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NDA में लड़कियों के एडमिशन का प्लान हुआ तैयार, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कब दे सकेंगी एग्जाम

नई दिल्‍ली नेशनल डिफेंस अकैडमी (NDA) को लड़कियों के एडमिशन के लिए तैयार किया जा रहा है। लड़क‍ियां मई 2022 से एनडीए के एंट्रेस एग्‍जाम में बैठ सकती हैं। सरकार ने मंगलवार को में यह जानकारी दी। कोर्ट प्रवेश की मौजूदा व्‍यवस्‍था को भेदभावपूर्ण बता चुका है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सरकार ने अतिरिक्त हलफनामा दालिख किया। इसमें सरकार ने एनडीए में फीमेल कैडेटों के एडमिशन के लिए तैयारियों का ब्‍योरा दिया। बताया कि वह उचित चिकित्सा और शारीरिक फिटनेस स्‍टैंडर्ड्स को स्थापित करने की प्रक्रिया में है। इसके साथ ही जरूरी बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है। पुरुष और महिला आवासीय क्षेत्रों के बीच सैपरेशन की भी व्‍यवस्‍था की जा रही है। सरकार ने यह भी कहा कि फिजिकल ट्रेनिंग के साथ फायरिंग, धैर्य प्रशिक्षण, फील्ड क्राफ्ट और जमीन से दूर रहने जैसे सेवा विषयों को लेकर नियमों को नरम करना सही नहीं होगा। इसका सशस्त्र बलों की जंगी क्षमता पर असर होगा। कोर्ट को बताया गया कि सेलेक्‍शन पैरामीटर को पूरा करने वाले केवल मेडिकली फिट कैंडिडेट को एडमिशन की अनुमति है। मेल कैडेट्स के लिए पैरामीटर मौजूद हैं। फीमेल के लिए उचित मानक तैयार करने की प्रक्रिया जारी है। इसमें उम्र और प्रशिक्षण की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए जा रहे हैं। सरकार ने कोर्ट को बताया कि महिला उम्मीदवारों के लिए अब तक फिजिकल फिटनेस के कोई समानांतर पैरामीटर नहीं थे। लिहाजा, इन्हें भी तैयार किया जा रहा है। इस मुद्दे पर काफी विश्लेषण की जरूरत है। इसमें परिचालन तत्परता बनाए रखने के लिए एक्‍सपर्ट्स के इनपुट की भी आवश्‍यकता है। सरकार ने यह भी कहा कि महिला कैडेटों को शामिल करने से पहले उसे स्त्री रोग विशेषज्ञों, खेल चिकित्सा विशेषज्ञों, परामर्शदाताओं, नर्सिंग स्टाफ और फीमेल अटेंडेंट्स को भी शामिल करना होगा। इन सभी बातों को पूरा करने के लिए एक अध्ययन समूह का गठन किया गया है। इसमें एनडीए में महिला कैडेटों के व्यापक पाठ्यक्रम को तेजी से तैयार करने के लिए विशेषज्ञ शामिल हैं। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के एक अंतरिम आदेश का जवाब दिया था। यह महिलाओं के एनडीए प्रवेश परीक्षा में बैठने से जुड़ा था। इसमें सरकार और सशस्त्र बलों को अदालत के आदेश के बजाय खुद काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। कोर्ट ने इसे लेकर एक अहम टिप्‍पणी भी की थी। उसने कहा था कि जब देश के सशस्त्र बलों में पुरुषों और महिलाओं के लिए समान सेवा के अवसरों की बात आती है तो मानसिकता की समस्या और लिंग भेदभाव दिखता है। अदालत एक याचिका का जवाब दे रही थी जिसमें दलील दी गई थी कि एनडीए से योग्य महिला उम्मीदवारों का स्पष्ट बहिष्कार असंवैधानिक था और पूरी तरह से लिंग के आधार पर किया गया था। सितंबर में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि उन्‍हें यह साझा करते हुए खुशी है कि महिलाओं को एनडीए में प्रवेश दिया जाएगा।
Source navbharattimes

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