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'काशी-मथुरा-अयोध्या में नहीं रुकेंगे विकास कार्य', मायावती के इस बयान से क्यों बेचैन हुई BJP?

लखनऊ बीएसपी संस्थापक कांशीराम के 15वें परिनिर्वाण दिवस पर मायावती ने अपने चुनावी मुद्दे गिनाए। बातों-बातों में मायावती ने 2022 चुनाव के लिए बीएसपी की रणनीति भी बता दी। मायावती ने कहा कि उनकी सरकार बनने पर भी काशी, मथुरा और अयोध्या में विकास कार्य जारी रहेंगे। मायावती के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। जैसे कि क्या मायावती हिंदू वोटों की राजनीति कर रही हैं या फिर उनका इरादा इस बार बीजेपी के चुनावी मुद्दे झटकने का है। हालांकि एक बात तो तय है कि इस बार ये तीनों धार्मिक नगरी खासकर अयोध्या चुनावी मुद्दा जरूर बनेंगी, इसलिए चाहे सत्ता हो या विपक्ष सबकी नजरें इन पर टिकी हैं। मायावती ने अपने संबोधन में कहा, '2022 में बीएसपी की सरकार बनने के बाद प्रदेश में काशी, अयोध्या और मथुरा में बीजेपी सरकार की किसी योजना को रोका नहीं जाएगा।' उन्होंने आगे कहा कि बदले की भावना से किसी भी सरकार के अच्छे काम को रोका नहीं जाएगा बल्कि और तेजी से काम किया जाएगा। ब्राह्मण और हिंदू वोट साधने का प्रयास बीएसपी जिस तरह पूरे प्रदेश भर में ब्राह्मणों को साधने के लिए प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करा रही है उससे यह स्पष्ट है कि वह 2007 के दलित ब्राह्मण सोशल इंजीनियरिंग के बलबूते ही इस बार का चुनाव भी लड़ेगी। बीएसपी ने अपने प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के पहले चरण की शुरुआत भी अयोध्या से की थी वहीं दूसरा चरण मथुरा से शुरू किया था। जबकि तीसरे चरण की शुरुआत वाराणसी से हो सकती है। इसी के साथ हिंदुत्व फैक्टर को भी ध्यान में रखा जा रहा है। पिछले दिनों लखनऊ में मायावती की सभा में इसकी एक झलक दिखी थी जिसमें शंख बजे रहे थे, मंत्रोच्चार हो रहा था, त्रिशूल लहराए जा रहे थे और गणेश की प्रतिमाएं नजर आ रही थीं। मायावती के बयान का मतलब क्या? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं, 'पिछले दिनों जिस तरह बीएसपी की धर्मचिह्नों और ब्राह्मणों को रिझाने को कोशिश हुई, मंत्रोच्चार हुआ, उससे मायावती लगता है कि वह कहीं से यह इंप्रेशन न दें कि वह हिंदू या हिंदुत्व के खिलाफ हैं। काशी अयोध्या मथुरा को लेकर जो उनका बयान है वह इसी समेकन के लिए है कि हिंदू आबादी यह मानकर चले कि हम भी उसी राह पर चलेंगे।' वह आगे बताते हैं, 'एक प्रयास यह भी होता है कि आप अपने जिस मतदाता वर्ग के लिए काम कर रहे हैं वो अगर बीजेपी का मतदाता है तो उसको भी भ्रमित करें कि हममें और उनमें कोई फर्क नहीं है। ओवैसी के साथ यूपी में समझौते से इनकार करना, इन सब चीजों से संकेत मिलने लगे थे कि बीएसपी नर्म हिंदुत्व की राह पर चलेगी।' पंचायत चुनाव में बीजेपी को लगा था झटका बीएसपी के काशी, मथुरा और अयोध्या पर बयान के पीछे एक वजह और भी मानी जा रही है कि इन तीनों ही जिलों में पंचायत चुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ था। तीनों ही जिलों उसे सिर्फ 8-8 सीटों ही मिल सकी थीं। वहीं सपा और बीएसपी का इन सीटों पर प्रदर्शन बेहतर हुआ था। काशी- मथुरा- अयोध्या बीजेपी के सियासी अजेंडे अयोध्या-मथुरा-काशी तीनों ही जिले बीजेपी के सियासी अजेंडे में हमेशा से शामिल रहे हैं। इनके नाम पर ही बीजेपी सियासत करती आ रही है। देश और प्रदेश दोनों ही जगहों पर बीजेपी की ही सरकार है। अयोध्या में भी राममंदिर का निर्माण हो रहा है, जिसका पूरा श्रेय बीजेपी खुद लेती है। वाराणसी भी लगातार 2 बार से पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। अयोध्या के बाद अब बीजेपी ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और वाराणसी के ज्ञानवानी मस्जिद पर भी कदम बढ़ा दिए हैं।
Source navbharattimes

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