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आज अपने 5 जांबाज शहीद, कश्मीर में मिल रहा दोहरा जख्म, कब लिया जाएगा बदला?

नई दिल्ली जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में सोमवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक जूनियर कमिशंड ऑफिसर और 4 सैनिक शहीद हो गए। जो शुरुआती जानकारी मिल रही है उससे लग रहा है कि आतंकवादियों ने बाकायदे ट्रैप करके सुरक्षाबलों पर हमला बोला है। मुठभेड़ एलओसी से सटे सुरनकोट इलाके के जंगल में हुआ। सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया है और मुठभेड़ जारी है। हाल में सिविलियन पर आतंकी हमले बढ़ने के बीच सुरक्षाबलों को जाल में फंसाकर इतना बड़ा हमला सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता की बात है। दुनिया का ध्यान कश्मीर की ओर खींचने के लिए नापाक साजिश! यह संयोग ही है कि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आने के बाद कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में इजाफा हुआ है। इसकी आशंका पहले से जताई जा रही थी। पाकिस्तान आतंकवाद को अपनी स्टेट पॉलिसी के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है। इस साल 24 फरवरी को उसने भले ही भारत के साथ सीजफायर को लेकर समझौता किया है, लेकिन अपने आतंकी मंसूबों के लिए उसने शायद ही इसका पालन किया हो। भारत में घुसपैठ करवाने के लिए कश्मीर सीमा पर पाकिस्तान सेना की ओर से बैकअप के तौर पर फायरिंग की जाती है। सीमा पर यह पैटर्न पिछले कई सालों से चल रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान पिछले करीब 30 सालों से तनाव बढ़ाकर दुनिया का ध्यान कश्मीर की ओर खींचने की कोशिश करता रहा है। इस समय जब वह अफगानिस्तान और चीन से अपनी यारी के कारण दुनिया में अलग-थलग पड़ा है, उसने फिर यह नापाक साजिश रची है। आतंकियों ने अपनाई 'दोहरे जख्म' की रणनीति आतंकी एक तरफ तो सिविलियन खासकर गैर-कश्मीरी और कश्मीरी पंडितों की टारगेटेड किलिंग कर घाटी को फिर से 90 के दशक में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं, दूसरी तरफ सुरक्षा बलों पर पहले की तरह हमले जारी रखा है। 2 साल पहले अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म किए जाने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने अब भारत को 'दोहरे जख्म' देने की रणनीति अपनाई है यानी सुरक्षाबल और सिविलियन दोनों को टारगेट करने की रणनीति। पिछले 10 दिनों में 7 सिविलियन मारे गए, 5 जवान शहीद कश्मीर में पिछले 10 दिनों में ही आतंकी हमलों में 7 सिविलियन मारे गए हैं और 5 जवान शहीद हुए हैं। पिछले हफ्ते ही आतंकियों ने श्रीनगर के एक स्कूल में घुसकर प्रिंसिपल सतिंदर कौर और टीचर दीपक चंद को गोलियों से भून दिया था। उससे दो दिन पहले ही आतंकियों ने श्रीनगर के जाने-माने फार्मासिस्ट और कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंद्रू की गोली मारकर हत्या की थी। उसी दिन बिहार के एक ठेले वाले वीरेंद्र पासवान और बांदीपुरा टैक्सी असोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद शफी लोन की गोली मारकर हत्या कर दी। कश्मीर में 90 के दशक का माहौल पैदा करना चाहते हैं आतंकी कश्मीर में इस साल अबतक आतंकी हमलों में 25 सिविलियन की जान जा चुकी है। इस साल सबसे ज्यादा श्रीनगर में 10, पुलवामा और अनंतनाग में 4-4, कुलगाम में 3, बारामुला में 2, बडगाम और बांदीपुरा में 1-1 सिविलयन की आतंकी हमलों में मौत हुई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि ज्यादातर मामले टारगेटेड किलिंग के हैं यानी आतंकियों ने पहले से अपना टारगेट तय किया हुआ था और उनकी हत्या कर दी। बम ब्लास्ट जैसी घटनाओं में आतंकियों का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों या सिविलियन को मौत के घाट उतारना होता है लेकिन इन मामलों में चुन-चुनकर हत्या की गई। इस साल अबतक आतंकी हमलों में करीब 30 जवान हुए शहीद सिविलियन की हत्याओं के बीच आतंकवादियों ने अब ट्रैप करके सुरक्षाबलों पर बड़ा हमला बोला है जिसमें 5 जवान शहीद हुए हैं। इस साल आतंकी हमलों में अबतक करीब 30 जवान शहीद हो चुके हैं। 2020 में आतंकी हमलों में 46 जवान शहीद हुए थे जबकि 33 सिविलियन मारे गए थे। 2019 में भी आतंकी हमलों में 78 जवान शहीद हुए थे जबकि 36 सिविलयन मारे गए थे।
Source navbharattimes

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