भोपाल आमतौर पर बीजेपी में जो लोग संघ से नहीं होते हैं, उन्हें कोई बड़ा पद नहीं मिलता है। मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia Latest Update) का ग्राफ बीजेपी में लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की घोषणा की है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी उसमें जगह मिली है। सिंधिया को बीजेपी में आए हुए अभी दो साल भी नहीं हुए हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें सरकार से लेकर संगठन तक में बड़ी जिम्मेदारी दे दी है। ऐसे में सवाल है कि संघ का उनके पास कोई बैकग्राउंड भी नहीं है, फिर भी इतनी तेजी से उनका ग्राफ क्यों बढ़ता जा रहा है। दरअसल, बीजेपी के प्रति यह धारणा है कि बाहर से आने वाले लोगों को संगठन में कोई बड़ा पद नहीं मिलता है। कभी उत्तराखंड सीएम की रेस में आगे रहे सतपाल महाराज का पत्ता इसी में कट गया था। वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। मगर हाल के दिनों में कुछ परिस्थितियां बदली हैं। असम में हेमंत विश्व शर्मा को सीएम बनाकर बीजेपी ने अलग संदेश दिया है। विश्व शर्मा भी बाहरी हैं। हेमंत विश्व शर्मा को मौका मिलने के बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल में मिली जगह हेमंत विश्व शर्मा के सीएम बनने के बाद मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ। पीएम मोदी की नई टीम में ज्योतिरादित्य सिंधिया को जगह मिली। उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। सिंधिया को पद संभाले हुए अभी करीब तीन महीने हुए हैं, उन्होंने अपने काम से सभी को प्रभावित किया। अपने गृह प्रदेश एमपी को सिंधिया ने कई सौगातें दी हैं। साथ ही उनके समर्थक भी ज्योतिादित्य सिंधिया के पक्ष में माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बीजेपी कार्यसमिति में शामिल हुए सिंधिया सरकार में शामिल होने के तीन महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी कार्यसमिति में शामिल हो गए हैं। चंबल इलाके से आने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी उसमें जगह मिली है। राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह मिलने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य का दायित्व सौंपने के लिए मैं पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह का तहे दिल से आभारी हूं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि पार्टी को और सशक्त बनाने के कार्य में अपना पूर्ण योगदान दूंगा। क्यों बढ़ रहा है कद ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली ने नवभारत टाइम्स. कॉम से बात करते हुए कहा कि असम में हेमंत विश्व शर्मा का मामला अलग है और दूसरे राज्यों में मामला अलग है। बीजेपी बिना संघ के बैकग्राउंड वाले लोगों वहां तो खूब प्रमोट कर देती है, जहां उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता है। चाहे वह गोवा या फिर नॉर्थ ईस्ट के सारे राज्य हों, वहां बीजेपी के पास ज्यादा कुछ नहीं है। वहां लोगों को प्रमोट करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। इसके बावजूद वहां उन्होंने हेमंत विश्व शर्मा को उतना समय दिया, फिर बड़ी जिम्मेदारी दी। उन्होंने कहा कि एमपी का मामला थोड़ा अलग है। एमपी में बीजेपी की सरकार दोबारा से ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से ही बनी है। ये संघ और ऊपर के लोग भी मानते है। बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं में इनके बढ़ते कद को लेकर हतासा भी है। मगर हाईकमान उन्हें यह कहकर समझा देता है कि सरकार ही इनकी है और 25 फीसदी स्पेस इन्हें देना है। अभी बीजेपी को इनके हिसाब से ही चलना है। एमपी विधानसभा चुनाव में होगी असली पहचान देव श्रीमाली कहते हैं कि अभी तो सारी चीजें इनके अनुसार है। असली चीज तब देखने को मिलेगा, जब एमपी में विधानसभा के चुनाव होंगे। उस समय पता चलेगा कि इनको कितना वजन बीजेपी देती है। साथ ही उस चुनाव के परिणाम पर भी ध्यान देना होगा। अभी चर्चा है कि एमपी के 230 में 40-50 सीटों पर सिंधिया के कहने से टिकट मिलेंगे। इतने ही टिकट उनको कांग्रेस में भी मिलते थे। उन्होंने यह भी आशंका व्यक्त की है, इसमें से ज्यादातर सीटों पर वह चुनाव हार जाएंगे क्योंकि बीजेपी का मूल कैडर उन्हें सपोर्ट नहीं करेगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि इसके उदाहरण उपचुनाव में देखने को मिले हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में बीजेपी तीन में से दो सीटों पर चुनाव हार गई और कांग्रेस जीत गई। ये आसानी से नहीं हो सकता है। भिंड में भी दो में से एक सीट हार गई। शिवपुरी में भी कांग्रेस एक सीट जीत गई। मुरैना की सभी सीटें सिंधिया समर्थक हार गए। देव श्रीमाली ने कहा कि अभी तो जो चीजें तय हैं, उसके हिसाब से ज्योतिरादित्य सिंधिया को सारी चीजें मिल रही हैं। दूसरे नेताओं को है आकर्षित करना देव श्रीमाली ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के बढ़ते कद को लेकर एक दूसरा कारण भी बताते हैं। उन्होंने कहा कि इनका कद बढ़ाकर बीजेपी दूसरे नेताओं पर चारा डालना चाहती है। खासकर छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव हों या फिर राजस्थान में सचिन पायलट हों। यूपी और महाराष्ट्र में चुनाव हैं, ऐसे में जो नेता बीजेपी में आना चाहते हैं, उनमें असुरक्षा की भावना न रहे। साथ ही जो थ्योरी चली आ रही है कि बीजेपी बाहरी लोगों पर ध्यान नहीं देती है, उस छवि को अब बदलना चाहती है। कांग्रेस में भी उनका कद कोई छोटा नहीं था। इन्हें हो सकता है खतरा दरअसल, सिंधिया के बढ़ते कद से एमपी बीजेपी के नेताओं को भी खतरा हो सकता है। सिंधिया बीजेपी में आने के बाद पहली पंक्ति के नेताओं में शुमार हैं। इस पंक्ति में सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय समेत कई दिग्गज आते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया का जिल कद्दर प्रभाव बढ़ता जा रहा है, इससे आने वाले दिनों में इन नेताओं के लिए खतरा हो सकता है। ग्वालियर चंबल इलाके में अब हर तैनाती सिंधिया के हिसाब से ही होती है। बीजेपी में ऐसा रहा सिंधिया का सफर अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च 2020 में बीजेपी का दामन थाम लिया था। इसके बाद एमपी में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। चौथी बार प्रदेश में बीजेपी की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से ही बनी। यह बीजेपी के तमाम बड़े नेता सार्वजनिक मंच से स्वीकार करते रहे हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का टिकट थमा दिया था। साथ ही नई सरकार के गठन के बाद सिंधिया के लोगों को उनके मन मुताबिक ही जगह मिली थी। साथ ही सरकार के बड़े फैसलों में भी उनकी अहम भूमिका होती थी। दादी रहीं हैं जनसंघ की संस्थापक ऐसे तो बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य संघ ऑफिस में परिक्रमा करते रहे हैं। वह नागपुर से लेकर भोपाल तक में स्थित संघ कार्यालय में जाते हैं। वहीं, उनकी दादी विजयराजे सिंधिया भी जनसंघ की संस्थापक रही हैं। शायद इसका फायदा भी उन्हें बीजेपी में आने के बाद मिल रहा हो।
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