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हमारे यहां जो गोलपोस्ट के करीब हो, उसे बॉल पास की जाती है, वही गोल करता है: अनिल बलूनी

पांच चुनावी राज्यों में से एक- उत्तराखंड में काफी सियासी उठापटक देखने को मिल रही है, खास तौर पर बीजेपी के खेमे में। पार्टी ने छह महीने के अंदर दो सीएम बदले। सोमवार को तो धामी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री यशपाल आर्य ने पार्टी ही छोड़ दी। इसकी वजह क्या है और वहां की सियासत पर इसका क्या असर पड़ सकता है, यह जानने के लिए एनबीटी के नैशनल पॉलिटिकल एडिटर नदीम ने बात की अनिल बलूनी से जो कि राज्यसभा सदस्य और बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता तो हैं ही, उत्तराखंड राज्य से ही हैं और राजनीतिक गलियारों में उन्हें सीएम पद के दावेदार के रूप में भी देखा जाता है। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश : उत्तराखंड में पिछले छह महीनों से राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल रही है, खासतौर पर बीजेपी के अंदर, क्या वजह हो सकती है? आप उत्तराखंड को दिल्ली से देख रहे हैं, मैं उत्तराखंड को उत्तराखंड के अंदर से देखता हूं। कहीं कोई अस्थिरता नहीं है बल्कि वहां बीजेपी सरकार अभूतपूर्व तरीके से काम कर रही है। एक रुपये में हर घर को नल का कनेक्शन दिया जा रहा है। 12 हजार करोड़ की लागत से ऑल वेदर रोड बन रही है। रेल की कनेक्टिविटी बढ़ रही है। इसके अलावा भी बहुत सारे विकास कार्य हो रहे हैं। पहाड़ी राज्यों को लेकर एक मिथ होता है कि वहां सरकारें रिपीट नहीं होती हैं लेकिन बीजेपी इस मिथ को तोड़ कर उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने को अग्रसर है। बीजेपी को छह महीने के भीतर दो सीएम बदलने पड़ गए, सब कुछ इतना ही ठीक है तो यह बदलाव क्यों करना पड़ा? हमारे यहां पद नहीं होता, हमारे यहां जिम्मेदारी होती है। हमारे यहां जो खिलाड़ी गोलपोस्ट के नजदीक हो, उसे बॉल पास की जाती है और वह आदमी गोल करता है। यही वजह है कि हमारे तीन-तीन सीएम बदले, उन सबने पद छोड़ने के बाद पार्टी को धन्यवाद ज्ञापित किया। बदलाव की बात तो आप पंजाब में कर सकते हैं जहां मुख्यमंत्री को ही पता नहीं था कि उसे हटाया जा रहा है। उसके बाद वहां जो अराजकता हुई, सबने देखी। सोमवार को वरिष्ठ मंत्री यशपाल आर्य ने बीजेपी छोड़ दी, कुछ तो वजह होगी? मैं जाने वाले व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा लेकिन इतना निश्चित है कि मृत पड़ी कांग्रेस को यशपाल आर्य भी जिंदा नहीं कर सकते। यशपाल आर्य को कांग्रेस ले गई, कांग्रेस से हिसाब बराबर करने का इंतजार कब तक किया जाएगा? बीजेपी प्रतिशोध की राजनीति नहीं करती। वह लोक कल्याण की राजनीति करती है। प्रतिशोध की राजनीति तो कांग्रेस करती है लेकिन अगर कांग्रेस का कोई आदमी बीजेपी में आना चाहेगा तो हम उसके बारे में सोचेंगे। वैसे तो कांग्रेस के तीन विधायक हमारे साथ पहले ही आ चुके हैं। मात्र पांच लोकसभा सीट वाले उत्तराखंड राज्य में बीजेपी के कई पावर सेंटर होने की बात कही जाती है, कितनी सच्चाई है? पहली बात यह कि हम किसी भी राज्य को बड़े और छोटे की नजर से नहीं देखते। हमारे लिए सभी राज्य बराबर हैं। रही बात पावर सेंटर की तो राज्य में कहीं भी कोई पावर सेंटर जैसी बात है नहीं, सभी लोग एक टीम की तरह काम कर रहे हैं। हरीश रावत ने कहा है कि उनके जीवन की एकमात्र इच्छा है कि राज्य का सीएम कोई दलित हो। दलित सीएम का मुद्दा कितना असर दिखा सकता है? हम लोग कई दशकों से हरीश रावत की राजनीति को देख रहे हैं। हरीश रावत जी ऐसे ही टोटकों की राजनीति करते आए हैं। 2012 में राज्य में कांग्रेस को बहुमत मिला था। हरीश रावत के पास मौका था कि वह किसी दलित को सीएम बनवा सकते थे। उस वक्त उनके पीसीसी अध्यक्ष ही दलित थे लेकिन उन्होंने दलित को सीएम नहीं बनने दिया, दो सप्ताह तक तो दिल्ली में अपने लिए अनशन करते रहे। अब खुद सीएम बनने के लिए दलित सीएम बनाने की बात कर रहे हैं। अगर कांग्रेस सीएम पद के लिए कोई दलित उम्मीदवार घोषित कर देती है तो बीजेपी क्या करेगी? हमारी रणनीति पूरे उत्तराखंड के कल्याण के लिए है, उसमें उत्तराखंड में रहने वाला हर समाज शामिल है। कांग्रेस की राजनीति सिर्फ चुनाव जीतने की है। इसी वजह से वह टोटकों का सहारा ले रही है। बीजेपी का चेहरा धामी ही होंगे या चुनाव तक कोई बदलाव देखने को मिलेगा? हमारी टीम के कैप्टन धामी जी ही हैं। हम सारे लोग टीम भावना के साथ मिलकर काम करेंगे और कांग्रेस को परास्त करेंगे। धामी को सीएम का उम्मीदवार घोषित कर बीजेपी चुनाव मैदान में जाएगी या नहीं? मैंने कहा न धामी जी ही हमारे कैप्टन हैं। उनकी कैप्टेंसी में ही हम लोग लड़ रहे हैं। बीजेपी ही अकेली पार्टी है जो डेमोक्रेटिक पार्टी है। जो बाद में डेमोक्रेटिक तरीकों से अपने फैसले लेती है। आपको भी उत्तराखंड का सीएम पद का दावेदार माना जाता है? बीजेपी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। जिस व्यक्ति को जो रोल दिया जाता है, उसके अनुरूप कार्य करता है। मैं सांसद हूं, पार्टी का मुख्य प्रवक्ता हूं। जो काम मुझे दिया गया है, वह तन्मयता से कर रहा हूं। बतौर मुख्य प्रवक्ता नहीं बल्कि एक उत्तराखंडी के रूप में राज्य को लेकर क्या कल्पना करते हैं? मैं उत्तराखंड को हिंदुस्तान के सिरमौर के रूप में देखना चाहता हूं।
Source navbharattimes

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