नई दिल्ली केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं। हंसते मुस्कुराते वह अपनी बात कह जाते हैं। यही वजह है कि पार्टी ही नहीं, विपक्ष में भी उन्हें पसंद किया जाता है। ऐसे समय में जब गुजरात ही नहीं, हाल के महीनों में कई राज्यों में बीजेपी ने अचानक मुख्यमंत्री बदले हैं, गडकरी का एक वीडियो काफी चर्चा बटोर रहा है। जी हां, मंच था राजस्थान विधानसभा का और 'संसदीय प्रणाली एवं जन अपेक्षाएं' विषय पर चर्चा हो रही थी। गडकरी की बारी आई, वह खड़े हुए और जानेमाने व्यंग्य लेखक शरद जोशी के शब्दों में गुदगुदाते हुए नेताओं को राजनीति, अनिश्चितता और स्किल का ऐसा पाठ पढ़ा गए जो सियासतदानों के लिए बड़ा संदेश है। यह संदेश हर उस नेता या शख्स को सुकून दे सकता है जो अपनी स्थिति को लेकर नाराज या असंतुष्ट हैं। गडकरी ने बीजेपी ही नहीं, सभी दलों के नेताओं को यह संदेश दिया कि राजनीति में जिसे जो पद, काम या मकाम मिले वह उसमें खुश रहने की कोशिश करे। उनकी बातों का अर्थ उनके शब्दों और अंदाज में आपको साफ समझ में आ जाएगा। आइए जानते हैं। पढ़िए, गडकरी ने आखिर कहा क्या बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष ने क्रिकेट का किस्सा सुनाया। उन्होंने एक बार मैंने सचिन तेंडुलकर से कहा कि आओ, मेरे पास खड़े हो जाओ। मैंने देखा कि सचिन मेरे से कंधे तक ही हैं। मैंने कहा कि आप इतने छक्के मारते हो पर हाथ में तो ताकत ही नहीं है। सचिन ने कहा, नितिन जी क्रिकेट स्किल का गेम है। मैंने सुनील गावस्कर को भी देखा है कि उनकी हाइट तो जोशीजी से भी कम ही है। (उनका इशारा पास बैठे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी की तरफ था)। गडकरी ने आगे कहा कि ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के 6-6 फुट के बोलर जो दूर से दौड़कर आते थे और सुनील छक्का मारते थे। मैंने उनसे भी पूछा तो उन्होंने कहा कि नितिन, यह गेम स्किल का है.... गडकरी ने आगे कहा कि राजनीति भी एक स्किल है। इस पर सभी नेता अपनी मेज थपथपाते हुए हंस पड़े। गडकरी ने हंसते हुए कहा कि समस्याएं सबके सामने है। पार्टी में समस्या है, पार्टी के बाहर समस्या है। चुनाव क्षेत्र में समस्या है, परिवार में समस्या है, आजू-बाजू में समस्या है...किसी को आगे ले जाओ तो वह कहता है कि इसे हटा दो, उसे टिकट दे दो। समस्या किसके सामने नहीं है? सियासत का अगला किस्सा एक बार किसी ने पूछा कि तुममें से कौन-कौन सुखी है। किसी ने हाथ खड़ा नहीं किया क्योंकि जो एमएलए थे वे इसलिए दुखी थे कि वे मंत्री नहीं बन पाए। (इस पर सभी ठहाका मारकर हंसने लगे) मैं आपके लिए नहीं कह रहा हूं (एक बार फिर सभा में हंसी तैर गई) गडकरी ने किस्सा आगे बढ़ाते हुए कहा कि मंत्री इसलिए दुखी थे कि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला। जिन्हें अच्छा विभाग मिला वे इसलिए दुखी थे कि वे मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। और जो मुख्यमंत्री बन पाए, वो इसलिए टेंशन में थे कि कब चले जाएं इसका कोई भरोसा नहीं। यह सुनते ही एक बार फिर मेज थपथपाते हुए लोग हंस पड़े। फिर शरद जोशी का जिक्र गडकरी ने कहा कि भोपाल के प्रसिद्ध लेखक हुए हैं शरद जोशी। उन्होंने एक सुंदर कविता की थी। जो राज्य में काम के नहीं थे, उनको दिल्ली भेजा जो दिल्ली में काम के नहीं थे, उन्हें गवर्नर बना दिया जो गवर्नर नहीं बन पाए उनको ऐंबेसडर बना दिया ... सभा में ठहाके गूंजने लगे। मुस्कुराते हुए गडकरी ने कहा कि सभी पार्टियों में यह चलता ही है। उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब मैं बीजेपी का प्रेसिडेंट था, तो कोई आदमी ऐसा मिला नहीं जो दुखी न हो। इस पर सभी हंसने लगे। मैंने कहा कि दुख और समाधान मानने पर होता है। मैं बहुत सुखी हूं। मैं अपने हिसाब से काम करते रहता हूं। कभी खुद शेफ का काम करता हूं, कभी सोशल वर्क करता हूं। मुझसे एक बार एक पत्रकार ने पूछा कि आप बहुत खुश हो, आपको कोई दुख या दर्द नहीं है। मैंने उससे कहा कि जो भविष्य की चिंता करता है वह दुखी होता है। जो मिला, अपनी औकात और हैसियत से मुझे बहुत ज्यादा मिला है, उसके ऊपर खुशी जताना है... (करीब 10 सेकेंड तक तालियां बजती रहीं)। उन्होंने आगे कहा कि आप जिस पर हो, उस पर खुश रहो और वनडे की तरह खेलते रहो। गडकरी ने कहा कि मेरा आपसे यही कहना है कि जीवन में बहुत संघर्ष है। राजनीति में तनाव, सीमाएं, विवाद सब हैं पर इन सब समस्याओं को मात देकर यशस्वी लीडर होना यही तो आपकी परीक्षा है।
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