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'पंज प्यारे' या उत्तराखंड चुनाव, हरीश रावत को कांग्रेस ने पंजाब से क्यों हटाया?

चंडीगढ़ पंजाब में कांग्रेस सियासी उथल-पुथल से जूझ रही है। चुनाव से चंद महीनों पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी का ऐलान कर दिया। वहीं नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चरनजीत सिंह चन्नी के बीच सब कुछ ठीक नही हैं। पिछले एक साल से तमाम घटनाक्रम में पार्टी आलाकमान के दूत रहे हरीश रावत पर गाज गिरी है। पंजाब कांग्रेस प्रभारी पद से रावत की छुट्टी हो गई है। आइए जानते हैं कि किन वजहों से हरीश रावत को हटाने पर कांग्रेस मजबूर हुई। पंज प्यारे बयान से विवादों में सिद्धू और कैप्टन का विवाद सुलझाने के लिए 31 अगस्त को हरीश रावत चंडीगढ़ पहुंचे थे। इसी दिन शाम को रावत ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू और चार कार्यकारी अध्यक्षों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने सिद्धू और कार्यकारी अध्यक्षों की तुलना पंज प्यारे से कर दी। हरीश रावत के इस बयान ने जब धार्मिक रूप लिया तो रावत ने माफी मांगते हुए कहा, 'कभी आप आदर व्यक्त करते हुए, कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं, जो आपत्तिजनक होते हैं। मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई है। मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूं और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की तुलना किसी और से नहीं की जा सकती है। मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं। मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा।' दरअसल गुरु गोविंद सिंह ने खालसा की शुरुआत की थी तो उन्होंने 5 प्यारों यानी 5 लोगों को चुना था। ये गुरु और धर्म के लिए अपनी जान न्योछावर करने के लिए तैयार थे। इसके बाद सिखों में किसी भी धार्मिक कार्यक्रम का नेतृत्व पंज प्यारे से कराने की परंपरा शुरू हुई। उनको बहुत पवित्र माना जाता है। उत्तराखंड में भी पंजाब के साथ चुनाव हरीश रावत को हटाने के पीछे एक और वजह समझ में आती है। दरअसल पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। पंजाब, यूपी, मणिपुर और गोवा के साथ ही उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस के पास हरीश रावत जैसा कोई कद्दावर नेता नहीं है। ऐसे में उनको आगे करके पार्टी चुनाव में उतर सकती है। पंजाब प्रभारी होने की वजह से वह पहाड़ की राजनीति में सक्रिय नहीं हो पा रहे थे। ऐसे में कांग्रेस को इस बात का भी डर था कि कहीं ऐसा ना हो कि उत्तराखंड में पार्टी मजबूती से अपनी दावेदारी पेश ना कर पाए। आम आदमी पार्टी यहां तेजी से सक्रिय हो रही है। ऐसे में कांग्रेस हरीश रावत को पंजाब में उलझाकर ज्यादा जोखिम मोल लेने की स्थिति में नहीं थी। बताया जाता है कि रावत ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को देखते हुए पंजाब की जिम्मेदारी से मुक्त किए जाने की अपील की थी। रावत को एआईसीसी महासचिव के पद से भी हटाया गया है। रावत की जगह हरीश चौधरी पंजाब प्रभारी मुख्यमंत्री पद में अदलाबदली के बाद अब कांग्रेस ने प्रदेश प्रभारी हरीश रावत को भी बदल दिया। राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी को नया प्रदेश प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस आलाकमान ने तत्काल प्रभाव से यह फैसला लिया है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल की तरफ से यह निर्देश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया है।
Source navbharattimes

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