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पीएम मोदी के खिलाफ राहुल, ममता या कोई और... विपक्ष में कौन किसके साथ पहले इसका तो हो जाए फैसला

नई दिल्‍ली अगला में होना है। इसके लिए विपक्ष लामबंद होने की कोशिशों में जुटा है। हालांकि, यह अब तक तय नहीं है कि इसका नेतृत्‍व कौन करेगा। इसे लेकर झगड़ा जरूर शुरू हो गया है। मोदी सरकार को सत्‍ता से उखाड़ फेंकने के लिए सबसे ज्‍यादा दम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भर रही हैं। वह विपक्षी दलों को एक बैनर तले लाने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं। विपक्ष का नेतृत्‍व करने का स्‍वाभाविक कैंडिडेट कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी को माना जाता रहा है। यह और बात है कि ममता दो-टूक कह चुकी हैं कि भाजपा को केवल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ही टक्‍कर से दे सकती है। कांग्रेस से कुछ नहीं होने वाला। वहीं, राहुल गांधी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मोदी की सत्‍ता हिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने में जुटे हैं। महंगाई, जीएसटी, कृषि कानूनों की वापसी से लेकर प्राइवेटाइजेशन तक वह हर मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते रहे हैं। लखीमपुर खीरी मामले में भी कांग्रेस ही अब तक सबसे आक्रामक दिखी है। कांग्रेस और टीएमसी के अलावा भाजपा को टक्‍कर देने की क्षमता रखने वाली तीसरी पार्टी आप (आम आदमी पार्टी) है। मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल धीरे-धीरे राष्‍ट्रीय पटल पर अपनी पहचान बना रहे हैं। पार्टी अगले साल यूपी, उत्‍तराखंड, गोवा, गुजरात और पंजाब में अपने लिए अवसर देख रही है। इन सभी प्रदेशों में पार्टी को फायदा मिलने के आसार हैं। राहुल, ममता या केजरीवाल... बड़ा सवाल यह है कि विपक्ष का नेतृत्‍व कौन करेगा? राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल या कोई और? क्‍या इन तीनों में से किसी एक का नेतृत्‍व दूसरा स्‍वीकार करेगा? यानी क्‍या ममता राहुल या राहुल ममता या ममता-राहुल केजरीवाल की कप्‍तानी में चुनावी मैच में उतरने के लिए तैयार होंगे? सच पूछि‍ए तो इन तीन नामों में ही काफी गुणा-गणित है। कोई और भी विपक्ष का नेतृत्‍व करने की महत्‍वाकांक्षा पाले हो, इसके बारे में कहा नहीं जा सकता है। हालांकि, यह बिल्‍कुल सच है कि इन तीनों में से किसी एक की छतरी के नीचे सभी विपक्षी दलों का आ जाना नामुमकिन है। ममता को नहीं कांग्रेस से उम्‍मीद बंगाल में भाजपा को पटखनी देने के बाद ममता बनर्जी का मनोबल सातवें आसमान पर है। वो तृणमूल कांग्रेस को नेशनल लेवल पर लेकर जाना चाहती हैं। भवानीपुर उपचुनाव में रिकॉर्डतोड़ मतों से जीत ने भी उन्‍हें आत्‍मविश्‍वास से भर दिया है। हाल में ममता ने पार्टी के मुखपत्र 'जागो बांग्‍ला' में एक लेख लिखा था। इसमें उन्‍होंने साफ कहा है कि भाजपा को सत्‍ता से हटाने की कांग्रेस के बस की बात नहीं है। यह काम सिर्फ तृणमूल कांग्रेस कर सकती है। उन्‍होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने दो लोकसभा चुनाव में लोगों का विश्‍वास तोड़ा है। भाजपा के खिलाफ लड़ने में वह पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। यह बात अब साबित हो चुकी है। पूरे देश ने अब टीएमसी से आस लगा ली है। ममता ने किए कई दावे ममता ने इस लेख में दावा किया था कि लोग भाजपा से परेशान हैं। उन्‍हें अलग-अलग राज्‍यों से फोन आ रहे हैं। वो सभी चाहते हैं कि बंगाल नए भारत की लड़ाई का मोर्चो संभाले। इन सभी बातों से ममता ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। वह लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी दलों का नेतृत्‍व खुद करना चाहती हैं। वह जिस तरह की तेजतर्रार नेता हैं, उसे देखते हुए वह राहुल या किसी और नेता का नेतृत्‍व शायद ही स्‍वीकार करें। बंगाल में प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद जुलाई में ममता ने दिल्‍ली का दौरा भी किया था। इसका मकसद भाजपा विरोधी दलों को लामबंद करना था। उन्‍होंने सीएम केजरीवाल सहित कई नेताओं से मुलाकात की थी। राहुल के साथ शिवसेना दीदी भले अगले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्‍व करने का मंसूबा पाल बैठी हों, लेकिन जमीन पर हालात बिल्‍कुल अलग हैं। शिवसेना के रुख से इसकी बानगी मिलती है। पार्टी के मुखपत्र सामना में अपने साप्‍ताहिक कॉलम में शिवसेना नेता संजय राउत ने टीएमसी और आप जैसे दलों को खेल बिगाड़ू करार दिया है। राउत ने विपक्ष के नेतृत्‍व के मुद्दे पर खींचतान के बीच राहुल गांधी को ही इसके लिए एकमात्र विकल्‍प बताया है। इस समय शिवसेना महाराष्‍ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार चला रही है। राउत ने संकेत दिया कि अगर टीएमसी और आप जैसे दल कांग्रेस गठबंधन का हिस्‍सा नहीं बने तो इसका फायदा भाजपा को होगा। इससे पूरी चुनावी गुणा-गणित पर पानी फिर जाएगा।
Source navbharattimes

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