खोला। उन्होंने बताया, 'मेरी नई-नई शादी हुई थी तो रामटेक में मेरे ससुर का घर सड़क के बीचोंबीच आ रहा था। यह समस्या बड़ी थी। लोगों के आवागमन में मुश्किल आ रही थी।' इस धर्म संकट में गडकरी ने अपना फर्ज निभाते हुए पत्नी को बिना बताए ससुर के घर पर बुलडोजर चलवा दिया था। यह गडकरी के काम करने की शैली है, वे हर मुश्किल को चुनौती की तरह लेते हैं और फिर जनहित को प्राथमिकता में रखते हुए फैसला लेते हैं। सड़क मार्ग से सिर्फ 12 घंटे में दिल्ली से मुंबई का सफर जल्द ही हकीकत बनने वाला है। इसका श्रेय गडकरी और उनकी टीम को जाता है। हरियाणा, राजस्थान और गुजरात समेत कई राज्यों से गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के कुशल नेतृत्व की ही देन है कि उनके मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 में रेकॉर्ड 37 किलोमीटर प्रतिदिन की रफ्तार से हाईवे का निर्माण किया। इतना ही नहीं, पिछले सात साल में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 50 फीसदी तक बढ़कर मार्च 2021 तक 1,37,625 किमी हो गई जो अप्रैल 2014 में 91,287 किमी थी। खुलेआम गुस्सा हो जाते हैं...गडकरी वक्त के कितने पाबंद और काम के पक्के हैं कि खुलेआम अधिकारियों पर बरस पड़ते हैं। पिछले साल की ऐसी ही एक घटना है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तरफ से बनाई एक बिल्डिंग में काफी देरी हो गई थी। गडकरी ने तंज भरे लहजे में कहा, 'जिन महान हस्तियों ने 2011 से लेकर 2020 तक इस पर काम किया है, संभव हो तो उन चेयरमैन, सीजीएम और जीएम का फोटो इस ऑफिस में लगा लेना। इन्होंने बिल्डिंग बनाने में नौ साल की देरी की है तो इनका इतिहास भी सामने आना चाहिए।' गडकरी ने आगे कहा, '80 हजार से 1 लाख करोड़ का दिल्ली-मुंबई हाइवे 2 साल में पूरा होगा। 1 लाख करोड़ के काम में अगर 3-3.5 साल लगेंगे और 200 करोड़ रुपये के काम के लिए 10 साल लगाए तो ये अभिनंदन करने वाली बात तो नहीं है। मुझे इस बात की शर्म आती है।' गडकरी सीजीएम और जीएम को नालायक, निकम्मा भी कह गए जबकि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि मंत्री अपने विभाग के अंदर की खामियों को सामने नहीं लाते हैं।
Source navbharattimes

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