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पेलोड क्षमता ही इनको बनाती है खतरनाक, हाइपरसोनिक मिसाइल के बारे में सबकुछ जानिए

नई दिल्ली हाल ही में खबर आई कि चीन ने बीते अगस्त में किया है। अमेरिका जैसे शक्ति संपन्न देश के लिए भी चीन की यह टेस्टिंग चुनौती बन गई। हालांकि चीन ने इसका खंडन किया और कहा कि उसने अंतरिक्ष यान टेस्ट किया था, मिसाइल नहीं। फिर भी इस खबर से दुनिया में खलबली है, जिज्ञासाएं हैं। मिसाइलों की दुनिया के बारे में सवाल-जवाब के जरिए बता रहे हैं दिलीप लाल :
  1. क्या है? यह दूसरी मिसाइलों से कितनी ताकतवर और कारगर है?मिसाइल एक गाड़ी की तरह है और यह पेलोड (परमाणु या अन्य हथियारों) को ढोने का काम करती है। गति के आधार पर मिसाइलें तीन प्रकार की होती हैं- सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक। ध्वनि की गति (330मी/सेकेंड) से कम रफ्तार से उड़ने वाली मिसाइल सबसोनिक, ध्वनि की गति से ज्यादा तेज उड़ने वाली सुपरसोनिक और ध्वनि से पांच गुनी (6,174 किमी/घंटा) या उससे अधिक रफ्तार से उड़ने वाली मिसाइल हाइपरसोनिक होती है। हाइपरसोनिक मिसाइलें दो तरह की होती हैं- हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक ग्लाइड वीइकल। हाइपरसोनिक क्रूज सामान्य क्रूज मिसाइल की तरह होती है, लेकिन इसमें लगे हाइस्पीड जेट इंजन इसे मैक-5 (ध्वनि की गति से पांच गुनी) या उससे अधिक रफ्तार देती है। हाइपरसोनिक ग्लाइड वीइकल को किसी रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाता है। इस समय दुनिया में छह देश- अमेरिका, रूस, चीन, भारत, फ्रांस और यूके- हैं, जो इस तरह के विपन पर काम कर रहे हैं।
  2. चीन ने पहले भी कोई हाइपरसोनिक मिसाइल बनाई है?हां, चीन ने साल 2019 में मध्यम दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट की थी, जिसकी रेंज दो हजार किलोमीटर है। लेकिन इस समय चर्चा में चीन की बनाई हाइपरसोनिक मिसाइल है। यह पृथ्वी की कक्षा में पहले जाती है और फिर वहां से लौटकर अपने टारगेट पर हमला करती है। यह इस लिहाज से ज्यादा खतरनाक हो जाती है कि यह पकड़ में नहीं आती।
  3. क्रूज मिसाइलें किस तरह काम करती हैं? इसकी उपयोगिताएं क्या हैं?मिसाइलों की क्षमता लॉन्च मोड, रेंज, प्रपल्शन (मकैनिकल पावर), वॉरहेड, गाइडेंस सिस्टम वगैरह पर आंकी जाती है। उपयोगिता की बात करें, तो क्रूज मिसाइलें ज्यादा कारगर होती हैं। सर्जिकल स्ट्राइक या सीमावर्ती देशों में किसी प्रकार के मुकाबले के लिए क्रूज मिसाइल का ही इस्तेमाल किया जाता है। शायद इसीलिए मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि बड़ी मिसाइलें शोपीस बनकर रह जाती हैं। क्रूज मिसाइलों की रफ्तार ध्वनि की गति (330मी/सेकेंड) से कम होती है। ऐसी मिसाइलें सबसोनिक की श्रेणी में आती हैं। इसमें सेपरेशन नहीं लगे होते हैं, यानी इसके पार्ट्स अलग नहीं होते। इसका एल्टिट्यूड भी कम होता है। ये अस्थायी डैमेज के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। ऐसी मिसाइलों में जेट इंजन लगा होता है। एक बार लक्ष्य साध लेने के बाद यह सीधे लक्ष्य पर ही जाकर गिरती है। हमारे देश में निर्भय, पृथ्वी इसी तरह की मिसाइलें हैं। यह लगभग 200-300 किलोमीटर तक वार करती हैं।
  4. बैलिस्टिक मिसाइल को किस तरह समझ सकते हैं?बैलिस्टिक मिसाइल में इंजन के रूप में रॉकेट का इस्तेमाल होता है। यह ऑक्सिजन और ईंधन साथ लेकर चलती है। पृथ्वी के कक्ष से बाहर जाकर यह अपना वॉरहेड, यानी पेलोड जिस ढक्कन से ढंका होता है उसे खोल देती है। इसके पेलोड में डेकॉय (फेक आर्म्स) होते हैं। ये दुश्मन के रडार को भ्रम में डाल देते हैं। ये मिसाइलें स्थायी नुकसान पहुंचाती हैं, इसलिए बड़े युद्ध में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
  5. मिसाइल कितनी खतरनाक होगी यह किस बात पर निर्भर करता है?जिस मिसाइल में पेलोड लोड करने की जितनी क्षमता होगी, वह उतनी ही अधिक खतरनाक होगी। भारत की अग्नि-5 ऐसी ही बैलिस्टिक मिसाइल है जिसमें 10 पेलोड लोड किए जा सकते हैं। बैलिस्टिक मिसाइल का धुआं बादलों में छिप जाता है, जिससे इसे ट्रेस करना मुश्किल होता है। कुछ बैलिस्टिक मिसाइल गाइडेड और कुछ अनगाइडेड होती हैं। गाइडेड मिसाइल को लेजर बीम या अन्य अत्याधुनिक तकनीकों से गाइड किया जा सकता है। यानी उसके रास्ते को बदला जा सकता है। लिहाजा एंटी मिसाइल सिस्टम की पकड़ से यह बाहर होती है। अनगाइडेड मिसाइल वो होती हैं जो एक बार टारगेट सेट होने के बाद टारगेट पर ही पहुंचती है। नाग अनगाइडेड मिसाइल का उदाहरण है।
Source navbharattimes

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