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ब्राह्मण, मौर्य, बिंद... UP में चुनाव से पहले कैबिनेट विस्तार कर किस-किसको साधेगी बीजेपी?

लखनऊ उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक बार फिर चर्चाएं गर्म हो गई हैं। कहा जा रहा है कि योगी मंत्रिमंडल में 5-6 नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। वहीं बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाले निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद को एमएलसी बनाकर मंत्री पद देने की भी चर्चा है। नए मंत्रियों में संजय निषाद, कांग्रेस छोड़कर हाल ही में बीजेपी जॉइन करने वाले गांधी परिवार के खास जितिन प्रसाद, उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, जेपीएस राठौर को मंत्री बनाया जा सकता है। इसके अलावा पलटू राम, संजय गौड़, संगीता बिंद, दिनेश खटिक, धर्मवीर प्रजापति और छत्रपाल गंगवार के नाम को लेकर चर्चा है। कौन हैं जितिन प्रसाद एक समय राहुल गांधी के सबसे करीबी नेता माने जाने वाले जितिन प्रसाद बीते दिनों भाजपाई हो गए। अब उन्हें योगी के मंत्रिमंडल पर जगह दिए जाने पर चर्चा है। जितिन प्रसाद मूलरूप से शाहजहांपुर के रहने वाले हैं। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और शाहजहांपुर लोकसभा सीट से 4 बार सांसद भी रहे। जितेंद्र प्रसाद पार्टी में कई अहम पदों पर रहे। उनका आखिरी चुनाव 1999 का लोकसभा चुनाव था। इसके अगले साल ही उन्होंने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत छेड़ दी। जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के लगातार पार्टी अध्यक्ष बनने का विरोध किया। जितेंद्र प्रसाद बतौर कार्यकर्ता पार्टी में सोनिया गांधी से बहुत वरिष्ठ थे। उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, मगर हार गए। इसके कुछ महीनों बाद ही जनवरी 2001 में उनका निधन हो गया। संजय निषाद के बारे में संजय निषाद गंगा के किनारे वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके में निषाद समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। वर्ष 2016 में गठित निषाद पार्टी का खासकर निषाद, केवट, मल्लाह, बेलदार और बिंद बिरादरियों में अच्छा असर माना जाता है। गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, जौनपुर, संत कबीरनगर, बलिया, भदोही और वाराणसी समेत 16 जिलों में निषाद समुदाय के वोट जीत-हार में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। संजय निषाद दावा करते हैं कि प्रदेश की 100 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर निषाद वोट जिताने या हराने की ताकत रखता है। संजय अचानक लाइमलाइट में तब आए, जब उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सीट पर बीजेपी को हराने के लिए काम किया। उन्होंने 2013 में निषाद पार्टी बनाई। उससे पहले वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गीता वाटिका रोड पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक चलाते थे। उन्होंने शुरुआत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दिलाने के लिए काम किया। 2002 में उन्होंने पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी असोसिएशन बनाया। वह अपनी मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भी गए। बेबी रानी मौर्य का रोल बेबी रानी मौर्य ने हाल ही में उत्तराखंड के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। इस इस्तीफे के बाद उनके यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेजी हो गई थी। बेनी रानी मौर्य 1995 से 2000 तक आगरा की पहली महिला मेयर रह चुकी हैं। इसके अलावा वह 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रहीं। मौर्य का जन्म 15 अगस्त 1956 को हुआ था। 1997 में, मौर्य को भाजपा की अनुसूचित जाति (एससी) शाखा की पदाधिकारी नियुक्त किया गया था। बीजेपी ने 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एत्मादपुर सीट से चुनाव लड़ाया था। हालाकि इस चुनाव में वह बहुजन समाज पार्टी के नारायण सिंह सुमन से हार गई थीं। जुलाई 2018 में, उन्हें बाल अधिकार संरक्षण के राज्य आयोग का सदस्य बनाया गया था। कौन हैं जेपीएस राठौर सहारनपुर के रहने वाले जेपीएस राठौर अभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष हैं। वह आईआईटी बीएचयू से बीटेक और एमटेक हैं। 1996 में वे बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह यूपी बीजेपी के प्रदेश महासचिव भी हैं। मेरठ को साधेंगे दिनेश खटीक उत्तर प्रदेश के मेरठ में हस्तिनापुर विधायक से बीजेपी विधायक हैं दिनेश खटीक। 47 साल के दिनेश खटीक मवाना थाना क्षेत्र के कस्बा फलावदा के रहने वाले हैं। वह 2017 में पहली बार बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े थे। उन्होंने बीएसपी प्रत्याशी योगेश वर्मा को हराकर बीजेपी को जीत दिलाई थी। दिनेश संघ कार्यकर्ता भी रहे हैं। उनके पिता भी संघ से जुड़े थे। दिनेश के भाई नितिन जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। दिनेश का परिवार मेरठ के गंगानगर में रहता है। बनाए गए एमएलसी, अब मंत्री बनेंगे धर्मवीर प्रजापति धर्मवीर प्रजापति आगरा के रहने वाले हैं। वह और उनका परिवार संघ से जुड़ा रहा है। वह खुद आरएसएस में स्वयंसेवक रहे हैं। आरएसएस से वह बीजेपी में शामिल हुए। 2002 में पहली बार बीजेपी ने उन्हें जिम्मेदारी दी, उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में प्रदेश महामंत्री बनाया गया। वह दो बार उत्तर प्रदेश संगठन में मंत्री भी रहे। जनवरी 2019 में उन्हें माटी कला बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। उन्हें बीते दिनों बीजेपी ने एमएलसी बनाया था। सिर्फ 18 वोटों से जीते थे छ्त्रपाल 65 साल के छत्रपाल गंगवार का जन्म 20 जनवरी 1956 को हुआ था। छत्रपाल सिंह गंगवार बहेड़ी विधानसभा से विधायक हैं। 2017 में उन्होंने समाजवादीपार्टी के अतउर्रहमान को हराया था। उन्हें 58,172 वोट मिले थे, जबकि अतउर्रहमान को 48,154 वोट मिले थे। इससे पहले 2012 के चुनाव में वह मात्रा 18 वोटों के अंतराल से जीते थे। वह मूल रूप से बरेली के दनखोड़ा गांव में जन्मे छत्रपाल एक किसान परिवार से तालुक रखते हैं। उन्होंने बरेली के रोहिलखंड यूनिवर्सिटी से 1977 में बीएड किया। 1979 में बरेली की इसी यूनिवर्सिटी से परास्नातक किया और उसके बाद बीजेपी से जुड़े।
Source navbharattimes

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